Adbhut Ras (अद्भुत रस: परिभाषा भेद और उदाहरण)

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Adbhut Ras in Hindi

Adbhut Ras/ अद्भुत रस: परिभाषा, भाव, आलम्बन, उद्दीपन, और उदाहरण / Adbhut Ras: Definition and Example in Hindi

Important Topics: समास, अलंकार, मुहावरे, विलोम शब्द, पर्यायवाची शब्द, उपसर्ग और प्रत्यय, तद्भव-तत्सम, कारक-विभक्ति, लिंग, वचन, काल

अद्भुत रस की परिभाषा (Definition of Adbhut Ras in Hindi)

अद्भुत रस (Adbhut ras), जब किसी व्यक्ति के मन में अद्भुत या आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर विस्मय, आश्चर्य आदि के भाव उत्पन्न होते हैं तो वहाँ अद्भुत रस होता है. अद्भुत रस का स्थायी भाव आश्चर्य होता है. इसके अंदर रोमांच, आँसू का आना, काँपना, गदगद होना, आँखे फाड़कर देखना आदि के भाव व्यक्त होते हैं।

जहाँ आश्चर्यजनक बातों का वर्णन किया जाता है वहाँ अद्भुत रस (Adbhut Ras) होता है. किसी भी चीज के आश्चर्यजनक वर्णन से उत्पन्न विस्मय भाव की परिपक्व अवस्था को अद्भुत रस कहते हैं. इसका स्थाई भाव विस्मय (आश्चर्य) होता है।

स्थायी भाव: विस्मय
संचारी भाव: तर्क, संदेह, मोह, हर्ष, जड़ता, आवेग, उत्सुकता, जिज्ञासा, आवेग, भ्रम, हर्ष, मती, स्मृति, गर्व, धृति, भय, आशंका, तर्क, चिंता आदि।
आलम्बन: आश्चर्यजनक व्यक्ति, वस्तु, घटना, दृश्य इत्यादि
उद्दीपन: आलम्बन की महिमा और उसकी विचित्रता
अनुभाव: रोमांच होना, स्तंभित हो जाना, टकटकी लगा कर देखना, वाह वाह करना, आंखें बड़ी हो जाना, एक टक देखना, ताली बजाना, स्तंभित होना, चकित रह जाना, प्रसन्न होना, रोंगटे खड़े होना, आंसू निकलना, कंपन, स्वेद, साधुवाद वचन आदि 

रस की परिभाषा, उदाहरण और रस के प्रकार

अद्भुत रस के उदाहरण (Example of Adbhut Ras in Hindi)

1. देख यशोदा शिशु के मुख में, सकल विश्व की माया
क्षणभर को वह बनी अचेतन, हिल न सकी कोमल काया

2. देखरावा मातहि निज अदभुत रूप अखण्ड
रोम रोम प्रति लगे कोटि-कोटि ब्रह्माण्ड

3. चित अलि कत भरमत रहत कहाँ नहीं बास।
विकसित कुसुमन मैं अहै काको सरस विकास

4. अखिल भुवन चर- अचर सब
हरि मुख में लखि मातु।
चकित भई गद्गद् वचन
विकसित दृग पुलकातु॥

5. आगे नदियां खरी अपार, घोड़ा कैसे उतरे,
राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार।

6. दूध-दूध गंगा तू ही अपनी पानी को दूध बना दे
दूध-दूध उफ कोई है तो इन भूखे मुर्दों को जरा दें।

7. केशव नहि न जाई का कहिये।
देखत तब रचना विचित्र अति समुझि मनहि मन दहिये

8. इहाँ उहाँ हुई बालक देखा ।
मति भ्रम मोर कि अवनि विशेषा।

9. लक्ष्मी थी या दुर्गा वह, स्वयं वीरता की अवतार
देख मराठे पुलकित होते,उसकी तलवारों के वार।

10. पद पाताल सीस अजयधामा, अपर लोक अंग-अंग विश्राम
भृकुटि बिलास भयंकर काला, नयन दिवाकर कच धन माला।

11. आली मेरे मनस्ताप से पिघला वह इस वार
रहा कराल कठोर काल सा हुआ सदय सुकुमार।।

इन्हें भी पढ़ें:

  1. श्रृंगार रस (Shringar Ras in Hindi)
  2. हास्य रस (Hasya Ras in Hindi)
  3. करुण रस (Karun Ras in Hindi)
  4. वीर रस (Veer Ras in Hindi)
  5. रौद्र रस (Raudra Ras in Hindi)
  6. भयानक रस (Bhayanak Ras in Hindi)
  7. वीभत्स रस  (Veebhats Ras in Hindi)
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  9. वात्सल्य रस (Vatsalya Ras in Hindi)
  10. भक्ति रस  (Bhakti Ras in Hindi)

रस के स्थायी भाव और मनोविज्ञान

प्रत्येक रस का एक स्थायी भाव और कुछ मूल प्रवृतियां होती हैं

मन:संवेग रस के नाम स्थायी भाव मूल प्रवृतियाँ
1काम श्रृंगार प्रेम काम-प्रवृति (sex)
2हास हास्य हास आमोद (laughter)
3करुणा (दुःख)करुण शोक शरणागति (self-submission)
4उत्साह वीर उत्साह अधिकार-भावना (acquisition)
5क्रोध रौद्र क्रोध युयुत्सा (combat)
6भय भयानक भय पलायन (escape)
7घृणा वीभत्स जुगुप्सा निवृति (repulsion)
8आश्चर्य अद्-भुत विस्मय कुतूहल (curiosity)
9दैन्य शांत निर्वेद (शम)आत्महीनता (appeal)
10वत्सलता वात्सल्य स्नेह, वात्सल्य मातृभावना (parental)
11भगवद्-अनुरक्ति भक्ति अनुराग भक्ति-भावना (allocation spirit)

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