Important Information about Puran (पुराणों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी)

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Important Information about Puran

Important Information about Puran in Hindi / परीक्षा की दृष्टि से पुराणों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी

प्राचीन भारतीय संस्कृत-साहित्य में पुराणों का स्थान (Important Information about Puran) बहुत महत्वपूर्ण, विशाल और गौरवमय है. वेदों के बाद पुराणों की ही मान्यता है. भारतीय इतिहास के लिए पुराण एक प्रकार से भारतीय सभ्यता, संस्कृति, राजनीति, भूगोल, इतिहास आदि का विश्वकोष कहा जा सकता है. इस आर्टिकल में हम आपको पुराणों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं. जैसे पुराणों के कितने भाग थे, उनकी संख्या कितनी थी, उपपुराण क्या हैं इत्यादि.

पुराणों का रचनाकाल

पुराणों के रचनाकाल के बारे में विश्वस्त जानकारी नहीं है. यद्यपि इनकी रचना छठी शताब्दी ईस्वी पूर्व से ही आरम्भ हो गई थी, तथापि गुप्त-युग में परिवर्धित और सम्बंधित होकर वर्त्तमान रूप में आ चुके थे.

पुराणों की संख्या

भारतीय परम्पराओं के अनुसार मुख्य रूप से पुराणों की (Important Information about Puran) संख्या 18 है. पुराणों को दो भागों में बाँटा जा सकता है:

  • महापुराण
  • उपपुराण

महापुराणों की संख्या 18 है और उपपुराण भी 18 ही हैं.

महापुराण की जानकारी

महापुराण तीन भागों में बाँटे गए हैं:

  • सात्विक पुराण: सात्विक पुराणों का सम्बन्ध भगवान विष्णु से है.
  • राजस पुराण: राजस पुराणों का सम्बन्ध भगवान ब्रह्मा से है.
  • तामस पुराण: तामस पुराणों का सम्बन्ध भगवान शिव से है.

18 महापुराण

18 महापुराण निम्नलिखित हैं:

सात्विक महापुराण

  1. विष्णु पुराण
  2. भागवत पुराण
  3. नारद पुराण
  4. गरुड़ पुराण
  5. पदम पुराण
  6. वराह पुराण

राजस महापुराण

  • ब्रह्म पुराण
  • ब्रह्मांड पुराण
  • ब्रह्मवैवर्त पुराण
  • मार्कण्डेयपुराण
  • भविष्य पुराण
  • वामन पुराण

तामस महापुराण

  1. वायु पुराण
  2. लिंग पुराण
  3. स्कन्द पुराण
  4. अग्नि पुराण
  5. मत्स्य पुराण
  6. कूर्म पुराण

इन 18 पुराणों के अतिरिक्त 18 उपपुराण भी लिखे गए थे. इनकी दो सूचियां दी गईं. प्रथम और द्वितीय.

18 उपपुराण

आचार्य बलदेव उपाध्याय ने गरुड़ पुराण  के आधार पर उपपुराणों (Important Information about Puran) की निम्नलिखित सूचि तैयार की है:

  1. सनतकुमार उपपुराण
  2. नरसिंह उपपुराण
  3. कपिल उपपुराण
  4. कालिका उपपुराण
  5. साम्ब उपपुराण
  6. पराशर उपपुराण
  7. महेश्वर उपपुराण
  8. सौर उपपुराण
  9. नारदीय उपपुराण
  10. शिव उपपुराण
  11. दुर्वासा उपपुराण
  12. मानव उपपुराण
  13. अनुशासन उपपुराण
  14. वरुण उपपुराण
  15. भसिष्ठा उपपुराण
  16. देवी-भागवत उपपुराण
  17. नंदी उपपुराण
  18. आदित्य उपपुराण

इसे भी पढ़ें: वेदों के विषय में संक्षिप्त जानकारी

महत्त्वपूर्ण पुराणों का संक्षिप्त विवरण

विष्णु पुराण

विष्णु पुराण 18 पुराणों में सबसे महत्वपूर्ण पुराण है. इसमें विष्णु को अवतार मानकर उनकी उपासना की गई है.  प्रमाणिकता और प्राचीनता की दृष्टि से यह सबसे प्रमुख है. यह वैष्णव दर्शन का प्रतिपादन पुराण है. इसमें छः अंश (खंड), 126 अध्याय और 23 हजार श्लोक हैं.

श्रीमद्भागवत पुराण

भागवत् पुराण वैष्णवों का सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय पुराण है. वे इसे पंचम वेद मानते हैं. इसमें विष्णु के अवतारों का विस्तृत वर्णन है. दसवें अध्याय में कृष्ण की रास लीलाओं का विस्तृत वर्णन होते हुए भी राधा का नाम कहीं नहीं आया. इसमें सांख्यदर्शन के प्रवर्तक कपिल और महात्मा बुद्ध को भी विष्णु अवतार माना गया है. इसमें 12 स्कन्ध और 18 हजार श्लोक हैं.

नारद पुराण

इसे बृहद् नारदीय भी कहते हैं. इसके दो भागों में क्रमशः 125 और 82 अध्याय और 25 हजार श्लोक हैं. इसके पूर्व भाग में वर्णाश्रम के आचार, श्राद्ध, प्रायश्चित, व्याकरण, निरुक्त, छंद, ज्योतिष आदि का वर्णन है. इस वैष्णव पुराण का स्थान विश्वकोषात्मक पुराणों में अआता है. इसमें वैष्णवों के व्रतों और उत्सवों का वर्णन है. विष्णु भक्ति को ही मोक्ष का एकमात्र उपाय बतलाया गया है.

गरुड़ पुराण

इस पुराण में विष्णु ने गरुड़ को विश्व की सृष्टि बताई थी. इसमें दो खंड, 287 अध्याय और 18 हजार श्लोक हैं. पूर्वखंड में विष्णु के अवतारों का माहात्म्य है. इस पुराण का उत्तर-खंड प्रेतकल्प कहलाता है, जिसमें 45 अध्याय हैं. इसमें गर्भावस्था, नरक, यमनगर का मार्ग, प्रेतगण का वासस्थान, प्रेत-लक्षण और प्रेतयोनि से मुक्त, प्रेतों का रूप, मनुष्यों की आयु, यमलोक का विस्तार, सपिण्डीकरण की विधि, वृषोत्सर्ग विधान आदि का रोचक और विस्तृत वर्णन है. श्राद्ध के समय इस पुराण का पाठ किया जाता है.

पद्म पुराण

इसमें राधा का कृष्ण की प्रेयसी के रूप में उल्लेख है. मुख्य रूप से विष्णुपरक होते हुए भी यह पुराण (Important Information about Puran) ब्रह्मा, विष्णु और शिव इन तीनों देवताओं में एकत्व की भावना स्थापित करना है. इस विशालकाय पुराण में 50 हजार श्लोक हैं.

वराह पुराण

इसमें 218 अध्याय व 24 हजार श्लोक हैं. इसमें विष्णु द्वारा वराह का रूप धारण कर पृथ्वी का उद्धार किये जाने का वर्णन है.नोट: कुल पुराणों में 40,000 श्लोक हैं. पुराणों में विष्णु, वायु, मत्स्य और भागवत में ऐतिहासक वृत्त, राजाओं की वंशावली आदि के रूप में बहुत कुछ मिलता है. विष्णु पुराण में सृष्टि की उत्पत्ति से लेकर कलियुग के मौर्यवंश और गुप्तवंश तक का वर्णन मिलता है. पुराणों का उद्देश्य पुरानी कथाओं द्वारा उपदेश देना, देवमहिमा और तीर्थमहिमा का बखानकर जनसाधारण के हृदय में धर्म पर अडिग भावना बनाए रखना ही था.  

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