TADA Full Form in Hindi, TADA: Terrorist and Disruptive Activities (Prevention) Act (आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम)
TADA का फुल फॉर्म है “Terrorist and Disruptive Activities (Prevention) Act”. इसका हिंदी मतलब है “आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम”.
TADA एक्ट नाम का यह कानून 1985 में सबसे पहले लागू किया गया था जो 1995 तक लागू था। पंजाब में बढ़ते आतंकवाद के चलते सुरक्षाबलों को विशेषाधिकार देने के लिए यह कानून (TADA Full Form) लाया गया था। मूल रूप से पंजाब में आतंकवादी गतिविधियों की रोकथाम के लिए लागू किया गया था. बाद में इस अधिनियम की मानवाधिकार संगठनों और राजनीतिक दलों द्वारा विभिन्न मामलों में आलोचना की गई थी, जिसकी वजह से मई 1995 में दुरुपयोग के व्यापक आरोपों और बढ़ती अलोकप्रियता के कारण इसे हटा दिया गया.
TADA एक्ट के महत्वपूर्ण तथ्य
- TADA सबसे पहला कानून था जिसे विशेष रूप से आतंकी गतिविधियों के प्रतिरोध के लिए लागू किया गया था। इस कानून को पंजाब में खालिस्तान के अलगाववादी आन्दोलन की पृष्ठभूमि में लाया गया था।
- शुरुआत में, इसे केवल लागू किये जाने के दो वर्षों तक पंजाब और उसके सीमावर्ती राज्यों में जारी रहना था। बाद में TADA को और अधिक कठोर और व्यापक बनाते हुए इसकी अवधि को 1987 और 1993 में बढ़ाया गया।
- 1995 में हटाये TADA कानून के इस प्रावधान को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी मगर इस कानून को संवैधानिक रूप से सही ठहराया गया। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उक्त विधि की कार्यपद्धति की समीक्षा करते हुए सुझाव दिया कि इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए क्योंकि इसमें कठोर प्रावधान किये गए थे जिसमें गंभीर रूप से प्रमाणिक कानूनी मानकों से समझौता किया गया था। यह भी देखा गया कि इसे सांप्रदायिक और कट्टरपंथी ढंग से भी इस्तेमाल किया गया था। TADA 1995 में ख़त्म हो गया।
- 1993 में फिल्म स्टार संजय दत्त पर TADA एक्ट लगाया गया था।
- जिस दिन TADA कानून लागू हुआ था उसी दिन यह अरुण गवली पर लगा दिया गया। 1994 तक TADA में 76166 लोग गिरफ्तार किए जा चुके थे और उनमे से केवल 4% पर ही बाद में अपराध साबित हुआ जिसकी वजह से TADA को 1995 में ख़त्म कर दिया गया।
TADA कानून के मुख्य प्रावधान
- TADA में आतंकवाद की परिभाषा, संदिग्धों की गिरफ्तारी, जमानत, रिमांड इत्यादि के सम्बन्ध में विशेष प्रावधान किये गए थे।
- TADA के दायरे में आने वाले प्रावधानों में से एक प्रावधान जांच से पहले की रिमांड अवधि को एक साल के लिए बढाया जाना था। इसकी परिधि में गिरफ्तार लोगों (TADA Full Form) के लिए जमानत को मुश्किल बना दिया गया था।
- इस कानून के प्रावधान का महत्वपूर्ण पक्ष पुलिस के सामने इकबालिया जुर्म को जांच के दौरान साक्ष्य के तौर पर मान लिया जाना है।
TADA के तहत गिरफ्तार होने वाले लोग
रिटायर्ड एसीपी सुरेश वालीशेट्टी के अनुसार, TADA कानून 21 जुलाई, 1990 को बना था और उसी दिन यह अरुण गवली पर लगा दिया गया । इस तरह गवली TADA में गिरफ्तार पहला आरोपी था।
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बाद में टाडा ऐक्ट 1993 के बम धमाकों के अबू सलेम सहित 123 आरोपियों पर भी लगा। इनमें से 100 उस केस में दोषी ठहराए गए। TADA कोर्ट ने इनमें से 12 को फांसी की सजा सुनाई थी। संजय दत्त पर भी TADA लगा था, लेकिन TADA कोर्ट ने बाद में उसे सिर्फ आर्म्स ऐक्ट में सजा सुनाई। 1994 तक इस TADA में 76166 लोग गिरफ्तार किया जा चुके थे। केवल 4% प्रतिशत लोग ही इसमें अपराधी साबित हुए, लेकिन इस कानून के कड़े प्रावधानों के चलते कई लोग इसमें सालों साल जेल में सड़ते रहे।
इसलिए 1995 में हटाया गया TADA कानून
इस प्रावधान को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी मगर इस कानून को संवैधानिक रूप से सही ठहराया गया। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उक्त विधि की कार्यपद्धति की समीक्षा करते हुए सुझाव दिया कि इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए क्योंकि इसमें (TADA Full Form) कठोर प्रावधान किये गए थे जिसमें गंभीर रूप से प्रमाणिक कानूनी मानकों से समझौता किया गया था। यह भी देखा गया कि इसे सांप्रदायिक और कट्टरपंथी ढंग से भी इस्तेमाल किया गया था। इसीलिए TADA 1995 में ख़त्म कर दिया गया।
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