Tumhara Chitra Kavita, तुम्हारा चित्र, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है.
मधुर! तुम्हारा चित्र बन गया कुछ नीले कुछ श्वेत गगन पर हरे-हरे घन श्यामल वन पर द्रुत असीम उद्दण्ड पवन पर चुम्बन आज पवित्र बन गया, मधुर! तुम्हारा चित्र बन गया।
Tumhara Chitra Kavita
तुम आए, बोले, तुम खेले
दिवस-रात्रि बांहों पर झेले
साँसों में तूफान सकेले
जो ऊगा वह मित्र बन गया,
मधुर! तुम्हारा चित्र बन गया।
ये टिमटिम-पंथी ये तारे पहरन मोती जड़े तुम्हारे विस्तृत! तुम जीते हम हारे! चाँद साथ सौमित्र बन गया। मधुर! तुम्हारा चित्र बन गया।
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