Jhilmil tare Kavita, झिलमिल तारे सुभद्रा कुमारी चौहान (subhadra kumari chauhan) द्वारा लिखित कविता है.
कर रहे प्रतीक्षा किसकी हैं
झिलमिल-झिलमिल तारे?
धीमे प्रकाश में कैसे तुम
चमक रहे मन मारे।।
अपलक आँखों से कह दो
किस ओर निहारा करते?
किस प्रेयसि पर तुम अपनी
मुक्तावलि वारा करते?
Jhilmil tare Kavita
करते हो अमिट प्रतीक्षा,
तुम कभी न विचलित होते।
नीरव रजनी अंचल में
तुम कभी न छिप कर सोते।।
जब निशा प्रिया से मिलने,
दिनकर निवेश में जाते।
नभ के सूने आँगन में
तुम धीरे-धीरे आते।।
विधुरा से कह दो मन की,
लज्जा की जाली खोलो।
क्या तुम भी विरह विकल हो,
हे तारे कुछ तो बोलो।
मैं भी वियोगिनी मुझसे
फिर कैसी लज्जा प्यारे?
कह दो अपनी बीती को
हे झिलमिल-झिलमिल तारे!
इसे भी पढ़ें: सुभद्रा कुमारी चौहान का सम्पूर्ण जीवन परिचय
Leave a Reply