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Vedas Description in Hindi (वेदों के विषय में संक्षिप्त विवरण)

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Vedas Description in Hindi

Vedas Description in Hindi / वेदों के विषय में संक्षिप्त विवरण / A Short Description on Vedas in Hindi

वेदों को सनातन धर्म का प्राचीनतम ग्रन्थ माना जाता है. ये विश्व की सबसे पुरानी कृतियाँ हैं और इन्हें संसार का आदिग्रंथ कहा जा सकता है. वेद (Vedas Description in Hindi) का शाब्दिक अर्थ “ज्ञान” होता है. मूलतः वेद एक ही था. कालांतर में व्यास के द्वारा यह चार भागों में बाँटा गया.

ये भाग अर्थात संहिताएँ निम्नलिखित हैं:

इनके प्रधान विषय क्रमशः प्राथना-मन्त्र, ऋचा-गायन, यज्ञ-मन्त्र और औषधीय ज्ञान हैं. वेदों का काल निश्चित नहीं है. इन्हें अपौरुषेय बताया गया है अर्थात ये मानव रचित नहीं हैं, ऐसा माना जाता है. परन्तु कई ऋचाओं के रचनाकार ऋषियों के नाम ऋचाओं में मिलते हैं. इनमें पुरुष और स्त्रियाँ दोनों सम्मिलित हैं. अतः वेदों के रचनाकार का निर्धारण एक कठिन कार्य है. कुछ लोग इन्हें ईशा के 6000 वर्ष पूर्व के मानते हैं और कुछ इनका रचनाकाल 1500 ई.पू. बतलाते हैं. प्रत्येक वेद के अपने-अपने ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद् तथा उपवेद (Brahman, Aranyak, Upnishada and Upveda) हैं.

चारो वेदों की जानकारी

ऋग्वेद (Rig veda)

चार वेदों (Vedas Description in Hindi) में ऋग्वेद सबसे प्राचीन वेड माना जाता है. ऋग्वेद शब्द ऋक् (ऋचा अथवा मन्त्र) तथा वेद (विद् अर्थात् ज्ञान) से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है ज्ञान के सूक्त. ऋग्वेद (Rig veda) की संहिता (text) में 10 मंडल, 1028 सूक्त और 10, 580 ऋचाएँ हैं. ऋग्वेद के अनेक मन्त्र यज्ञ से सम्बंधित हैं परन्तु उसमें कुछ ऐसे मन्त्र भी मिलते हैं जिन्हें आदिकालीन धार्मिक कविता का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण कहा जा सकता है. ऋग्वेद (Rig veda) का रचनाकाल चाहे जो भी निर्धारित हो, इतना निश्चयपूर्ण कहा जा सकता है कि ऋग्वेद में भारतीय आर्यों के प्राचीनतम युग का इतिहास और उस युग की धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक अवस्था का ज्ञान प्राप्त होता है.

ऋग्वेद के ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद् तथा उपवेद निम्नलिखित हैं:

सामवेद (Samveda)

सामवेद में कुल 1549 ऋचाएँ हैं जिनमें से 75 को छोड़कर सभी ऋग्वेद संहिता (Rigved Samhita) से ली गई हैं. सामवेद (Samveda) की ऋचाओं का गान विविध वैदिक यज्ञों के अवसर पर होता था. सामवेद (Samveda) को संगीत-शास्त्र का आदि ग्रन्थ माना जाता है.

सामवेद के ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद् तथा उपवेद निम्नलिखित हैं:

यजुर्वेद (Yajurveda)

यजुर्वेद (Yajurveda) की दो शाखाएँ हैं: कृष्ण यजुर्वेद और शुक्ल यजुर्वेद. कृष्ण यजुर्वेद दक्षिण भारत और शुक्ल यजुर्वेद उत्तर भारत में प्रचलित है.

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यजुर्वेद (Yajurveda) में 18 काण्ड तथा 3988 मन्त्र हैं. महामृत्युंजय मन्त्र यजुर्वेद में ही हैं. यजुर्वेद (Yajurveda) का प्रधान विषय यज्ञ कार्य है.

यजुर्वेद के ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद् तथा उपवेद निम्नलिखित हैं:

अथर्ववेद (Atharva veda)

अथर्वेद में 20 अध्याय और 5687 मन्त्र हैं. अथर्ववेद (Atharvaveda) के 8 खंड हैं. अथर्वेद गद्य-पद्य-मिश्रित है. इसमें औषाधियों, जादू-टोनों आदि के विषय में जानकारी दी गयी हैं. कुछ विद्वानों के अनुसार इस वेद (Vedas Description in Hindi) के कई अंश ऋग्वेद (Rig veda) से प्राचीनतर हैं.

अथर्ववेद के ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद् तथा उपवेद निम्नलिखित हैं:

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