Vida Kavita (विदा कविता)- सुभद्रा कुमारी चौहान

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Vida Kavita, विदा सुभद्रा कुमारी चौहान (subhadra kumari chauhan) द्वारा लिखित कविता है. अपने काले अवगुंठन को रजनी आज हटाना मत। जला चुकी हो नभ में जो ये दीपक इन्हें बुझाना मत॥ सजनि! विश्व में आज तना रहने देना यह तिमिर वितान। ऊषा के उज्ज्वल अंचल में आज न छिपना अरी सुजान॥ सखि! प्रभात की … Read more

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