Bhram Kavita (भ्रम कविता)- सुभद्रा कुमारी चौहान
Bhram Kavita, ‘भ्रम’ सुभद्रा कुमारी चौहान (subhadra kumari chauhan) द्वारा लिखित एक छोटी सी कविता है. देवता थे वे, हुए दर्शन, अलौकिक रूप था। देवता थे, मधुर सम्मोहन स्वरूप अनूप था॥ देवता थे, देखते ही बन गई थी भक्त मैं। हो गई उस रूपलीला पर अटल आसक्त मैं॥ Bhram Kavita देर क्या थी? यह मनोमंदिर … Read more