यमक अलंकार और श्लेष अलंकार में अंतर

Yamak Shlesh Alnakar me Antar / यमक और श्लेष अलंकार की परिभाषा तथा यमक और श्लेष अलंकार में अंतर

यमक अलंकार

जब किसी काव्य में एक ही शब्द की बार-बार आवृति हो, तब वहां यमक अलंकार होता है। हर बार शब्द का अर्थ अलग होता है।

यमक अलंकार के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें: यमक अलंकार – परिभाषा एवं उदाहरण

श्लेष अलंकार

श्लेष का अर्थ होता है “चिपका हुआ”। जब किसी काव्य में एक ही शब्द में से कई अर्थ निकलते हों तब वहां श्लेष अलंकार होता है।

श्लेष अलंकार के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें: श्लेष अलंकार – परिभाषा एवं उदाहरण

यमक और श्लेष अलंकार में अंतर

किसी काव्य में यमक अलंकार होने के लिए एक ही शब्द कि कम से कम दो बार आवृति होनी जरुरी है। हर बार शब्द का अर्थ अलग अलग होता है।

जैसे: 

कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय।

या खाए बौराय नर या पावे बौराय।।

इस उदाहरण में आप देख सकते हैं कि ‘कनक’ शब्द की दो बार आवृति हुई है। पहली बार कनक का मतलब धतुरा है तो दूसरी बार कनक का मतलब स्वर्ण है। यहाँ एक शब्द की दो बार आवृति हुई है एवं दोनों बार शब्द का अर्थ अलग है। इससे पता चलता है कि यह यमक अलकार का उदाहरण है। Yamak Shlesh Alnakar me Antar

किसी काव्य में श्लेष अलंकार होने के लिए एक ही शब्द से विभिन्न अर्थ निकलने चाहिए। यहाँ यह जरुरी नहीं कि काव्य में उस शब्द की बार-बार आवृति हो. वो हो भी सकती है और नहीं भी.

जैसे:

सीधी चलते राह जो, रहते सदा निशंक|

जो करते विप्लव, उन्हें, ‘हरि’ का है आतंक||

ऊपर दिए गए उदाहरण में आप देख सकते हैं कि हरि शब्द से दो अर्थ निकल रहे हैं पहला है भगवान ओर दूसरा है बन्दर। एक शब्द से दो अर्थ निकलने की वजह से यह उदाहरण श्लेष अलंकार के अंतर्गत आएगा।

आइये इन अलंकारों के अंतर को समझने के लिए कुछ और उदाहरण देखते हैं:

काली घटा का घमंड घटा।

जैसा कि ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं कि घटा शब्द का दो बार प्रयोग हुआ है। पहली बार घटा का मतलब काले बादल है एवं दूसरी बार घटा मतलब कम होना से है।

दो बार शब्द की आवृति होना एवं दोनों बार विभिन्न अर्थ होना यमक अलंकार की विशेषता है। अतः इस उदाहरण में यमक अलंकार है। Yamak Shlesh Alnakar me Antar

जे रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।

बारे उजियारो करै, बढ़े अंघेरो होय।

ऊपर दिए गए उदाहरण में आप देख सकते हैं कि बारे शब्द एवं बढे शब्द एक-एक बार आये हैं लेकिन इन दोनों शब्दों से एक से ज्यादा अर्थ निकल रहे हैं।

बारे का अर्थ बचपन भी होता हैं और दीपक का जलना भी होता है। बढे का मतलब आयु बढ़ना भी होता है एवं दीपक का बुझने होता हैं।

एक शब्द के ही विभिन्न अर्थ निकलना श्लेष अलंकार की विशेषता होती है अतः यह उदाहरण श्लेष अलंकार के अंतर्गत आएगा।

अब इस उदहारण को देखिये

रहिमन पानी रखिये, बिनु पानी सब सून

पानी गए ना ऊबरे, मोती मानुस चून||

रहीमदास

इस उदाहरण को देख के ये भ्रान्ति हो सकती है कि इसमें यमक अलंकर है या श्लेष अलंकार? लेकिन यहाँ श्लेष अलंकार है क्योकि “जहाँ एक ही शब्द के अनेक अर्थ निकलते हो वो श्लेष अलंकार होता है।

यहाँ पानी के 3 अर्थ है: आत्मसम्मान, चमक या कांति, और जल

इस दोहे में रहीमदास जी ने पानी को तीन अर्थों में प्रयोग किया है।  

पानी का पहला अर्थ तेज या चमक से है जैसे बिना चमक के मोती का कोई मूल्य नहीं होता है।

पानी का दूसरा अर्थ मनुष्य के स्वभाव से है मतलब उसके आत्मसम्मान से है. रहीम कह रहे हैं कि मनुष्य में हमेशा आत्मसम्मान रहना चाहिए।  

पानी का तीसरा अर्थ जल से है जिसे आटे (चून) से जोड़कर दर्शाया गया है. Yamak Shlesh Alnakar me Antar

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