Upeksha Kavita (उपेक्षा कविता)- सुभद्रा कुमारी चौहान

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Upeksha Kavita, उपेक्षा सुभद्रा कुमारी चौहान (subhadra kumari chauhan) द्वारा लिखित कविता है इस तरह उपेक्षा मेरी, क्यों करते हो मतवाले! आशा के कितने अंकुर, मैंने हैं उर में पाले॥ विश्वास-वारि से उनको, मैंने है सींच बढ़ाए। निर्मल निकुंज में मन के, रहती हूँ सदा छिपाए॥ मेरी साँसों की लू से कुछ आँच न उनमें … Read more

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