Tum Kavita (तुम कविता)- सुभद्रा कुमारी चौहान
Tum Kavita, तुम सुभद्रा कुमारी चौहान (subhadra kumari chauhan) द्वारा लिखित कविता है. जब तक मैं मैं हूँ, तुम तुम हो, है जीवन में जीवन। कोई नहीं छीन सकता तुमको मुझसे मेरे धन॥ आओ मेरे हृदय-कुंज में निर्भय करो विहार। सदा बंद रखूँगी मैं अपने अंतर का द्वार॥ Tum Kavita नहीं लांछना की लपटें प्रिय … Read more