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Vibhats Ras (बीभत्स रस: परिभाषा भेद और उदाहरण)

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Veebhats ras

Vibhats Ras/ बीभत्स रस: परिभाषा, भाव, आलम्बन, उद्दीपन, और उदाहरण / Vibhats Ras: Definition and Example in Hindi

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बीभत्स रस की परिभाषा (Definition of Vibhats Ras in Hindi)

बीभत्स रस (Vibhats ras) घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है. बीभत्स रस का स्थायी भाव जुगुप्सा होता है. नाट्य शास्त्र के प्रणेता भारत मुनि के अनुसार बीभत्स रस भयानक रस का उत्पादक है. 

जिन वस्तुओं के वर्णन से मनुष्य के अन्दर घृणा का भाव आये जैसे मांस, पीत (मवाद), खून इत्यादि, वहां बीभत्स रस (Vibhats ras) होता है.

जहां पर जुगुप्सा (घृणा) नामक स्थाई भाव परिपक्व अवस्था में होता है वहां वीभत्स रस होता है।
किसी वस्तु अथवा जीव को देखकर जहां घृणा का भाव उत्पन्न हो वहां वीभत्स रस होता है। वीभत्स घृणा के भाव को प्रकट करने वाला रस है। जब घृणा का भाव आलंबन, उद्दीपन तथा संचारी भाव के सहयोग से आस्वाद का रूप धारण कर लेता है, तब यह वीभत्स रस में परिणित हो जाता है। इस रस को लेकर आचार्यों में भी मतभेद है. कुछ आचार्य इस रस को मानसिक मानते हैं तो कुछ इसे तामसिक बताते हैं। अर्थात एक पक्ष व्यक्ति से व्यक्ति, तथा सामाजिक बुराई को घृणा के अंतर्गत रखते हैं, तो दूसरा मांस और रक्तपात आदि को इसकी श्रेणी में रखते हैं।

नोट:काफी जगह वीभत्स रस (Vibhats ras) भी लिखा हुआ देखा जाता है लेकिन कई वैयाकरणों के अनुसार शुद्ध शब्द बीभत्स है ना कि वीभत्स.

स्थायी भाव: घृणा/ जुगुप्सा
संचारी भाव: मोह, मूर्छा, आवेग, व्याधि, मरण
आलम्बन: रक्त, मांस, अस्थि, फुहड़पन, घृणित वस्तुएं इत्यादि
उद्दीपन: दुर्गन्ध इत्यादि
अनुभाव: मुँह बिगाड़ना, थूकना, आँख नाक बंद करना इत्यादि

बीभत्स रस के उदाहरण (Vibhats Ras Example in Hindi)

साहित्य रचना में इस रस का प्रयोग बहुत कम ही होता है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस के लंकाकांड में युद्ध के दृश्यों में कई जगह इस रस का प्रयोग किया है।

उदाहरण- मेघनाथ माया के प्रयोग से वानर सेना को डराने के लिए कई वीभत्स कृत्य करने लगता है, जिसका वर्णन करते हुए तुलसीदास जी लिखते है-

“विष्टा पूय रुधिर कच हाडा
बरषइ कबहुं उपल बहु छाडा”

(वह कभी विष्ठा, खून, बाल और हड्डियां बरसाता था और कभी बहुत सारे पत्थर फेंकने लगता था।)
भारत के विभाजन पर लिखे साहित्य में उस समय मची मारकाट के कई वीभत्स दृश्यों का चित्रण सआदत हसन मंटो, खुशवंत सिंह, भीष्म साहनी की रचनाओं में देखा जा सकता है।

बीभत्स रस के अन्य उदाहरण (Example of Vibhats Ras in Hindi)

1. आँखे निकाल उड़ जाते, क्षण भर उड़ कर आ जाते
शव जीभ खींचकर कौवे, चुभला-चभला कर खाते
भोजन में श्वान लगे, मुरदे थे भू पर लेटे
खा माँस चाट लेते थे, चटनी सम बहते बहते बेटे

2. सिर पर बैठो काग आँखि दोउ-खात निकारत।
खींचत जीभहिं स्यार अतिहि आनन्द उर धारत।।

3. बहु चील्ह नोंचि ले जात तुच, मोद मठ्यो सबको हियो
जनु ब्रह्म भोज जिजमान कोउ, आज भिखारिन कहुँ दियो।

4. ‘वस्तु घिनौनी देखी सुनि घिन उपजे जिय माँहि।
छिन बाढ़े बीभत्स रस, चित की रुचि मिट जाँहि।
निन्द्य कर्म करि निन्द्य गति, सुनै कि देखै कोइ।
तन संकोच मन सम्भ्रमरु द्विविध जुगुत्सा होइ।’

5. निकल गली से तब हत्यारा
आया उसने नाम पुकारा
हाथों तौल कर चाकू मारा
छूटा लोहू का फव्वारा
कहा नहीं था उसने आख़िर हत्या होगी।।

इसे भी पढ़ें: रस की परिभाषा, उदाहरण और रस के प्रकार

इन्हें भी पढ़ें:

  1. श्रृंगार रस (Shringar Ras in Hindi)
  2. हास्य रस (Hasya Ras in Hindi)
  3. करुण रस (Karun Ras in Hindi)
  4. वीर रस (Veer Ras in Hindi)
  5. रौद्र रस (Raudra Ras in Hindi)
  6. भयानक रस (Bhayanak Ras in Hindi)
  7. अद्भुत रस  (Adbhut Ras in Hindi)
  8. शांत रस  (Shant Ras in Hindi)
  9. वात्सल्य रस (Vatsalya Ras in Hindi)
  10. भक्ति रस  (Bhakti Ras in Hindi)

रस के स्थायी भाव और मनोविज्ञान

प्रत्येक रस का एक स्थायी भाव और कुछ मूल प्रवृतियां होती हैं

मन:संवेग रस के नाम स्थायी भाव मूल प्रवृतियाँ
1काम श्रृंगार प्रेम काम-प्रवृति (sex)
2हास हास्य हास आमोद (laughter)
3करुणा (दुःख)करुण शोक शरणागति (self-submission)
4उत्साह वीर उत्साह अधिकार-भावना (acquisition)
5क्रोध रौद्र क्रोध युयुत्सा (combat)
6भय भयानक भय पलायन (escape)
7घृणा वीभत्स जुगुप्सा निवृति (repulsion)
8आश्चर्य अद्-भुत विस्मय कुतूहल (curiosity)
9दैन्य शांत निर्वेद (शम)आत्महीनता (appeal)
10वत्सलता वात्सल्य स्नेह, वात्सल्य मातृभावना (parental)
11भगवद्-अनुरक्ति भक्ति अनुराग भक्ति-भावना (allocation spirit)
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