Navratri par kalash sthapana / नवरात्रि पर क्यों स्थापित किया जाता है कलश? क्या है इसमें जल भरने और जौ बोने का महत्व?
हिंदू सनातन धर्म के अनुसार, नवरात्रि में कलश स्थापना का बहुत महत्व माना गया है. नवरात्रि के अलावा, किसी शुभ कार्य विवाह, गृहप्रवेश आदि में भी कलश पूजन किया जाता है। इस बार 17 अक्तूबर से नवरात्रि आरंभ हो रही है। नवरात्रि में मां के नौ स्वरुपों की चौकी सजाकर पूजा की जाती है। नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री के पूजन के साथ घटस्थापना करने का प्रावधान है। मां की चौकी लगाते समय घटस्थापना अवश्य की जाती है। इसके लिए मिट्टी का कुंभ, तांबे या फिर चांदी का लोटा लिया जाता है। उसके ऊपर स्वास्तिक का चिह्न बनाया जाता है और नारियल स्थापित किया जाता है। विधि-विधान के साथ पूजन करके कलश स्थापित करते हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि कलश क्यों स्थापित किया जाता है, स्वास्तिक और नारियल लगाने का क्या महत्व है? मिट्टी या बालू की वेदी बनाकर जौ बोने के पीछे कौन सी मान्यताएं हैं? Navratri par kalash sthapana
इस लेख में हम इन सब के बारे में जानेंगे:
नवरात्रि में कलश स्थापना का महत्व (Navratri par kalash sthapana)
नवरात्रि में स्थापित किया जाने वाला कलश मध्य स्थान से गोलाकार और इसका मुख छोटा होना चाहिए। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कलश के मुख में विष्णु, कंठ में महेश और मूल में सृष्टि के रचियता ब्रह्मा जी का स्थान माना गया है। कलश के मध्य स्थान में मातृशक्तियों का स्थान माना गया है। कलश को तीर्थो का प्रतीक मानकर पूजा जाता है। एक तरह से कलश स्थापना करते समय विशेष तौर पर देवी-देवताओं का एक जगह आवाह्न किया जाता है।
कलश में क्यों भरा जाता है जल?
शास्त्रों के अनुसार खाली कुंभ को अशुभ माना गया है। इसलिए कलश में जल भरकर रखा जाता है। भरे हुए कलश को संपन्नता का प्रतीक भी माना जाता है। मान्यता है जल भरे हुए कलश को घर में रखने से संपन्नता आती है। कलश में भरा गया जल मन का कारक माना गया है, कलश के पवित्र जल की तरह हमारा मन भी स्वच्छ और निर्मल बना रहे। ताकि मन में किसी प्रकार की घृणा, क्रोध और मोह की भावना का कोई स्थान न हो। Navratri par kalash sthapana
कलश पर नारियल रखने का महत्व
स्थापित कलश के ऊपर लाल रंग के कपड़े में नारियल लपेटकर रखा जाता है। नारियल को गणेश जी का प्रतीक मानकर पूजा जाता है। जिस तरह से सभी कार्यों में गणेश जी का पूजन किया जाता है उसी तरह से पूजा में सबसे पहले कलश पूजन होता है। नारियल पूजन से पूजा पूर्ण मानी जाती है।
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कलश पर स्वास्तिक का चिह्न बनाने का महत्व
स्वास्तिक को भी गणेश जी का प्रतीक माना गया है। भारत में हर शुभ कार्य में स्वास्तिक बनाने की परंपरा सदियों पुरानी है। मान्यता के अनुसार, इस चिह्न को बनाने से शुभता आती है। इसलिए घर के दरवाजों पर भी स्वास्तिक बनाया जाता है। कलश पर बनाया गया स्वस्तिष्क चिह्न हमारे जीवन की 4 अवस्थाओं, बाल्यवस्था, युवावस्था, प्रौढ़ावस्था और वृद्धावस्था को दर्शाता है।
कलश के उपर जौ क्यों बोये जाते हैं?
नवरात्रि में कलश स्थापना करते समय जौ बोने की भी परम्परा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सृष्टि के निर्माण के बाद सबसे पहली फसल जौ थी इसलिए इसे पूर्ण फसल माना जाता है। इसके पीछे यह मान्यता भी है कि जौ को सुख-समृद्धि और संपन्नता का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि अगर जौ तेजी से और घनत्व के साथ बढ़ते हैं तो सुख-संपन्नता आती है. Navratri par kalash sthapana
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