UAPA Full Form (Unlawful Activities Prevention Amendment Act)

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UAPA Full Form

UAPA Full Form in Hindi, UAPA: Unlawful Activities Prevention Amendment Act (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम संशोधन अधिनियम)

UAPA का फुल फॉर्म “Unlawful Activities Prevention Amendment Act” है जिसे हिंदी में “गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम संशोधन अधिनियम” कहा जाता है. UAPA एक बहुत ही खतरनाक एक्ट है, जिसमें गिरफ्तारी के नाम से ही लोगों की रूह कांपने लगती है. अगस्त 2019 में ही इसका संशोधन बिल संसद में पास हुआ था, जिसके बाद इस कानून को ताकत मिल गई. इस कानून के तहत किसी व्यक्ति को भी जांच के आधार पर आतंकवादी घोषित किया जा सकता है.

केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन (Farmers Protest) जब हिंसक हुआ था और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर निकाली गई ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा हुई थी, उसके बाद पुलिस (Delhi Police) ने कई प्राथमिकी दर्ज की. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल हिंसा के इस मामले में यूएपीए एक्ट (UAPA Full Form) लगाने वाली है. गैरकानूनी गतिविधियों के खिलाफ लगाया जाने वाला यह एक्ट (Unlawful Activities Prevention Act) काफी खतरनाक होता है. इसमें काफी कड़ी सजा का प्रावधान है. इसका दायरा इतना व्यापक होता है कि न केवल अपराधी बल्कि वैचारिक विरोध और आंदोलन या दंगा भड़काने की स्थिति में भी यह एक्ट लगाया जा सकता है. दिल्ली दंगों से जुड़े मामलों में भी पुलिस ने UAPA एक्ट लगाया था और इसी एक्ट के तहत जेएनयू के छात्र रह चुके उमर खालिद की भी गिरफ्तारी की गई थी.

इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं कि UAPA एक्ट होता क्या है, यह किन परिस्थितियों में लगाया जाता है और इसकी किस धारा के तहत क्या प्रावधान होते हैं.

UAPA: गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम

UAPA का फुल फॉर्म Unlawful Activities (Prevention) Act होता है. इसका मतलब है- गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम. इस कानून का मुख्य काम आतंकी गतिविधियों को रोकना है. इस कानून के तहत पुलिस ऐसे आतंकियों, अपराधियों या अन्य लोगों को चिह्नित करती है, जो आतंकी ग​तिविधियों में शामिल होते हैं, इसके लिए लोगों को तैयार करते हैं या फिर ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं. इस मामले में एनआईए यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को काफी शक्तियां होती है. यहां तक कि एनआईए महानिदेशक चाहें तो किसी मामले की जांच के दौरान वह संबंधित शख्स की संपत्ति की कुर्की-जब्ती भी करवा सकते हैं.

UAPA का इतिहास

UAPA कानून 1967 में लाया गया था. बाद में 2019 में इसमें संशोधन के बाद यह और मजबूत हुआ. इस कानून को संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत दी गई बुनियादी आजादी पर तर्कसंगत सीमाएं लगाने के लिए लाया गया था. पिछले कुछ सालों में आतंकी गतिविधियों से संबंधी POTA और TADA जैसे कानून खत्म कर दिए गए, लेकिन UAPA कानून अब भी मौजूद है और पहले से ज्यादा मजबूत है. अगस्त 2019 में ही इसका संशोधन बिल (UAPA Full Form) संसद में पास हुआ था, जिसके बाद इस कानून को ताकत मिल गई कि किसी व्यक्ति को भी जांच के आधार पर आतंकवादी घोषित किया जा सकता है. पहले यह शक्ति केवल किसी संगठन को लेकर थी. यानी इस एक्ट के तहत किसी संगठन ​को आतंकवादी संगठन घोषित किया जाता था. सदन में विपक्ष को आपत्ति पर गृहमंत्री अमित शाह का कहना था कि आतंकवाद को जड़ से मिटाना सरकार की प्राथमिकता है, इसलिए यह संशोधन जरूरी है.

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इस कानून के तहत किसी व्यक्ति पर शक होने मात्र से ही उसे आतंकवादी घोषित किया जा सकता है. इसके लिए उस व्यक्ति का किसी आतंकी संगठन से संबंध दिखाना भी जरूरी नहीं होगा. आतंकवादी का टैग हटवाने के​ लिए उसे कोर्ट की बजाय सरकार की बनाई गई रिव्यू कमेटी के पास जाना होगा. हालांकि बाद में कोर्ट में अपील की जा सकती है.

UAPA कानून का दायरा

UAPA कानून के प्रावधानों का दायरा बहुत बड़ा है. इसी वजह से इसका इस्तेमाल अपराधियों के अलावा एक्टिविस्ट्स और आंदोलनकारियों पर भी हो सकता है. UAPA के सेक्शन 2(o) के तहत भारत की क्षेत्रीय अखंडता पर सवाल करने को भी गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल किया गया है. हालांकि एक्टिविस्ट आपत्ति जताते रहे हैं कि महज सवाल करना गैरकानूनी कैसे हो गया? इस कानून के तहत भारत के खिलाफ असंतोष’ फैलाना भी कानूनन अपराध है. हालांकि असंतोष को पूरी तरह परिभाषित नहीं किया गया है.

UAPA कानून की धाराओं में कठोर प्रावधान

UAPA में धारा 18, 19, 20, 38 और 39 के तहत केस दर्ज होता है. धारा 38 तब लगती है जब आरोपी के आतंकी संगठन से जुड़े होने की बात पता चलती है. धारा 39 आतंकी संगठनों को मदद पहुंचाने पर लगाई जाती है. इस एक्ट के सेक्शन 43D (2) में किसी शख्स की पुलिस कस्टडी की अवधि दोगुना करने का प्रावधान है. इस कानून के तहत पुलिस को 30 दिन की कस्टडी मिल सकती है. वहीं न्यायिक हिरासत 90 दिन की भी हो सकती है. बता दें कि अन्य कानूनों में अधिकतम अवधि 60 दिन ही होती है.

UAPA के तहत अग्रिम जमानत मिलना संभव नहीं

अगर किसी शख्स पर UAPA के तहत केस दर्ज हुआ है, तो उसे अग्रिम जमानत (UAPA Full Form) नहीं मिल सकती. यहां तक कि अगर पुलिस ने उसे छोड़ दिया हो तब भी उसे अग्रिम जमानत नहीं मिल सकती. दरअसल, कानून के सेक्शन 43D (5) के मुताबिक, कोर्ट शख्स को जमानत नहीं दे सकता, अगर उसके खिलाफ प्रथम दृष्टया केस बनता है. गैरकानूनी संगठनों, आतंकवादी गैंग और संगठनों की सदस्यता को लेकर इसमें कड़ी सजा का प्रावधान है. सरकार द्वारा घोषित आतंकी संगठन का सदस्य पाए जाने पर आजीवन कारावास की सजा मिल सकती है. लेकिन कानून में ‘सदस्यता’ की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है. कई एक्टिविस्टों पर इस कानून के तहत केस दर्ज हो चुके हैं.

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