Tinda in Hindi / टिंडा खाने के आश्चर्यजनक फायदे और नुकसान
हरी गेंद या हरे सेब की तरह दिखाई देने वाला टिंडा कई पोषक तत्वों से भरा हुआ होता है। टिंडा एक सब्जी है जो लताओं के रूप में पाए जाने वाले पौधे में लगती है. यह एक पौष्टिकता से भरपूर सब्जी है जो पचने में भी बहुत आसान होती है। टिंडा में एन्टी-ऑक्सिडेंट, फाइबर, कैराटिनॉयड, विटामिन सी, आयरन तथा पोटैशियम पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है, जो इसको एक सूपरफूड बनाता है। यह सब्जी गर्मियों में सबसे ज्यादा खाई जाती है। यह गर्मियों में शरीर अंदर पानी की मात्रा को संतुलित करने में काफी मददगार होती है, क्योंकि एक टिंडे में 92 प्रतिशत तक पानी होता है।
सामान्यतः टिंडे (Tinda in Hindi) को सब्जी के रूप में खाया जाता है लेकिन आयुर्वेद में टिंडे का प्रयोग औषधि के रूप में भी किया गया है. इस पोस्ट में हमने टिंडा खाने से होने वाले लाभ, टिंडा खाने के नुकसान तथा टिंडे के औषधीय गुणों के बारे में चर्चा करेंगे.
टिंडा क्या है? (What is Tinda in Hindi?)
टिंडे का पौधा एक लतारूपीय पौधा होता है जिसकी लताएं जमीन पर फैली होती हैं। टिंडे का तना कोणीय आकार का और रोम वाला होता है। टिंडा के पत्ते ककड़ी के पत्ते जैसे पतले तथा लगभग 6 सेमी लम्बे होते हैं।
टिंडा के फूल छोटे, पीले, 3 सेमी व्यास या डाइमीटर के और गुच्छे में होते हैं। इसके फल गोल या अंडाकार, 6-10 सेमी व्यास के, हरे और सफेद रंग के या धब्बेदार पीले रंग के होते हैं। टिंडे के भीतर का भाग मुलायम और रस वाला होता है। इसके अन्दर अनेक बड़े तथा अण्डाकार, 8 मिमी लम्बे, पीले सफेद रंग के और चिकने बीज होते हैं।
टिंडा त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद होने के साथ-साथ पाचन तंत्र के लिए भी अच्छा होता है। इसके अलावा टिंडे की सब्जी कई और रोगों में भी लाभकारी है, जैसे- टिंडा का फल आमाशय रस को बढ़ाने वाला, रक्त को शुद्ध करने वाला, कृमिनाशक, मल-मूत्र को शरीर से निकालने में भी सहायता करता है। इसके अलावा, गले के दर्द को कम करने के साथ-साथ खुजली और लीवर की सफाई का काम भी करता है.
टिंडा (Tinda in Hindi) का बीज बुद्धि को तेज करने यानि याद्दाश्त को बेहतर बनाने में सहायता करता है तथा साथ ही साथ कमजोरी दूर करने में भी मदद करता है।
अन्य भाषाओं में टिंडा के नाम (Name of Tinda in Different Languages)
टिंडे का वानास्पतिक नाम Praecitrullus fistulosus (Stocks) Pangalo (प्रेसिट्रलस् फिस्टुलोस्स) है. यह Cucurbitaceae कुल का पौधा है। टिंडा का अंग्रेजी नाम: Round gourd (राउन्ड गॉर्ड), Indian round gourd (इण्डियन राउन्ड गॉर्ड) है. अन्य भाषाओँ में टिंडे को निम्नलिखित नामों से जाना जाता है:
- संस्कृत में – डिण्डिश, रोमशफल, मुनिनिर्मित, चित्तगोदुम्बा, तिण्डिश, सुवर्तुला
- हिंदी में – ढेंड़स, टिंडा
- पंजाबी में – टन्डस (Tandus), टेण्डू (Tendu), टिण्डा (Tinda)
- मराठी में – ढेमसे (Dhemase)
- मलयालम में – देंडसे (Dhendse), दिंडशी (Dhindshi)
- राजस्थानी में – टिंडसी (Tindsi)
- सिंधी में – दिलपसन्द (Dilpasand)
- अंग्रेजी में – इण्डियन स्क्वैश (Indian squash), स्क्वैश मैलन (Squash melon), टिण्डा (Tinda)
टिंडा के औषधीय गुण (Medicinal Values of Tinda in Hindi)
टिंडे के अंदर बहुत से पोषक पाए जाते है जो हमारे स्वास्थ के लिए बहुत ही जरुरी होते है। टिंडे के अंदर विटामिन्स और खनिज दोनों प्रचुर मात्रा में मिलते है। टिंडे में विटामिन ए और विटामिन सी मिलता है और थियामिन, नियासिन, आयरन, फाइबर, पोटाशियम, रिबोफल्विन जैसे खनिज प्रचुर मात्रा में मिलते है। टिंडा पानी से भरा हुआ होता है इसके अंदर 92 प्रतिशत तक पानी पाया जाता है, जो गर्मियों में हमारे शरीर को पानी की कमी से बचाता है। टिंडे के बीज भी बहुत पौष्टिक होते हैं और इनका उपयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है । टिंडे के बीजों में प्रचुर मात्रा में फैटी एसिड और प्रोटीन मिलता है। टिंडे में आपको ओमेगा- 6 फैटी एसिड और ओमेगा- 9 फैटी एसिड मिलता है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही उपयोगी होते है। इसके अलावा टिंडे में कैलोरी लगभग ना के बराबर होती है जो इसका सबसे बड़ा गुण माना जाता है।
विभिन्न रोगों में टिंडा के फायदें (Benefits of Tinda in Diseases)
टिंडे (Tinda in Hindi) में बहुत सारे पोषक तत्व पाये जाते हैं जो विभिन्न रोगों से बचाव करते हैं। यह हमारी किडनी को स्वस्थ रखने में बहुत उपयोगी है। यह किडनी को ना केवल स्वस्थ रखती है बल्कि उसे खराब होने भी बचाता है। टिंडा हमें कुछ ऐसे रोगों भी बचाता है जिससे हमारी किडनी ख़राब होने का खतरा रहता है। आइये देखते हैं टिंडा किन किन रोगों में लाभदायक होता है.
उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure)
उच्च रक्तचाप के रोगियों को टिंडे का जूस का सेवन करना चाहिए। टिंडे के जूस की मदद से उच्च रक्तचाप की समस्या से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। टिंडे के अंदर पोटैशियम होता है जो शरीर में मौजूद अतिरिक्त सोडियम को बाहर निकलने में मदद करता है। साथ ही रक्त वाहियों और धमनियों को शांत करता है जिससे रक्त प्रवाह बिना किसी रुकावट के सुचारू रूप से चलता रहता है। शरीर में सोडियम की अधिक मात्रा के कारण से रक्तचाप उच्च होने की शिकायत होती है। वैसे तो कई कारणों से किडनी खराब हो सकती है, लेकिन हमेशा रक्तचाप उच्च रहने के कारण से भी किडनी खराब हो सकती है।
किडनी को स्वस्थ रखता है टिंडा
नियमित रूप से टिंडा (Tinda in Hindi) खाने से हमारी किडनी स्वस्थ और मजबूत बनी रहती है। टिंडा शरीर में मौजूद अपशिष्ट उत्पादों को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। टिंडा में पानी की मात्रा सबसे अधिक होती है जो मूत्रवर्धक के रूप में काम करता है जिससे किडनी की सफाई होती है और किडनी ख़राब होने से बचती है। बता दें किडनी शरीर से अपशिष्ट उत्पादों को पेशाब के साथ शरीर से बाहर निकालने का काम करती है।
वजन कम करता है टिंडा
टिंडा वजन कम करने में हमारी काफी मदद करता है। टिंडे के अंदर अच्छी मात्रा में पानी मिलता है जो मोटापे को कम करने में मददगार होता है। अगर आपका वजन ओवरईटिंग के कारण बढ़ रहा है तो आपको नियमित रूप से टिंडे के जूस का सेवन सुबह नाश्ते में करना चाहिए। इससे आपको वजन नियन्त्रित रखने में मदद मिलेगी. इसके साथ ही टिंडा फाइबर का भी अच्छा स्रोत है जो पेट में जमा अतिरिक्त वसा को कम तो करता ही है साथ ही साथ पाचन को सुधारता है तथा खाने को ठीक से पचाने में भी मदद करता है।
मधुमेह को कम करता है टिंडा
अगर आप मधुमेह के रोगी है तो आपको टिंडे की सब्जी का सेवन जरुर करना चाहिए। टिंडा मधुमेह कम करने के लिए उत्तम आहार है। टिंडे के अन्दर घुलनशील फाइबर काफी मात्रा में मिलता है जो रक्त शर्करा को कम करने में मदद करता है। साथ ही शरीर में इन्सुलिन की मात्रा को बढ़ाने में मदद करता है, बढ़ा हुआ इन्सुलिन तेज़ी से मधुमेह को कम करता है। टिंडे के छिलकों में फोटोकेमिकल मिलता है जो रक्त शर्करा को कम करने में सहायक होता है। टिंडा मेटाबोलिज्म भी सुधारता है।
मूत्र संक्रमण दूर करता है टिंडा
टिंडा (Tinda in Hindi) मूत्र संक्रमण को दूर करने में मदद करता है। टिंडे में पानी मात्रा अधिक होने के कारण शरीर में पानी की कमी नही होती जिससे किडनी और मूत्रपथ की सफाई नियमित रूप से होती रहती है। किडनी और मूत्रपथ साफ होने के कारण मूत्रप्रवाह में कोई बाधा उत्पन्न नही होती, जिससे संक्रमण का खतरा नहीं बनता और पहले से मौजूद संक्रमण भी दूर होता है। यह किडनी और मूत्रपथ में मौजूद विषाक्त उत्पादों को बाहर निकाल देता है। गर्मियों में यह शरीर के सभी अंगों को ठंडा बनाएं रखने में मदद करता है।
पाचन सुधारे टिंडा
टिंडे में फाइबर काफी अच्छी मात्रा में मिलता है जो पाचन को सुधारने में काफी मदद करता है। नियमित रूप से टिंडा खाने से आपको कब्ज, अपच, गैस, पेट फूलने जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। पानी की अधिकता के कारण यह आपके पेट की सफाई के लिए उत्तम आहार की श्रेणी में आता है। आप इसे सब्जी के रूप में इस्तेमाल कर सकते है। अगर तेज़ी से समाधान चाहते है तो इसे जूस के रूप में अपने आहार में शमिल करे।
सूजन दूर करे टिंडा
टिंडा सूजन कम करने वाली सब्जी है। साथ ही यह दर्द निवारक औषधि भी है। सूजन कम करने के लिए आप इसका पेस्ट बना कर इसे सूजन वाली जगह पर लगा सकते हैं। इससे आपकी सूजन तो कम होगी ही साथ ही आपको दर्द से भी राहत मिलेगा।
दिल को स्वस्थ रखे टिंडा
यदि आप नियमित रूप से टिंडे का सेवन करते है तो आपका दिल हमेशा जवां बना रहेगा। टिंडे के अंदर फाइबर अच्छी मात्रा में मिलता है जो कोलेस्ट्रोल को कम करने में मदद करता है। फाइबर वसा को तो कम करता ही है इसके अलावा यह रक्त वाहिकाओं में जमे कोलेस्ट्रोल को हटाने में भी मदद करता है। जिससे दिल तक रक्त सुचारू रूप से पहुचता है। वहीं पोटाशियम उच्च रक्तचाप को काबू में करता है और रक्त प्रवाह को सुचारू बनाता है। टिंडे के सेवन व्यक्ति कोरोनरी हार्ट डिजीज से बचा रहता है। बता दें की कोलेस्ट्रोल बढने के कारण से ही दिल की अधिकतर बीमारियाँ होती है।
कैंसर से बचाता है टिंडा
टिंडा (Tinda in Hindi) ना केवल आपकी किडनी को खराब होने से बचाता है बल्कि आपको सन्सर जैसी जानलेवा बीमारी से भी दूर रखता है। टिंडे के अंदर 0.4 मिलीग्राम थियामिन, 0.08 मिलीग्राम रिबोफ्लेविन, 24 मिलीग्राम फॉस्फोरस मिलता है जो कैंसर के कारकों को पनपने से रोकते है जिससे आप कैंसर की बीमारी से बचे रहते है। टिंडा महिलों को होने वाले कैंसर ब्रेस्ट कैंसर और प्रोटेस्ट कैंसर होने क संभावना को कम करता है।
टिंडा प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाता है
टिंडा प्रतिरोधक क्षमता को बढाने में मदद करता है। टिंडे में ग्लोबुलिन नामक एक खास तरह का प्रोटीन मिलता है जों हमारे रक्त में कुछ मात्रा में पहले से मौजूद होता है। ग्लोबुलिन प्रोटीन इम्मुन सिस्टम को दुरुस्त करने में सहायक होता है।
टिंडा खाने के लाभ (Tinda khane ke fayde) (Benefits of Tinda in Hindi)
आयुर्वेद के अनुसार टिंडा की सब्जी स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होती है क्योंकि ये कई बीमारियों के लिए औषधि के रुप में काम करता है।
कब्ज में फायदेमंद टिंडा (Tinda Benefits in Constipation in Hindi)
आजकल कब्ज की परेशानी से सब परेशान रहते हैं। कब्ज होने पर टिंडे की सब्जी का सेवन करने से टिंडा के फायदे से राहत मिल सकती है। टिण्डे के डण्ठल का शाक मल को नरम करने में मदद करता है।
खून को साफ करने में फायदेमंद टिंडा (Benefit of Tinda in Blood Purification in Hindi)
खून साफ न होने पर कई तरह के त्वचा संबंधी रोग होने की संभावना होती है। टिण्डे के फल के रस का सेवन करने से रक्त का शोधन तथा मुँह और गला सूख जाने के एहसास से छुटकारा मिलता है। टिंडा के फायदे खून को साफ कर उससे संबंधित बीमारियों से राहत दिलाने में मदद करती है।
पीलिया और मधुमेह में लाभकारी टिंडा (Apple gourd Benefits in Jaundice or Diabetes in Hindi)
पतंजली आयुर्वेद के अनुसार टिंडा एक ऐसी सब्जी (tinde ki sabji) जो दो बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है। टिंडे के फल का शाक बनाकर सेवन करने से कामला या पीलिया तथा मधुमेह (डायबिटीज) में लाभ मिलता है।
पथरी (अश्मरी) में लाभकारी में टिंडा (Tinda to Treat Kidney Stone in Hindi)
आजकल पैकेज्ड फूड और मसालेदार खाना खाने से पथरी होना आम बात हो गया है। आयुर्वेद के अनुसार इस अवस्था से बाहर आने में टिंडा मदद करता है। टिंडा के ताजे कोमल फलों को कुचलकर, पीसकर रस निकाल लें। 10-15 मिली रस में 65-125 मिग्रा यवक्षार मिलाकर गुनगुना करके पिलाने से पथरी टूट-टूट कर निकल जाती है। इसके साथ-साथ टिंडे का रस पित्तज-विकारों को कम करने के अलावा मूत्र और लीवर संबंधी रोगों में लाभकारी होता है।
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मूत्र संबंधी रोगों को दूर करे टिंडा (Apple Gourd to Get Relief from Urinary Disease in Hindi)
अगर मूत्र संबंधी रोगों से परेशान है तो टिंडा (Tinda in Hindi) के फलों का शाक बनाकर सेवन करने से पेशाब करते वक्त दर्द तथा यूरीनरी ब्लाडर या मूत्राशय के सूजन को कम करने में मदद मिलती है।
रक्तस्राव (ब्लीडिंग) रोकने में फायदेमंद टिंडा (Tinda to Treat Bleeding in Hindi)
अगर गर्भावस्था के दौरान ब्लीडिंग हो रहा है तो टिंडा का सेवन इस तरह से करने पर लाभ मिलता है। 5-10 मिली टिंडे के जड़ का रस बनाकर पीने से गर्भस्रावजन्य रक्तस्राव को कम करने में मदद मिलती है।
प्रदर (ल्यूकोरिया) और डायबिटीज से राहत दिलाये टिंडा (Tinda Benefits in Leucorrhoea and Diabetes in Hindi)
टिण्डे के फलों का रस निकालकर मिश्री मिलाकर पीने से प्रदर तथा प्रमेह (diabetes) में लाभ मिलता है।
आमवात (रुमेटाइड आर्थराइटिस) से राहत दिलाये टिंडा (Apple Gourd Benefits to Get Relief from Rhumatoid Arthritis in Hindi)
आम तौर पर उम्र बढ़ने पर जोड़ो में दर्द की परेशानी होती है, लेकिन आजकल कम उम्र में भी ये समस्या नजर आता है। ऐसे अवस्था से आराम पाने के लिए टिंडे के फल को पीसकर जोड़ो पर लगाने से दर्द से राहत मिलती है।
सूजन (शोथ) से दिलाये राहत टिंडा (Tinda to Treat Inflammation in Hindi)
अगर शरीर के किसी अंग का सूजन कम नहीं हो रहा है तो टिंडे के बीज और पत्तों को पीसकर उसका लेप बना लें। उसके बाद लेप को प्रभावित जगह पर लगाने से दर्द और सूजन दोनों कम होता है।
कमजोरी दूर करे टिंडा (Tinda Help to Fight Weakness in Hindi)
अगर लंबे अर्से तक बीमार रहने के बाद कमजोरी आ गई है तो पके हुए टिण्डें के बीजों को निकालकर मेवे के रूप में सेवन करने से कमजोरी और थकान में लाभ होता है।
वजन कम करने में टिंडा के फायदे (Tinda Beneficial in Weight Loss in Hindi)
टिंडे में पानी की मात्रा अधिक पायी जाती है साथ ही ये फाइबर युक्त भी होता है, जो की पाचन तंत्र को ठीक रखकर वजन को बढ़ने से रोकता है।
रोग प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाने के लिए टिंडे के फायदे (Benefits of Tinda to Boost Immunity in Hindi)
टिंडे का सब्जी के रूप में प्रयोग करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है क्योंकि इसमें विटामिन- सी और फाइबर अधिक मात्रा में पाए जाते है जो कि प्रतिरक्षा तंत्र को बढ़ाने में मदद करते है।
बुखार को दूर करने में टिंडे के फायदे (Tinda Beneficial to Treat Fever in Hindi)
टिंडे का सेवन बुखार से भी लड़ने में मदद करता है क्योंकि यहाँ प्रतिरक्षा तंत्र को बढ़ाने में मदद करता है जिससे सामान्य बुखार के लक्षणों में कमी आती है।
हाई ब्लड प्रेशर के लिए टिंडे के फायदे (Benefit of Tinda to Control High Blood Pressure in Hindi)
टिंडा (Tinda in Hindi) का सेवन हृदय के लिए फायदेमंद होता है क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट के गुण पाये जाते है जो कि हृदय की क्रियाशीलता को नियमित रखकर हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को होने से रोकता है।
टिंडा के उपयोगी भाग (Useful Part of Tinda)
आयुर्वेद में टिंडा के फल, जड़ और बीज का सेवन औषधि के रुप में ज्यादा होता है।
टिंडा कहां पाया और उगाया जाता है (Where is Tinda Vegetable Found or Grown in Hindi)
समस्त भारत में पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान एवं महाराष्ट्र में टिंडा की खेती की जाती है। तभी तो टिंडे की सब्जी (tinde ki sabji) का लाजवाब स्वाद लेना संभव हो पाता है।
टिंडा खाने के नुकसान (Tinda khane ke Nuksan) (Side Effects of Tinda in Hindi)
यूँ तो टिंडा बहुत ही पौष्टिक सब्जी है और इसको खाने का कोई विशेष नुकसान भी नहीं है। वर्तमान समय तक टिंडा खाने से किसी को कोई रोग या किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न होने की बात सामने नहीं आई है। फिर भी टिंडा खाते समय कुछ सावधानियो का जरुर रखना चाहिए जो निम्नलिखित है –
- टिंडा अधिक मात्रा में नहीं खाना चाहिए। क्योंकि इसमें फाइबर अधिक मत्रा में होता है जो पेट को दुरुस्त करने के साथ साथ ख़राब भी कर सकता है। जैसे गैस, पेट में ऐठन और पेट फूलना।
- टिंडा एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक है इसलिए गर्भवती महिलों और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका सेवन बहुत ही कम मात्रा में करना चाहिए और चिकित्सक की सलाह जरुर लेनी चाहिए।
नोट: अपने इस लेख के माध्यम से हमने आपको टिंडा से होने वाले फायदे और नुकसान के बारे में बताया है। लेकिन इसका किसी भी प्रकार से औषधीय रूप में सेवन करने से पहले आप अपने नजदीकी चिकित्सक से परामर्श अवश्य कर लें।
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