Saki Kavita (साक़ी कविता)- सुभद्रा कुमारी चौहान

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Saki Kavita, साक़ी सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra kumari chauhan) द्वारा लिखित कविता है. अरे! ढाल दे, पी लेने दे! दिल भरकर प्यारे साक़ी। साध न रह जाये कुछ इस छोटे से जीवन की बाक़ी॥ ऐसी गहरी पिला कि जिससे रंग नया ही छा जावे। अपना और पराया भूलँ; तू ही एक नजऱ आवे॥ ढाल-ढालकर पिला … Read more

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