Raskhan ke Savaiye (रसखान के प्रसिद्द सवैये व्याख्या सहित)

Raskhan ke Savaiye/ रसखान के सवैयों का भावार्थ मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन।जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥पाहन हौं तो वही गिरि को, जो धर्यो कर छत्र पुरंदर धारन।जो खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदीकूल कदम्ब की डारन॥ या लकुटी अरु … Read more

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