Mere Pathik Kavita (मेरे पथिक कविता)- सुभद्रा कुमारी चौहान

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Mere Pathik Kavita, मेरे पथिक सुभद्रा कुमारी चौहान (subhadra kumari chauhan) द्वारा लिखित कविता है. हठीले मेरे भोले पथिक! किधर जाते हो आकस्मात। अरे क्षण भर रुक जाओ यहाँ, सोच तो लो आगे की बात॥ यहाँ के घात और प्रतिघात, तुम्हारा सरस हृदय सुकुमार। सहेगा कैसे? बोलो पथिक! सदा जिसने पाया है प्यार॥ जहाँ पद-पद … Read more

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