हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है? सफलता क्या है? सफलता के असल मायने क्या हैं? What is the motto of life? What is success?

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अभी कुछ दिन पहले मेरे एक दोस्त ने मुझसे पूछा था कि अधिकतर लोग जीवन भर 9 से 5 की नौकरी से ही संतुष्ट क्यों रहते हैं? क्या उनके मन में यह कभी नहीं आता कि वो इस नौकरी से भी बेहतर कुछ कर सकते हैं? बहुत सारे लोग जिनके अंदर असीमित योग्यता होती है इसके बाद भी वो उसी नौकरी और जिंदगी में ताउम्र लगे रहते हैं? इसका कारण क्या है?

सबसे पहले तो दोस्तों मैं आप लोगों को एक कहानी सुनाना चाहता हूं जो मैंने काफी समय पहले कहीं पढ़ी थी

वह कहानी इस प्रश्न के साथ बहुत अच्छे से रिलेट करती है. तो कहानी कुछ इस तरीके से है:

एक कहानी जो आपकी जिंदगी बदल सकती है

एक बार ब्राजील में एक व्यापारी था. वह एक बहुत ही सफल व्यापारी था लेकिन हाल के एक सौदे में उसे कुछ खास लाभ नहीं हुआ था इसलिए थोड़ी उदासी में वह व्यापारी ब्राज़ील के एक छोटे से गांव में समुद्र तट पर आकर बैठ गया. तभी उसने देखा कि एक मछुआरे ने एक छोटी सी नाव किनारे लगाई जिसमें उसने कुछ बड़ी मछलियां पकड़ी थीं।

व्यवसायी बहुत प्रभावित हुआ और उसने मछुआरे से पूछा, “इतनी मछलियों को पकड़ने में आपको कितना समय लगता है?

मछुआरे ने जवाब दिया, “जी 1 घंटे या कभी-कभी थोड़ा ज्यादा”

“तो फिर आप समुद्र में लंबे समय तक क्यों नहीं रहते और इससे भी ज़्यादा मछलियां क्यों नही पकड़ते”? व्यापारी आश्चर्यचकित था।

मछुआरे ने कहा, “यह मेरे पूरे परिवार को खिलाने के लिए पर्याप्त है।” इसे बेचकर मैं अपने परिवार के लिए सारी व्यवस्था कर लेता हूँ तो फिर मुझे समुद्र में लम्बे समय तक रहने की क्या जरुरत है?

व्यापारी ने फिर पूछा, “तो, फिर आप शेष पूरे दिन में क्या करते हैं?” 

मछुआरे ने जवाब दिया, “मैं आमतौर पर सुबह जल्दी उठता हूं, समुद्र में जाता हूं और कुछ मछली पकड़ता हूं, फिर वापस आ जाता हूं और अपने बच्चों के साथ खेलता हूं। दोपहर में, मैं अपनी पत्नी के साथ थोड़ी देर तक सोता हूँ, और शाम को मैं अपने दोस्तों के साथ गांव में ड्रिंक करते हुए, देर तक गिटार बजाता हूँ, हम सब पार्टी करते हैं, गाते हैं और नृत्य करते हैं।”

व्यापारी ने मछुआरे को एक सुझाव दिया।

“मैं व्यवसाय प्रबंधन में पीएचडी हूं और मुझे बिजनेस का बहुत ही अच्छा अनुभव है. मैंने अपनी जिन्दगी को खुद बनाया है I am a self-made man. मैं आपको एक सफल व्यक्ति बनने में मदद कर सकता हूं। आप मेरी बात ध्यान से सुनिए-

अब से, आपको समुद्र में अधिक समय बिताना चाहिए और जितनी संभव हो सके उतनी ज़्यादा मछली पकड़ने की कोशिश करनी चाहिए।

“और ऐसा करके क्या होगा?” मछुवारे ने कहा

व्यापारी बोला- इस तरह से आप ज्यादा मछलियाँ इकठ्ठा कर सकते हैं और उनको बेचकर ज्यादा पैसा. जब आप पर्याप्त धन इकट्ठा कर लें, तो आप एक बड़ी नाव खरीद सकते हैं और उस नाव से और भी ज़्यादा मछली पकड़ सकते हैं।

जल्द ही आप डिब्बाबंद मछली और वितरण नेटवर्क के लिए अपनी खुद की कंपनी खड़ी कर सकते हैं, अपना खुद का उत्पादन संयंत्र स्थापित कर सकते हैं और इस तरह करके आप और अधिक नाव खरीद सकते हैं.

तब तक, आप बहुत बड़े बिजनेसमैन बन गए होंगे और इस गांव से बाहर किसी शहर चले गए होंगे, जहां आप अपनी अन्य शाखाओं का प्रबंधन करने के लिए मुख्यालय स्थापित कर सकते हैं। “

मछुआरे ने उत्सुकता से पूछा “और उसके बाद?”

व्यापारी हसंते हुए कहता है “उसके बाद, आप अपने आलीशान घर में एक राजा की तरह रह सकते हैं, और जब समय सही हो, तो आप कंपनी को सार्वजनिक कर सकते हैं और स्टॉक एक्सचेंज में अपने शेयरों को बेचकर, आप और अमीर बन सकते हैं।”

मछुआरा पूछता है “और उसके बाद?”

व्यापारी कहता है “उसके बाद, आप अंततः सेवानिवृत्त हो सकते हैं, आप चाहें तो मछली पकड़ने के लिए गांव के घर में जा सकते हैं, सुबह जल्दी उठ सकते हैं, कुछ मछली पकड़ सकते हैं, फिर बच्चों के साथ खेलने के लिए घर लौट सकते हैं, एक अच्छी दोपहर में अपनी पत्नी के साथ सो सकते हैं, और जब शाम हो तो आप अपने दोस्तों के साथ पार्टी कर सकते हैं, शराब पी सकते हैं, गिटार बजा सकते हैं, गा सकते हैं और रात भर नृत्य कर सकते हैं!”

मछुआरा कुछ देर सोचा और बोला, “तो और मैं कर क्या रहा हूँ?” मैं अभी भी तो यही कर रहा हूँ, फिर इतनी सब माथापच्ची क्यों करनी है भाई?

ये जीवन का एक दर्शन (philosophy) है. सफलता या असफलता ये खुद की हमारी सोच है. हो सकता है कि कुछ लोग इस दर्शन (philosophy) को मानते हुए अपनी 9–5 की नौकरी में ही संतुष्ट रहते हों?

और इसमें गलत क्या है?

बड़ा सोचना अच्छी बात है, बड़ा काम करना और भी अच्छी बात है लेकिन हमें पता होना चाहिए कि हम सब एक दूसरे से भिन्न हैं. सफलता के मायने हम सबके लिए एकसमान हों ये जरुरी नहीं है.

हम सबके लिए सफलता का पैरामीटर भी अलग-अलग है. और ये पैरामीटर हम लोग खुद ही अपने आप के लिए बनाते हैं. मतलब कुछ यूँ समझें कि दो दोस्त हैं. बचपन से ही दोनों साथ पढाई कर रहे हैं, एक लड़का हर समय अपने आप को पढाई में व्यस्त रखता है और दूसरा मौजमस्ती में. अब अगर पढाई समाप्त होने पर दोनों को एक ही नौकरी करने को दी जाये और दोनों की तनख्वाह भी समान हो तो क्या होगा?

दुनिया की नजर में एक लड़का सफल है और दूसरा असफल

ऐसा क्यूँ है? क्योंकि दुनिया को दोनों से उम्मीदें अलग-अलग है. और ये दुनिया की उम्मीद ही आपने अन्दर सफलता/ असफलता का डर पैदा करती है.

सफलता का असल मायने क्या है?

दोस्तों अगर आप एक बात गौर से देखें तो पाएंगे कि हमारे जिन्दगी का असली मकसद ही ख़ुशी पाना है और इसी ख़ुशी के लिए ही हम बचपन से ये सब किये जा रहे हैं. हमें पढाई करनी है, नौकरी करनी हैं, बिजनेस करना है, पैसे कमाने हैं, पॉवर बनाना है, हमें चाहें जो भी करना है उसका अंतिम उद्देश्य ख़ुशी ही है.

तो एक बात हमेशा गाँठ बाँध लीजिये कि अगर आप अपने काम से, अपनी कमाई से, अपने रिश्तों, संबंधों से खुश हैं तो आप की जिन्दगी सफल है. आपने सफलता प्राप्त कर लिया है.

किसी बड़े दार्शनिक ने कहा है कि- “अगर आप अपने काम से खुश नहीं हैं तो आप समय ख़राब कर रहें हैं” ये आपके किसी काम नहीं आने वाला, क्योंकि अंततः इससे आपको निराशा मिलेगी और उस निराशा से दुःख. और जैसा कि मैंने पहले ही जिन्दगी का असली मकसद बताया है “ख़ुशी” तो उससे आप दूर होते जायेंगे

दोस्तों अगर आपको ये आर्टिकल अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों से साथ शेयर कीजिये. सबको अच्छा पढने के लिए प्रोत्साहित कीजिये और जीवन में सिर्फ वो काम ही कीजिये जिससे आपको ख़ुशी मिले. समय बहुत कम है और ये दोबारा कभी लौट के नहीं आने वाला इसलिए इसका सदुपयोग कीजिये

आते रहिये, पढ़ते रहिये, पढाते रहिये

हँसते रहिये, मुस्कुराते रहिये  

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