Paryawaran Environment Natural Resources Hindi / पर्यावरण व प्राकृतिक संसाधन / Environment and Natural Resources in Hindi
पर्यावरण (Environment in Hindi)
पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है- (परि+आवरण) जहाँ ‘परि’ शब्द का अर्थ है- ‘चारों ओर तथा ‘आवरण’ शब्द का अर्थ है- ‘ढका हुआ’। अतः हम कह सकते हैं कि व्यक्ति के चारों ओर जो कुछ भी है वह उसका पर्यावरण है।
पर्यावरण का अध्ययन दो भागों के माध्यम से करते हैं:
1. वैज्ञानिक पर्यावरण
2. सामाजिक पर्यावरण
वैज्ञानिक पर्यावरण वह पर्यावरण है जो विज्ञान से संबंधित समस्त विषय वस्तु का अध्ययन करता है। जबकि सामाजिक पर्यावरण ‘सामाजिक विषय वस्तु’से संबंधित है। Paryawaran Environment Natural Resources Hindi
पर्यावरण की परिभाषा (Definitions of Environment in Hindi)
कुछ विद्वानों के अनुसार पर्यावरण की परिभाषाएं निम्न प्रकार हैं:
1- वुडवर्थ के अनुसार – पर्यावरण में वे तत्व आते हैं जिसने व्यक्ति को जीवन आरंभ करने के समय से प्रभावित किया है।
2- निम्बर्ट के अनुसार – पर्यावरण वह सब कुछ है जो व्यक्ति को चारों ओर से घेरे हुए है।
पर्यावरण का स्वरूप (Form of Environment)
मनुष्य के जीवन को प्रभावित करने वाली परिस्थितियां निम्नलिखित है:
1- प्राकृतिक
2- सामाजिक
3- आर्थिक
4- सांस्कृतिक
प्राकृतिक संसाधन (Natural Resources in Hindi)
ऐसे पदार्थ जो मनुष्य को प्रकृति द्वारा निशुल्क प्राप्त होते हैं उन्हें ‘प्राकृतिक संसाधन’ कहते हैं। जैसे मिट्टी, जल,वायु, वनस्पति ,जीव -जंतु और खनिज पदार्थ प्राकृतिक संसाधन के अंतर्गत आते हैं ।यह समस्त वस्तुएं मानव के लिए अत्यंत उपयोगी है ।मानव ही समस्त प्राकृतिक संसाधनों का उपभोगता ,सृजनकर्ता और विनाश कर्ता है ।इस तरह से प्रकृति के समस्त वस्तुएं जो स्वयं से निर्मित होती है जिन्हें मनुष्य उत्पन्न नहीं करता बल्कि अपनी तकनीकी ज्ञान से उपयोगी और अपनी आवश्यकता पूर्ति का साधन बना लेता है ,यह प्राकृतिक संसाधन कहलाता है ।लेकिन जो संसाधन मनुष्य के लिए अभी उपयोगी नहीं है उन्हें ‘सम्भाव संसाधन’ कहते हैं। Paryawaran Environment Natural Resources Hindi
प्राकृतिक संसाधनों की प्रमुख्य विशेषताएं:
1- प्राकृतिक संसाधन निष्क्रिय होते हैं परंतु जब ये मनुष्य के संपर्क में आते हैं तो सक्रिय होकर मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।
2- प्राकृतिक संसाधन किसी न किसी रूप में देश के आर्थिक विकास में मदद करते हैं।
3- मानव के संपर्क में आकर प्राकृतिक संसाधन उपयोगी बनते हैं ।और मानव के किसी न किसी कार्य की पूर्ति करते हैं।
4- कुछ प्राकृतिक संसाधनों का भंडार सीमित है- जैसे- कोयला ,खनिज तेल, प्राकृतिक गैस, लकड़ी आदि ।परंतु कुछ प्राकृतिक संसाधनों का भंडार असीमित होता है जैसे -जल, वायु और सौर ऊर्जा(Solar energy)।
5- प्राकृतिक संसाधन प्रकृति द्वारा मनुष्य को प्राप्त नि:शुल्क उपहार है।
6- प्राकृतिक संसाधनों में विविधता पाई जाती है।
7- देश में पाए जाने वाले प्राकृतिक संसाधनों का तेजी से दोहन हो रहा है।जिसकी मात्रा समाप्ति के कगार पर है।तथा समय रहते हुए इसके संरक्षण पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
प्राकृतिक संसाधनों का अध्ययन हम निम्नलिखित चार शीर्षकों के अंतर्गत करेंगे:
1- भूमि संसाधन (Land Resources)
2- जल संसाधन (Water Resources)
3- शक्ति के संसाधन (Power Resources)
4- खनिज संसाधन (Mineral Resources)
1- भूमि संसाधन (Land Resources in Hindi)
हमारे जीवन के समस्त प्राकृतिक संसाधनों में भूमि सबसे मुख्य और आधारभूत संसाधन है। अन्य समस्त संसाधनों का जन्म, विकास और उपयोग भूमि पर ही होता है ।भूमि संसाधन का मतलब पृथ्वी से है जिस पर समस्त जीव निवास करते हैं और जीवन की समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं ।जैसे – रोटी ,कपड़ा ,मकान, और वस्तु आदि को पूरा करते हैं ।भारत का समस्त भौगोलिक क्षेत्रफल 32.8 करोड़ हेक्टेयर है। देश के कुल भूमि उपयोग संबंधी आंकड़ों के अनुसार 92.7 %भूमि उपयोग की जानकारी उपलब्ध है ।तथा इस तरह से भूमि के उपयोग के प्रारूप में समय- समय पर बदलाव आते रहते हैं।
भूमि के प्रकार (Types of Land)
भूमि निम्न चार प्रकार की होती हैं:
1- कृषि योग्य भूमि
2- चारागाह भूमि
3- वन भूमि
4- बंजर भूमि
2- जल संसाधन (Water Resources)
भूमि के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण संसाधन जल है। पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी प्रकार के जल ,जल संसाधन के अंतर्गत आते हैं। तथा इस प्रकार पृथ्वी के नीचे और ऊपर पाए जाने वाले सभी प्रकार के जल को जल संसाधन कहते हैं। जैसे – पर्वतों पर जल बर्फ के ठोस रूप में रहता है ,वायुमंडल में जल वाष्प के रूप में रहता है , तथा पृथ्वी पर जल तरल रूप में पाया जाता है।
जल के प्रकार (Types of Water)
जल के निम्नलिखित प्रकार पाए जाते हैं:
1- अधोभौमिक जल
2- वर्षा का जल
3- नदी का जल
3- शक्ति के संसाधन ( Power Resources in Hindi)
देश के औद्योगिककरण में कारखानों को चलाने के लिए किसी न किसी चालक या शक्ति के साधन की आवश्यकता पड़ती है ।वह पदार्थ जिनसे मशीनों को चलाने के लिए शक्ति प्राप्त होती है ‘शक्ति के साधन’ कहलाते हैं ।प्राचीन काल से ही मानव शक्ति के साधनों को खोजने का कार्य जारी रखा है सर्वप्रथम छोटे-मोटे कार्यों के लिए लकड़ी के कोयले का प्रयोग करते थे, बाद में पत्थर के कोयले ,खनिज तेल, वायुजल तथा जल-विद्युत द्वारा उद्योगों पर संचालन करना सीख लिया।
भारत के शक्ति -स्रोतों का अभी पूर्णरुप से विकास नहीं हुआ है ।भारत अपनी आवश्यकता के अनुसार खनिज तेल एवं जल- विद्युत शक्ति के उत्पादन की मात्रा बढ़ा रहा है ,किंतु विश्व के उन्नतशील देशों की तुलना में भारत में शक्ति का उत्पादन अभी कम है ।वह संसाधन जो पृथ्वी के अंदर से प्राप्त होते हैं उनकी मात्रा सीमित होती है इसलिए इनका उपयोग आवश्यकतानुसार करना चाहिए।
जैसे – कोयला ,पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की उत्पत्ति जैविक पदार्थों से हुई है ।इसलिए इन्हें ‘जीवाश्म ईंधन’ कहते हैं इन पदार्थों को पृथ्वी से निकालने के बाद साफ करके उपयोग किया जाता है।
शक्ति के संसाधन निम्नलिखित प्रकार के होते हैं:
1- कोयला
2- पेट्रोलियम
3- प्राकृतिक गैस
4- परमाणु खनिज
4- खनिज संसाधन (Mineral Resources)
जो पदार्थ पृथ्वी के धरातल से खोदकर निकाले जाते हैं उन्हें ‘खनिज’ कहते हैं ।प्राकृतिक संसाधनों में खनिज का महत्वपूर्ण स्थान है। खनिज कि अपनी विशेष रचना व भौतिक गुण होते हैं ।देश के आर्थिक विकास और औद्योगिक विकास में खनिज की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कुछ खनिज संसाधन पृथ्वी के ऊपरी भाग व कुछ सागर की तली से निकाले जाते हैं। सभ्यता की शुरुआत से ही मानव विभिन्न खनिजों का इस्तेमाल करता चला आ रहा है ।पहले मनुष्य ने ताँबे और काँसे का प्रयोग करना सीखा जिसे कांस्य युग या ताम्र युग के नाम से जाना जाता है। बाद में लौह अयस्क की खोज की गई जिससे मजबूत और टिकाऊ सामान बनाने लगे। वर्तमान समय में लोहे का सबसे अधिक प्रयोग होता है ।जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इसका प्रयोग होता है इसलिए वर्तमान युग को ‘लौहयुग’ की संज्ञा दी गई है। Paryawaran Environment Natural Resources Hindi
भारत में सबसे अधिक खनिज दक्षिण के पठार के पूर्वोत्तर एवं पश्चिमोत्तर भाग में पाया जाता है। खनिज धातुओं की दृष्टि से छोटा नागपुर का पठार भारत का सबसे धनी प्रदेश है। यहां पर लौह अयस्क (Iron ore) अभ्रक तथा मैगनीज आदि औद्योगिक धातुएँ निहित है ।भारत में राजस्थान के मरुस्थलीय भागों में बालू की तहों में सीसा, जस्ता और तांबा पाया जाता है ।भारत खनिज की दृष्टि से अत्यंत संपन्न देश है परंतु इसका पुर्ण उपयोग नहीं हो पा रहा है।
खनिज के प्रकार (Types of Minerals in Hindi)
भारत में दो प्रकार के खनिज पाई जाती है:
1- धात्विक खनिज (Metallic Mineral)
जिन खनिजों से धातुओं की प्राप्ति होती है,उन्हें धात्विक खनिज कहते हैं ।
जैसे – लोहा, तांबा ,सोना ,चांदी आदि ।
2- अधात्विक खनिज (Nonmetallic Mineral)
जिन खनिजों से धातुओं की प्राप्ति नहीं होती है, उसे अधात्विक खनिज कहते हैं ।इसमें इमारतें बनाने के पत्थर ,खनिज रसायन व रत्न मुख्य हैं।
जैसे – गंधक, पोटाश, जिप्सम और ग्रेफाइट आदि हैं।
इसे भी पढ़ें: भारत के प्रमुख खनिज संसाधन
भारत में पाए जाने वाले कुछ मुख्य खनिजों के नाम
1- लौह-अयस्क
2- अभ्रक
3- मैगनीज
4- बॉक्साइट
5- तांबा
6- सोना
जानकारी के लिए धन्यवाद
पढने के लिए धन्यवाद. पढ़ते रहिये और अपने दोस्तों से भी शेयर कीजिये.