Jab yah deep thake Kavita (जब यह दीप थके कविता)- महादेवी वर्मा

Jab yah deep thake Kavita, जब यह दीप थके, महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) द्वारा लिखित कविता है. यह चंचल सपने भोले है, दृग-जल पर पाले मैने, मृदु पलकों पर तोले हैं; दे सौरभ के पंख इन्हें सब नयनों में पहुँचाना! साधें करुणा-अंक ढली है, सान्ध्य गगन-सी रंगमयी पर पावस की सजला बदली है; विद्युत के … Read more

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