Pratham darshan Kavita (प्रथम दर्शन कविता)- सुभद्रा कुमारी चौहान
Pratham darshan Kavita, प्रथम दर्शन सुभद्रा कुमारी चौहान (subhadra kumari chauhan) द्वारा लिखित कविता है. प्रथम जब उनके दर्शन हुए, हठीली आँखें अड़ ही गईं। बिना परिचय के एकाएक हृदय में उलझन पड़ ही गई॥ मूँदने पर भी दोनों नेत्र, खड़े दिखते सम्मुख साकार। पुतलियों में उनकी छवि श्याम मोहिनी, जीवित जड़ ही गई॥ Pratham … Read more