कर्क रेखा (Karka Rekha) एक काल्पनिक रेखा है जो उत्तरी गोलार्ध में भूमध्य रेखा के समानान्तर 23°26′22″N 0°0′0″W पर, ग्लोब पर पश्चिम से पूर्व की ओर खींची गई है। यह रेखा पृथ्वी पर उन पांच प्रमुख अक्षांश रेखाओं में से एक हैं जो पृथ्वी के मानचित्र पर परिलक्षित होती हैं।
Karka Rekha
पृथ्वी की पांच प्रमुख अक्षांश रेखाएं
- विषुवत रेखा या विषुवत वृत्त या इक्वेटर (0°)
- कर्क रेखा (Tropic of Cancer) – यह उत्तरी गोलार्ध में 23½° N में स्थित है।
- मकर रेखा (Tropic of Capricorn) – यह दक्षिणी गोलार्द्ध 23½° S में स्थित है।
- आर्कटिक वृत्त/रेखा/गोला – यह विषुवत वृत्त के उत्तर में 66½° N अक्षांश पर स्थित है।
- अंटार्कटिक वृत्त/रेखा/गोला – यह विषुवत वृत्त के दक्षिणी भाग में 66½° S अक्षांश पर स्थित है।
कर्क रेखा से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य
- कर्क रेखा पृथ्वी की उत्तरतम अक्षांश रेखा हैं, जिसपर सूर्य दोपहर के समय लम्बवत चमकता हैं। यह घटना जून क्रांति के समय होती है, जब उत्तरी गोलार्ध सूर्य के समकक्ष अत्यधिक झुक जाता है।
- कर्क रेखा की स्थिति स्थायी नहीं हैं वरन इसमें समय के अनुसार बदलाव होता रहता है।
- 21 जून को जब सूर्य इस रेखा के एकदम ऊपर होता है, उत्तरी गोलार्ध में वह दिन सबसे लंबा व रात सबसे छोटी होती है।
- यहां इस दिन सबसे अधिक गर्मी होती है (स्थानीय मौसम को छोड़कर), क्योंकि सूर्य की किरणें यहां एकदम लंबवत पड़ती हैं।
- कर्क रेखा के क्षेत्र में सूर्य की किरणें अधिकतम लंबवत पड़ती हैं और इस समय कर्क रेखा पर स्थित क्षेत्रों में परछाईं एकदम नीचे छिप जाती है या कहें कि नहीं बनती है। इस कारण इन क्षेत्रों को अंग्रेज़ी में नो शैडो ज़ोन (No shadow Zone) कहा गया है।
- कर्क रेखा के समानान्तर दक्षिणी गोलार्ध में भी एक रेखा होती है जो मकर रेखा कहलाती हैं।
- भूमध्य रेखा, कर्क रेखा और मकर रेखा दोनो के बीचो-बीच स्थित होती हैं।
- कर्क रेखा से मकर रेखा के बीच के स्थान को उष्णकटिबन्ध कहा जाता हैं।
कर्क रेखा (Karka Rekha) को कर्क रेखा ही क्यों कहा जाता है?
इस रेखा को कर्क रेखा इसलिए कहा जाता है क्योंकि जून क्रांति के समय सूर्य की स्थिति कर्क राशि में होती हैं।
जब सूर्य की स्थिति मकर रेखा से कर्क रेखा की ओर बढती है उसे उत्तरायण एवं जब कर्क रेखा से मकर रेखा की ओर वापस होती है उसे दक्षिणायन कहते हैं। इस प्रकार वर्ष 6-6 माह के में दो आयन होते हैं।
कर्क रेखा (Karka Rekha) किन देशों से होकर गुजरती है?
भारत में कर्क रेखा उज्जैन शहर से होकर गुजरती है। यही कारण था कि जयपुर के महाराजा जयसिंह द्वितीय (जो खुद एक महान खगोलविद थे) ने यहां खगोल शास्त्र के अध्ययन के लिए एक वेधशाला बनवाई जिसे जंतर मंतर कहते हैं। यह स्थान काल-गणना के लिए एकदम सटीक माना जाता है। भारत के अधिकतर हिन्दू पंचांग यहीं से निकलते हैं।
कर्क रेखा विश्व के निम्नलिखित देशों से होकर (पश्चिम से पूर्व की ओर) गुज़रती है:
- संयुक्त राज्य अमेरिका (हवाई) – केवल सागर, कोई भी द्वीप इस रेखा पर नहीं है। यह निहोआ एवं नेकर द्वीपों के बीच से निकलती है।
- मैक्सिको, मज़ातलान, प्रशांत महासागर के उत्तर में
- बहामास
- पश्चिमी सहारा (मोरोक्को द्वारा दावा किया गया।)
- मुरितानिया
- माली
- अल्जीरिया
- नाइजर
- लीबिया
- चाड – इसका उत्तरतम क्षेत्र कर्क रेखा द्वारा सीमित है।
- मिस्र
- सऊदी अरब
- संयुक्त अरब इमारात
- ओमान
- भारत
- बांग्लादेश
- म्यांमार
- चीन, मात्र गुआंगज़ोऊ के उत्तर से
- ताइवान
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