Sadh Kavita (साध कविता)- सुभद्रा कुमारी चौहान

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Sadh Kavita, साध सुभद्रा कुमारी चौहान (subhadra kumari chauhan) द्वारा लिखित कविता है. मृदुल कल्पना के चल पँखों पर हम तुम दोनों आसीन। भूल जगत के कोलाहल को रच लें अपनी सृष्टि नवीन।। वितत विजन के शांत प्रांत में कल्लोलिनी नदी के तीर। बनी हुई हो वहीं कहीं पर हम दोनों की पर्ण-कुटीर।। कुछ रूखा, … Read more

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