Jalvayu Mausam Climate Hindi / भारत की जलवायु / Climate of India in Hindi
जलवायु (Climate): किसी क्षेत्र में लम्बे समय तक जो मौसम की स्थिति होती है, उसे उस स्थान की जलवायु कहते हैं. भारत की जलवायु उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु है.
मौसम (Weather): किसी स्थान पर थोड़े समय की जैसे 1 दिन या 1 सप्ताह की वायुमंडलीय अवस्था को वहाँ का मौसम कहते हैं. Jalvayu Mausam Climate Hindi
भारत में मौसम सम्बन्धी सेवा सन 1875 ईस्वी में आरम्भ की गयी थी. तब इसका मुख्यालय शिमला में था. प्रथम विश्व युद्ध के बाद इसका मुख्यालय पुणे लाया गया. अब भारत के मौसम सम्बन्धी मानचित्र वहीँ से प्रकाशित होते हैं
भारतीय जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक
भारतीय जलवायु को मानसून के अलावा प्रभावित करने वाले 2 प्रमुख कारक हैं:
1. उत्तर में हिमालय पर्वत: इसकी उपस्थिति के कारण मध्य एशिया से आने वाली शीतल हवाएं भारत में नहीं आ पाती हैं
2. दक्षिण में हिन्द महासागर: इसकी उपस्थिति एवं भूमध्य रेखा की समीपता के कारण उष्ण कटिबंधीय जलवायु अपने आदर्श स्वरुप में पाई जाती है.
भारत की ऋतुयें (Seasons in India)
मानसूनी पवनों द्वारा समय-समय पर अपनी दिशा पूर्णतया बदल लेने के कारण भारत में मुख्यत: 4 तरह की ऋतुएं पाई जाती हैं:
1. शीत ऋतु (15 दिसम्बर से 15 मार्च )
2. ग्रीष्म ऋतु (16 मार्च से 15 जून)
3. वर्षा ऋतु (16 जून से 15 सितम्बर)
4. शरद ऋतु (16 सितम्बर से 14 दिसम्बर)
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नोट: यह तिथियाँ एक सामान्य सीमारेखा को तय करती हैं, मानसून पवनों के आगमन और प्रत्यावर्तन में होने वाला बिलम्ब इनको प्रभावित कर सकता है
भारतीय जलवायु की महत्वपूर्ण बातें (Important points about Indian climate)
1. उत्तर भारत के मैदानी भागों में शीत ऋतु में वर्षा पश्चिमी विक्षोभ या जेट स्ट्रीम के कारण होती है.
2. जाड़े के दिनों में (जनवरी फ़रवरी महीनों में) तमिलनाडु के तटों पर वर्षा लौटती हुयी मानसून या उत्तरपूर्वी मानसून के कारण होती है
3. ग्रीष्म ऋतु में असम एवं पश्चिम बंगाल राज्यों में तीव्र आर्द्र हवाएं चलने लगती हैं, जिनसे गरज के साथ वर्षा हो जाती है. इन हवाओं को पूर्वी भारत में नारवेस्टर एवं बंगाल में काल बैशाखी के नाम से जाना जाता है. कर्नाटक में इसे चेरी ब्लोसम कहा जाता है, जो कॉफ़ी और आम की खेती के लिए बहुत लाभदायक होती है . आम की खेती के लिए लाभदायक होने के कारण इसे दक्षिण भारत में आम्र वर्षा (Mango Shower) भी कहते हैं.
4. उत्तर-पश्चिम भारत के शुष्क भागों में ग्रीष्म ऋतु में चलने वाली गर्म और शुष्क हवाओं को लू (Loo) कहा जाता है.
5. वर्षा ऋतु में उत्तर पश्चिमी भारत तथा पाकिस्तान में उष्ण दाब का क्षेत्र बन जाता है, जिसे मानसून गर्त कहते हैं. इसी समय उत्तरी अंत: उष्ण अभिसरण (NITC) उत्तर की ओर खिसकने लगती है, जिसके कारण विषुवत रेखीय पछुवा पवन एवं दक्षिणी गोलार्ध की दक्षिण-पूर्वी पवन विषुवत रेखा को पार करके फेरेल के नियम का अनुसरण करते हुए भारत में प्रवाहित होने लगती है, जिसे दक्षिण पश्चिम मानसून के नाम से जाना जाता है. भारत की अधिकांश वर्षा (80%) इसी मानसून से होती है. Jalvayu Mausam Climate Hindi
6. भारत की प्रायद्वीपीय आकृति के कारण दक्षिण-पश्चिम का मानसून दो शाखाओं में विभाजित हो जाता है. 1. अरब सागर की शाखा तथा 2. बंगाल की खाड़ी की शाखा
7. अरब सागर शाखा का मानसून सबसे पहले भारत के केरल राज्य में जून के प्रथम सप्ताह में आता है यहाँ यह पश्चिमी घाट पर्वत से टकराकर केरल के तटों पर वर्षा करता है. इसे मानसून प्रस्फोट (Mansoon Brust) कहा जाता है.
गारो, खासी, और जयंतिया पहाड़ियों पर बंगाल की खाड़ी से आने वाली हवाएं (दक्षिण- पश्चिम मानसून की शाखा) अधिक वर्षा लाती है. (लगभग 1141 सेमी.)
मानसून की अरब सागर शाखा तुलनात्मक रूप से अधिक शक्तिशाली होती है. दक्षिण पश्चिम मानसून द्वारा लाये गए आर्द्रता का 65% भाग अरब सागर से तथा 35% भाग बंगाल की खाड़ी से आता है
8. अरब सागरीय मानसून की एक शाखा सिंध नदी के डेल्टा क्षेत्र से आगे बढ़कर राजस्थान के मरुस्थल से होती हुयी सीधे हिमालय पर्वत से जा टकराती है और वहाँ धर्मशाला के निकट अधिक वर्षा कराती है. राजस्थान में इसके मार्ग में अवरोध ना होने के कारण यहाँ कम वर्षा होती है, क्योंकि अरावली पर्वत माला इनके समानांतर पड़ती है
9. तमिलनाडु पश्चिमी घाट के पर्वत वृष्टि छाया क्षेत्र में पड़ता है अत: यहाँ दक्षिण पश्चिम मानसून द्वारा काफी कम वर्षा होती है.
10. शरद ऋतु को मानसून प्रत्यावर्तन का काल (Retreating Mansoon Season) कहा जाता है. इस ऋतु में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति होती है. इन चक्रवातों से पूर्वी तटीय क्षेत्रों में मुख्यत: आँध्रप्रदेश, उड़ीसा तथा पश्चिमी तटीय क्षेत्र गुजरात में काफी क्षति पहुँचती है. Jalvayu Mausam Climate Hindi
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