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Panipat Second Battle Hindi पानीपत का द्वितीय युद्ध

Panipat Second Battle Hindi,  पानीपत का द्वितीय युद्ध या पानीपत की दूसरी लड़ाई 5 नवंबर 1556 ईसवी को अफगान बादशाह आदिलशाह के हिंदू सेनापति और मंत्री हेमू तथा मुगल शासक अकबर के बीच में हुई.

इसे भी पढ़ें: पानीपत का प्रथम युद्ध 

हेमू के पास अकबर से बहुत बड़ी सेना थी. उसके पास 1500 हाथी भी थे. हेमू इस युद्ध में बहुत वीरतापूर्वक लड़ा और प्रारंभ में मुगल सेना को नाकों चने चबवा दिया. युद्ध के शुरुवात में उसे सफलता भी प्राप्त हुई लेकिन इसे संयोग ही कहेंगे कि तभी एक तीर हेमू की एक आंख में घुस गया और वह घटनास्थल पर ही अचेत होकर गिर पड़ा. हेमू के गिरने के बाद सेना में भगदड़ मच गई और उसकी सेना भाग खड़ी हुई. मुगल सैनिकों ने हेमू को गिरफ्तार कर लिया और उसे किशोर अकबर के सामने पेश किया गया.

अकबर ने अपने सेनापति बैरम खां के कहने पर हेमू का सिर धड़ से अलग कर दिया. इस प्रकार पानीपत की दूसरी लड़ाई के बाद दिल्ली और आगरा अकबर के कब्जे में आ गए. यह एक तरह से निर्णायक लड़ाई थी और इस लड़ाई के बाद दिल्ली के तख्त के लिए मुगलों और अफगानों के बीच में चलने वाला युद्ध अंतिम रूप से मुगलों के पक्ष में निर्णित हो गया तथा अगले 300 सालों तक दिल्ली का तख्त मुगलों के पास रहा

Panipat Second Battle Hindi

पानीपत के द्वितीय युद्ध की पृष्ठभूमि

  • 24 जनवरी 1556 को मुगल शासक हुमायूं का दिल्ली में निधन हो गया और इस प्रकार उसके किशोर बेटे को दिल्ली की गद्दी मिली. उस समय अकबर केवल 13 साल का था.
  • 14 फरवरी 1556 को पंजाब के कलानौर में उसका राज्यभिषेक हुआ. इस समय तक मुगल शासन केवल काबुल, कंधार, दिल्ली और पंजाब के कुछ हिस्सों तक ही सीमित था अकबर अपने संरक्षक बैरम खान के साथ काबुल में था
  • इधर 1556 ईसवी में ही दिल्ली की एक लड़ाई में हेमू ने अकबर की सेना को पराजित कर दिया था और उसके बाद समस्त उत्तर भारत का शासक बन गया था इससे पहले हेमू अफगान शासक आदिलशाह की सेना के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के रुप में भी काम किया था.
  • हेमू एक हिंदू था तथा बहुत ही बहादुर सेनापति था. उसने 1553 से 1556 के दौरान आदिलशाह की सेना के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री रहते हुए पंजाब से बंगाल तक सारे युद्ध जीते थे
  • जनवरी 1556 में जब हुमायूं की मौत हुई उस समय हेमू बंगाल के शासक मोहम्मद शाह को मारकर वहां के विद्रोह पर काबू पा लिया था.
  • हुमायूं की मौत के बारे में सुनते ही उसने अपने सेनानायकों को वहां पर कब्जा करने के लिए भेजा. उन्होंने उत्तरी भारत में कई युद्ध करते हुए आगरा पर हमला किया. आगरा का मुग़ल सेनापति वहां से युद्ध किए बिना ही भाग खड़ा हुआ और हेमू ने इटावा कालपी और आगरा प्रांतों को अपने कब्जे में कर लिया.
  • ग्वालियर में हेमू ने सेना में हिंदुओं की भर्ती करके अपनी सेना को और मजबूत कर लिया.
  • हेमू पहले ही दिल्ली तुग़लकाबाद की लड़ाई में मुगल सेना को 6 अक्टूबर को हरा दिया था और लगभग 3000 मुगलों को मार डाला था.
  • मुगल कमांडर तारडी बेग हेमू के कब्जे में दिल्ली को छोड़कर बचे-खुचे सैनिकों के साथ भाग गया था. अगले दिन दिल्ली के पुराना किला में हेमू का राज्याभिषेक किया गया.
  • यह मुस्लिम शासन के 350 सौ वर्षों के बाद उत्तर भारत में फिर से हिंदू शासन स्थापित हुआ. हालांकि इसकी परिणीति अच्छी नहीं रही और यह सिर्फ कुछ दिनों का ही रहा.

Panipat Second Battle Hindi

पानीपत का द्वितीय युद्ध (The second battle of Panipat)

दिल्ली और आगरा पर हेमू के कब्जे से कलानौर में मुगल परेशान हो उठे. उधर अकबर के कई मुगल जनरलों ने उसको यह सुझाव दिया कि हमें हेमू की विशाल सेना को चुनौती दिए बगैर काबुल की तरफ लौट जाना चाहिए. अकबर का सेनापति बैरम खान इस युद्ध के पक्ष में था.

अकबर की सेना ने 5 नवंबर को दिल्ली की ओर कुछ कूच किया और पानीपत के मैदान पर उनका हेमू से सामना हुआ. ठीक 30 साल पहले 1526 ईस्वी में इसी मैदान में अकबर के दादा बाबर ने पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हराया था.

बैरम खान की रणनीति

युद्ध के मैदान में बैरम खान की रणनीति के तहत अकबर को लड़ाई में भाग नहीं लेने दिया गया और वह युद्ध क्षेत्र से 5 कोस दूर बैरम खान के साथ तैनात था. बैरम खां का मानना था कि एक 13 साल के किशोर को युद्ध के मैदान में नहीं जाना चाहिए इसके बजाय उसने 5000 सबसे योग्य और सबसे वफादार सैनिकों के एक विशेष दस्ते के साथ लड़ाई के इलाके से एक सुरक्षित दूरी पर तैनात किया.

अकबर को बैरम खान ने निर्देश दिया था कि अगर युद्ध के मैदान में मुगलों की हार हो जाती है तो वह काबुल की ओर प्रस्थान कर जाए

हेमू ने अपनी सेना का स्वयं नेतृत्व किया वह अब तक अजेय था और उसकी पिछली सफलताओं ने उसके गर्व और घमंड को बहुत बढ़ा दिया था उसकी सेना में 1500 हाथी, तोपखाने और 30000 से अधिक राजपूत और अफगान अश्वारोही सैनिक थे.

Panipat Second Battle Hindi

युद्ध की परिणीति

जैसा कि पहले ही मैंने बताया कि युद्ध में हेमू की आंख में तीर लगने की वजह से उसकी सेना में अफरा तफरी मच गई और बड़ी संख्या होने के बावजूद भी उसे हार का सामना करना पड़ा.

  • हेमू को गिरफ्तार कर लिया गया और उसे मौत की सजा दी गई.
  • अकबर ने उसका सिर काटकर काबुल के दिल्ली दरवाजा पर प्रदर्शन के लिए भेजा और उसके धड़ को दिल्ली के पुराना किला के बाहर लटका दिया गया ताकि हिंदुओं में खौफ बना रहे.
  • हेमू की पत्नी खजाने के साथ पुराने किला से भाग गई और उसका कोई पता नहीं चला.
  • बैरम खान ने हिंदुओं की सामूहिक हत्या का आदेश दिया जो सालों तक चलता रहा.
  • हेमू के रिश्तेदारों, करीबी अफगान समर्थकों को पकड़ लिया गया और उनको मौत की सजा दी गई.
  • कई स्थानों पर उनके कटे हुए सिरों की मीनार बनवाई गयी.
  • हेमू का 82 वर्षीय पिता भाग गया था लेकिन 6 महीने बाद उसको पकड़ लिया गया और इस्लाम कबूल करने से मना करने पर मौत की सजा दे दी गई.

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