Deep mere jal akampit Kavita (दीप मेरे जल अकम्पित कविता)- महादेवी वर्मा
Deep mere jal akampit Kavita, दीप मेरे जल अकम्पित, महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) द्वारा लिखित कविता है. दीप मेरे जल अकम्पित, घुल अचंचल! सिन्धु का उच्छवास घन है, तड़ित, तम का विकल मन है, भीति क्या नभ है व्यथा का आँसुओं से सिक्त अंचल! स्वर-प्रकम्पित कर दिशायें, मीड़, सब भू की शिरायें, गा रहे आंधी-प्रलय … Read more