Taimur Looted Delhi Hindi/ तैमूरलंग (अर्थात तैमूर लंगड़ा) जिसे ‘तिमूर’ के नाम से भी जाना जाता है चौदहवी शताब्दी का एक शासक था जिसने तैमूरी राजवंश की स्थापना की थी। उसका राज्य पश्चिम एशिया से लेकर मध्य एशिया होते हुए भारत तक फैला था। उसकी गणना संसार के सबसे क्रूरतम हत्यारे, लुटेरे, और दंगाई में होती है। वह बरलस तुर्क खानदान में पैदा हुआ था। उसका पिता तुरगाई बरलस तुर्कों का नेता था। भारत के मुग़ल साम्राज्य का संस्थापक बाबर तिमूर का ही वंशज था।
भारतीय नीतिशास्त्रों में राजा को दंड का धारक कहा गया है. वह बाग के समान अपने प्रजा को वैसे ही धारण करता है जैसे बाघिन अपने बच्चे को मुख में रख के सुरक्षा प्रदान करती है लेकिन उसके तेज नुकीले दांतों से वो आहात नहीं होते. लेकिन इसे भारत का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि यहाँ के शासक कभी ऐसे नहीं रहे.
तैमूर, नादिरशाह और अहमदशाह अब्दाली जैसे लुटेरे और प्राणघाती आक्रान्ता यहाँ ऐसे ही नहीं आये. जब उन्होंने देखा कि सोने की चिड़िया के पिंजरे के रखवाले अक्षम हैं तो वे वार से नहीं चूके.
अपंग तैमूर लंग
तैमूर लंग अपंग था और 18 दिसम्बर 1398 ई. में भारत पर अश्वारोही सेना सहित आक्रमण करते समय वो 60 वर्ष की आयु पार कर चुका था. तुगलक वंश अपनी बेवकूफाना हरकतों की वजह से प्रजा से दूर हो चुका था. बंगाल और सुदूर दक्षिण में विद्रोह हो चुका था और यहाँ दिल्ली में भी ऐसे लोग आ बसे थे जिनकी निष्ठा खैबर पार के हुक्मरानों के प्रति थी वे लुटेरों का मार्गदर्शन और अगवानी करते थे. पंजाब का गवर्नर खिज्र्खा ऐसा ही व्यक्ति था. उसने तैमूर की सहायता की. Taimur Looted Delhi Hindi
तैमूर की बर्बरता की दास्ताँ
दिल्ली आने से पूर्व तैमूर ने मार्ग में एक लाख हिन्दू बंदियों की ह्त्या की और सैकड़ों मन सोना चाँदी लूटा. उसने दिल्ली के निकट मोहम्मद तुगलक की विशाल सेना को हराया. तुगलक डर कर गुजरात भाग गया. 15 दिनों तक तैमूर दिल्ली को लूटता रहा.
दिल्ली गजेटियर के अनुसार, हौजखास में “दिल्ली के नागरिकों” ने तैमूर का अभिनंदन किया. जो उलेमा के नेतृत्व में विजेता की प्रतीक्षा कर रहे थे उन्होंने शरण के लिए प्रार्थना की. तैमूर ने नागरिकों को बचाने का वचन दिया लेकिन नागरिकों को तैमूर के बर्बर सिपाहियों का विरोध करने के लिए बाध्य होना पड़ा. इसके बाद तैमूर ने आम लूटपाट और हत्या का आदेश दिया जो कई दिनों तक चलता रहा. उसकी सेना का हर सिपाही एक रात में ही धनवान बन गया. तैमूर अपने साथ जुम्मा मस्जिद बनवाने के लिए अनेक कारीगरों को ले गया. जाते वक़्त लूटपाट का माल अनेक गधों और ऊँटों पर लदा था. Taimur Looted Delhi Hindi
तैमूर की लूट के बाद दिल्ली का व्यापार नष्ट हो गया. चारो तरफ अकाल, भुखमरी और महामारी फ़ैल गयी. कई महीनों तक दिल्ली का कोई हुक्मरान ना रहा और राज की सत्ता दिल्ली के निकट के कुछ शहरों तक ही सीमित रह गयी.
सैय्यद वंश (1414 से 1451 ई.)
तैमूर के लौटने के बाद उसका हिमायती सैय्यद खिज्रखा ने दिल्ली की चिता पर रोटी सेंकनी चाही और उसने सैय्यद वंश की स्थापना की. लेकिन इसकी मृत्यु के बाद इसके तीनों उत्तराधिकारी अयोग्य साबित हुए और इसके बाद बहलोल लोधी ने लोधी वंश की स्थापना की
लोधी वंश (1451 से 1526 ई.)
लोधी वंश दिल्ली सल्तनत का अंतिम वंश था. 1450 ई. के सैनिक विद्रोह में पंजाब के गवर्नर बहलोल लोधी ने दिल्ली के कमजोर शासक को बाहर कर गद्दी पर कब्जा किया. उसका उत्तराधिकारी उसका पुत्र सिकंदर लोधी राजधानी को आगरा ले गया और वहां सिकंदराबाद बसाया. बाद में पंजाब के हाकिम दौलत खां और सुलतान के ही चचा आलम खां ने दिल्ली की गद्दी से गद्दारी की और प्रथम मुग़ल बाबर को दिल्ली पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया.
1526 ई. में पानीपत की पहली लड़ाई हुई जिसमे इब्राहीम लोधी मारा गया और दिल्ली मुगलों के अधीन हो गयी. Taimur Looted Delhi Hindi
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