Upsarg Pratyay Prefix Suffix Hindi, (Prefix and Suffix in Hindi)
Important Topics: समास, अलंकार, मुहावरे, विलोम शब्द, पर्यायवाची शब्द, तद्भव-तत्सम, कारक-विभक्ति, लिंग, वचन, काल
उपसर्ग का अर्थ और परिभाषा (Upsarg Meaning & definition in Hindi)
‘प्र’+’हार’=प्रहार
(2)- हिंदी के उपसर्ग : 10 (तद्भव )
(3)- आगत उपसर्ग : 12 (उर्दू अरबी-फारसी और अंग्रेजी भाषा से लिए गए) उपसर्ग
उपसर्ग | अर्थ | शब्द रूप |
अति | अधिक, परे |
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अधि | ऊपर, अधिक, स्थान में श्रेष्ठ |
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अनु | सदृश, के समान
छोटा, प्रत्येक, पीछे |
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अप | बुरा,विपरीत
(अपवाद) |
अपंग(अप+अंग) अपंग अपवाद है क्योंकि इसमें दीर्घ स्वर संधि ‘आ’ नहीं बना है |
अपि | भी |
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अभि | सामने, पास, विशेष, ओर |
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अव | बुरा, हीन, नीचा |
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आ | तक, से, इधर, समेत, उल्टा |
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उद्/उत् | ऊपर, श्रेष्ठ |
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उप | पास, छोटा, सहायक |
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दुर् | कठिन,बुरा
विपरीत |
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1.(a) दुश् | कठिन |
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(b) दुष् | बुरा |
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(c) दुस् | विपरीत |
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नि | बड़ा, विशेष निषेधात्मक |
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निर् | बड़ा,विशेष
अभाव |
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1. (a)निश् | निषेधात्मक |
जैसे-निश्चित (निश्+चित),
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(b) निष् | अभाव |
जैसे- निष्काम (निष्+काम),
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(c) निस् | बड़ा, विशेष |
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नोट: अघोष तालव्य व्यंजन (च, छ, श) से पहले निश् और (क, प, फ) से पहले निष् तथा दंत्य अघोष व्यंजनों (त, स) से पहले निस् का प्रयोग होता है
परा | दूर, उल्टा |
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परि | चारों ओर, पास |
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प्र | आगे, अधिक, विशिष्ट |
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प्रति | विपरीत, प्रत्येक ओर |
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वि | विशेष, भिन्न, अभाव |
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सम् | अच्छी तरह, शुद्ध
पूर्णतः साथ |
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सु | अच्छा, सरल, विशद |
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Upsarg Pratyay Prefix Suffix Hindi
प्रत्यय का अर्थ और परिभाषा (Pratyay Meaning & Definition in Hindi)
‘प्रत्यय’ शब्द का निर्माण दो शब्दों से मिलकर हुआ हैं, पहला ‘प्रति’ और दूसरा ‘अय’ अथार्त् प्रति+अय=प्रत्यय
जहाँ ‘प्रति’ का अर्थ ‘साथ में, पर बाद में’ तथा ‘अय’ का अर्थ ‘चलनेवाला, लगनेवाला’ होता है. इस प्रकार प्रत्यय शब्द का शाब्दिक अर्थ ‘शब्दों के साथ में या बाद में चलनेवाला या लगनेवाला शब्द ‘प्रत्यय’ कहलाता है |
दूसरे शब्दों में –
प्रत्यय उस ‘अक्षर’ या ‘अक्षर-समूह’ को कहते हैं, जो किसी शब्द के बाद (अंत) में जुटकर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं.
जैसे-‘मीठा’ शब्द में ‘ई’ प्रत्यय लगाकर ‘मिठाई’ बन जाता है |
मुख्य रूप से प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं –
1) कृत् प्रत्यय
2) तद्धित प्रत्यय
1) कृत् प्रत्यय – जो प्रत्यय, क्रिया अथवा धातु के बाद लगाये जाते हैं, कृत् प्रत्यय कहलाते हैं. कृत्-प्रत्यय के मेल से बने शब्दों को ‘कृदंत’ कहते हैं.
2).तद्धित प्रत्यय – जो प्रत्यय, संज्ञा,सर्वनाम तथा विशेषण शब्दों के अंत में लगाये जाते हैं, तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं. तद्धित प्रत्यय के मेल से बने शब्दों को ‘तद्धितांत’ कहते हैं.
Upsarg Pratyay Prefix Suffix Hindi
कृत् प्रत्यय के भेद (प्रकार)-
कृत् प्रत्यय के भेद निम्नलिखित हैं-
i) कर्तृवाचक कृत् प्रत्यय
ii) कर्मवाचक कृत् प्रत्यय
iii) करणवाचक कृत् प्रत्यय
iv) भाववाचक कृत् प्रत्यय
v) क्रियावाचक कृत् प्रत्यय
vi) विशेषणवाचक कृत् प्रत्यय
1.कर्तृवाचक कृत् प्रत्यय –
वे कृत् प्रत्यय, जो धातु के अंत में लगकर क्रिया करने वाले शब्द का बोध कराते हैं, ‘कर्तृवाचक कृत् प्रत्यय’ कहलाते हैं |
कर्तृवाचक ‘कृदंत’ बनाने के नियम-
(a) क्रिया के सामान्य रूप से अंतिम अक्षर ‘ना’ को ‘ने’ करके उसके बाद, ‘वाला’ प्रत्यय का योग हो जाता हैं |
(b) उसी रूप में ‘ना’ को ‘न’ किया जाता हैं, तथा उसके बाद ‘हार’ या ‘सार’ प्रत्यय का योग हो जाता हैं.
(c) जिस धातु के बाद अक्कड़ ,आऊ, आक, आका, आड़ी, आलू, इयल, इया, ऊ, एरा, ऐत, ऐया, ओड़ा, कवैया, आदि प्रत्यय आता हैं; वहाँ उस धातु में प्रत्यय का योग हो जाता हैं.
जैसे-
प्रत्यय | धातु | कृदंत |
वाला
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हार | होना (न+हार) | होनहार |
सार | मिलना (न+सार) | मिलनसार |
अक्कड़
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आऊ
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आक
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आड़ी
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आकू |
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ई |
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एरा |
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हर
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ऐया
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ता
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2.कर्मवाचक कृत् प्रत्यय –
वे प्रत्यय जो कर्म का अर्थ प्रकट करनेवाले, शब्दों का बोध कराते हैं, ‘कर्मवाचक कृत् प्रत्यय’ कहलाते हैं.
जैसे-
प्रत्यय | धातु | कृदंत |
औना
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ना
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नी
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3.करणवाचक कृत् प्रत्यय –
वे कृत् प्रत्यय, जो क्रिया के करण (साधन) का निर्माण करने में प्रयुक्त हो, ‘करणवाचक कृत् प्रत्यय’ कहलाते हैं.
जैसे-
प्रत्यय | धातु | कृदंत |
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4.भाववाचक कृत् प्रत्यय –
धातुओं से भाव वाचक संज्ञाओं का निर्माण करने वाले प्रत्यय , ‘भाववाचक कृत् प्रत्यय’ कहलाते हैं |
जैसे-
प्रत्यय | धातु | कृदंत |
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5. क्रियावाचक कृत् प्रत्यय –
प्रत्यय से निर्मित वे शब्द जो क्रिया के होने का भाव प्रकट करते हो, ‘क्रियाबोधक कृत् प्रत्यय’ कहलाते हैं
जैसे-
ढल – ढलता हुआ
गिर – गिरता हुआ
पढ़ – पढ़ता हुआ
नोट- इन्हीं ढल, गिर, पढ़, आदि शब्दों से ‘प्रेरणार्थक शब्द’ बनाये जाते हैं, जैसे- ढलता हुआ, गिरता हुआ, पढ़ता हुआ आदि |
यथा- हम कह सकते हैं कि- ढलता हुआ सूरज, गिरता हुआ आम आदि ‘कृदंत’ बनते हैं
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6.विशेषणवाचक कृत् प्रत्यय –
वे प्रत्यय जिनके क्रिया पदों से ‘विशेषण’ शब्द की रचना होती है, ‘विशेषण वाचक कृत् प्रत्यय’ कहलाते हैं
जैसे-
प्रत्यय | धातु | कृदंत |
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प्रार्थना व अराधना शब्द मे उपसर्ग है बताइए
Nice