Important Ancient History Questions in Hindi / UPSC की परीक्षा में प्राचीन भारत से पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्न / Oneliner Important Ancient History Questions in Hindi
- विष्णु पुराण में मौर्यों का उल्लेख शुद्र जाति के रूप में हुआ है.
- मौर्यों का वंशीय चिन्ह मयूर था.
- महापरिनिब्बान सुत्त वह प्राचीनतम बौद्ध ग्रन्थ है जिसमें मौर्यों को पिप्पलिवन (बुद्ध के समकालीन मौर्य वंशीय क्षत्रियों की राजधानी) का शासक तथा क्षत्रिय वंश से सम्बंधित बताया गया है.
- जैन विद्वान् हेमचन्द्र द्वारा लिखित परिशिष्ट पर्वण नामक ग्रन्थ में चाणक्य का जीवन-चरित मिलता है.
- मुद्राराक्षस नाटक में नन्दों को प्रथितकुलजा अर्थात् उच्च वर्ण के रूप में वर्णित किया गया है. इस नाटक में नन्दों का मंत्री राक्षस ने उन्हें अभिजन भी कहा है.
- मनुस्मृति एवं महाभारत के अनुसार वृषल शब्द का प्रयोग धर्मच्यूत व्यक्ति के लिए किया गया है.
- मुद्राराक्षस नामक नाटक में उल्लिखित वृषल शब्द की व्याख्या आधुनिक इतिहासकार आर.के. मुखर्जी ने राजाओं में वृष अर्थात् राजाओं में सर्वश्रेष्ठ के अर्थ में किया है.
- लौरिया नंदनगढ़ स्तम्भ पर मयूर की आकृति उत्कीर्ण है.
- सम्राट अशोक का सर्वाधिक पसंदीदा पक्षी मयूर था.
- अशोक के जीवित भाइयों एवं बहनों के परिवारों का उल्लेख पाँचवे शिलालेख में होता है.
- राजतरंगिणी के अनुसार बौद्ध धर्म स्वीकार करने के पूर्व अशोक ब्राह्मण धर्म (शिव का उपासक) का अनुयायी था.
- दिव्यावदान के अनुसार, अशोक को बौद्ध धर्म में उपगुप्त ने दीक्षित किया था.
- अशोक को उसके शासन के चौथे वर्ष निग्रोध नामक सात वर्षीय भिक्षु ने बौद्ध मत में दीक्षित किया था, वह उल्लेख सिंहली अनुश्रुतियों (दीपवंश और महावंश) में होता है.
- वृहतशिलालेख पाँच में अशोक द्वारा बौद्ध धर्म ग्रहण करने के बाद राजकीय पाकशाला में दो मयूर और एक हिरन का वध किये जाने का उल्लेख मिलता है. Important Ancient History Questions
- बौद्ध साहित्य में प्रयुक्त भिक्षु गतिक शब्दों का प्रयोग संघ में प्रविष्ट होने के लिए उन्मुख होने के संदर्भ में किया गया है.
- प्रथम लघु शिलालेख के अनुसार, बौद्ध धर्म ग्रहण करने के बाद अशोक 2 से 6 माह तक एक साधारण उपासक था.
- भाब्रू (बैराट, राजस्थान) से प्राप्त लघु शिलालेख जिसमें अशोक स्पष्टतः बुद्ध, धम्म और संघ का अभिवादन करता है.
- सारनाथ, साँची तथा कौशाम्बी के लघु स्तम्भों पर उत्कीर्ण शासनदेश अशोक को बौद्ध सिद्ध करते हैं.
- अशोक साँची, सारनाथ तथा कौशाम्बी लघु स्तम्भ लेखों में बौद्ध संघ में फूट डालने वाले भिक्षु/भिक्षुणियों को निष्कासन की चेतावनी देता है.
- बौद्ध संघ से सम्बंधित पब्बजा (प्रवज्या-संन्यास) नाम की प्रथा, अशोक के समय तक पर्याप्त सुदृढ़ हो चुकी थी.
- चन्द्रगुप्त मौर्य की महिला अंगरक्षकों का उल्लेख स्ट्रैबो ने किया है.
- सेल्यूकस निकेटर और चन्द्रगुप्त मौर्य के बीच वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित होने के सम्बन्ध में जानकारी स्ट्रैबो के विवरण से प्राप्त होती है.
- कौटिल्य द्वारा चन्द्रगुप्त को जम्बूद्वीप का सम्राट बनाए जाने का विवरण महावंश से प्राप्त होता है.
- जस्टिन के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य ने छ: लाख सैनिकों की मदद से सम्पूर्ण भारत की विजय की.
- दिव्यावदान से बिन्दुसार के शासनकाल में तक्षशिला में हुए विद्रोह का उल्लेख मिलता है.
- दिव्यावदान से अशोक द्वारा खास देश (नेपाल) के विजय का उल्लेख मिलता है.
- सातवें स्तम्भ लेख में उल्लिखित एक मात्र विदेशी शक्ति ताम्रपर्णी (श्रीलंका) है.
- अशोक ने पालि भाषा एवं ब्राह्मी लिपि का प्रयोग किया.
- अशोक के अभिलेखों में प्रयुक्त भाषा प्राकृत है.
- ब्राह्मी लिपि बाएँ से दाईं ओर लिखी जाती है.
- खरोष्ठी लिपि दायीं से बाईं ओर लिखी जाती है.
- ब्रह्मगिरि शिलालेख में शिष्य द्वारा गुरु का आदर करना, धम्म के अंतर्गत माना गया है.
- तीसरे शिलालेख में अशोक ने अल्प व्यय एवं अल्प संग्रह को धम्म का अंग माना है.
- गेहविजय का अर्थ गृहस्थों के लिए अनुशासन (राहुलोवादसुत्त) होता है.
- गार्गी संहिता ग्रन्थ में धम्म विजय का पालन करने के कारण अशोक की आलोचना की गई है.
- स्तम्भ अभिलेख न. 7 को अशोक के शासनकाल की अंतिम घोषणा माना जाता है.
- दिव्यावदान के अनुसार अशोक अपने जीवन के अंतिम समय में, कुक्टाराम विहार को उपहार देना चाहता था.
- अशोक की राजत्व सम्बन्धी अवधारणा का विवेचन छठे शिलालेख में प्राप्त होती है.
- अशोक ने कश्मीर में श्रीनगर का निर्माण कराया था.
- दिव्यावदान के अनुसार अशोक ने नेपाल में देवपाटन नगर की स्थापना की. तारानाथ के विवरण के अनुसार अशोक ने नेपाल में “ललितपत्तन” नामक नगर बसाया था तथा उसकी पुत्री चारुमती ने देवपत्तन नामक नगर बसाया था.
- ब्रह्मगिरि शिलालेख में अशोक द्वारा 256 रातें धम्म यात्रा में बिताने का उल्लेख है.
- मौर्यकाल में उच्चतम वेतनमान 48000 टन और न्यूनतम 60 पण था.
- मौर्यकाल में पथकर की दर 10% या 1/10 थी.
- सोहगौरा और महास्थान अभिलेख से चन्द्रगुप्त मौर्यकालीन ग्राम-प्रशासन के सम्बन्ध में सूचना प्राप्त होती है.
- सोहगौरा ताम्रपत्र और महास्थान अभिलेख एवं अर्थशास्त्र से प्राकृतिक आपदा से जनता की सुरक्षा के लिए कोष्ठागारों के निर्माण का उल्लेख प्राप्त होता है. Important Ancient History Questions
- मौर्यकाल में भूमिकर 1/6 था.
- मौर्यकाल में सिंचाई कर 1/3 से 1/5 भाग था.
- कौटिल्य के अनुसार किसी भी परिस्थिति में आर्य को दास नहीं बनाया जा सकता है. यहाँ तक कि आर्य शुद्र को भी दास नहीं बनाया जा सकता है.
- मौर्यकाल में वेश्याओं का समूह बंधकी पोषक के अधीन हुआ करता था.
- कौटिल्य के अर्थशास्त्र, जैन अनुश्रुतियों तथा सोहगौर ताम्रपत्र और महास्थान अभिलेख से भारत में अकाल (दुर्भिक्ष) पड़ने की जानकारी प्राप्त होती है.
- पतंजलि (महाभाष्य) के अनुसार मौर्यकाल में धन के लिए देवताओं की प्रतिमाएँ बनाकर बेचा जाता था.
- दीर्घ स्तम्भ लेख पाँच में अशोक अपने शासन काल में 25 बार बंदियों को मुक्त करने का उल्लेख मिलता है.
- रुम्मिनदेई स्तम्भ (शाक्य गणराज्य की राजधानी कपिलवस्तु के निकट) मात्र 21 फुट ऊँचा अशोककालीन स्तंभों में सबसे छोटा है.
- डॉ. शाम शास्त्री ने कौटिल्य कृत अर्थशास्त्र का अंग्रेजी में अनुवाद किया.
- दीर्घ शिला लेख 12वें में अशोक समवाय और सारवृद्धि का उल्लेख करता है.
- दीर्घ शिला लेख आठवें के अनुसार अशोक धम्म यात्रा आरम्भ करने वाला प्रथम शासक है.
- भारतीय इतिहास में सर्वप्रथम ताम्रपत्र जारी करने का श्रेय मौर्य शासकों को जाता है और भारतीय इतिहास का प्रथम ताम्रपत्र सहगौरा ताम्रपत्र है.
- बिन्दुसार के समय तक्षशिला के विद्रोह को दबाने के लिए अशोक को भेजे जाने का उल्लेख अशोकावदान में है.
- मौर्योत्तर काल के बारे में जानकारी मुख्यतः मत्स्य पुराण से प्राप्त होती है.
- चन्द्रगुप्त मौर्य को मुद्राराक्षस में “वृषल” व “कुलहीन” कहा गया है.
- मामुलनार नामक तमिल कवि ने मौर्यों तथा नन्दों का उल्लेख किया है.
- अशोक के धम्म की परिभाषा “राहुलोवादसुत्त” ग्रन्थ से ली गई है.
- अर्थशास्त्र में दो प्रकार के संघों राजा शब्दोपजीवना तथा वार्ताशास्त्रोपजीवना का वर्णन किया गया है.
- चन्द्रगुप्त मौर्य के लिए मुद्राराक्षास में पियदस्सी शब्द का प्रयोग किया गया है.
- अर्थशास्त्र में राज्य द्वारा दासों तथा कर्मकारों को वेतन के रूप में एक मुट्ठी चावल व रद्दी शराब देने का परामर्श दिया गया है.
- मिलिंदपन्हो (एक बौद्ध ग्रन्थ = मिलिन्द के प्रश्न) में नन्द सेना का नेतृत्व भट्टशाला द्वारा करने तथा चन्द्रगुप्त मौर्य के हाथों उसकी पराजय का पता चलता है. Important Ancient History Questions
- नियार्कस ने भारतीयों द्वारा श्वेत रंग के जूते पहनने का उल्लेख किया है.
- गार्गी संहिता में मौर्य शासक शालिशूक को अत्याचारी बताया गया है.
- बिना मधुमक्खियों के मधु उत्पन्न करने वाले बीज “वैवे बीज” का उल्लेख नियार्कस (सिकंदर का समकालीन, नौसेनाध्यक्ष तथा एक लेखक) ने किया है.
- अर्थशास्त्र में शिल्पियों को दुष्चरित्र बताया गया है.
- चावल की किस्मों-दारक व वरक का उल्लेख कौटिल्य ने किया है.
- कौटिल्य ने “अर्थशास्त्र” में 8 वर्ष से कम आयु के बच्चों को बेचने पर प्रतिबंध लगाया है.
महावंश में दिए गए कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
- महावंश में चन्द्रगुप्त को “मोरिय” नामक क्षत्रिय वंश का बताया गया है.
- चाणक्य द्वारा नवें धन-नन्द का विनाश कर क्षत्रिय मौर्य वंश के चन्द्रगुप्त को सकल जम्बूद्वीप का राजा बनाने व चन्द्रगुप्त के राज्याभिषेक का वर्णन पाया जाता है.
- अशोक के सिंहासनारोहण की तिथि (269+4 = 273) ई.पू. निश्चित करता है (क्योंकि सिंहासनारोहण, राज्याभिषेक के 4 वर्ष पूर्व हुआ माना जाता है.
- इस ग्रन्थ के अनुसार अशोक के राज्याभिषेक की तिथि बुद्ध के महापरिनिर्वाण के 218 वर्ष पश्चात् होने का आधार पर 269 ई.पू. निर्धारित होती है. Important Ancient History Questions
- इसमें चन्द्रगुप्त की शासन अवधि 24 वर्ष का उल्लेख किया गया है.
- बिन्दुसार की 16 रानियों तथा 101 पुत्रों का उल्लेख है.
- इस ग्रन्थ के अनुसार अशोक के 101 भाइयों में सबसे छोटे भाई का नाम “तिष्य” था.
- अशोक की पटरानी का नाम असंधिमित्रा (पिया अग्गाहिषी) था.
- उत्तराधिकार के लिए (अशोक एवं उसके सौतेले भाइयों के मध्य) गृह-युद्ध का वर्णन किया गया है.
- गृह-युद्ध के कारण अशोक का राज्याभिषेक उसके सिंहासनारूढ़ होने के 4 वर्ष बाद होने का उल्लेख है.
- राज्याभिषेक के चार वर्ष पश्चात अशोक द्वारा बौद्ध धर्म ग्रहण करने का उल्लेख है.
- अशोक द्वारा न्यग्रोध नामक व्यक्ति के प्रभाव से बौद्ध धर्म ग्रहण किया गया, इसका उल्लेख मिलता है.
- राज्याभिषेक के 18 वर्ष बाद पाटलिपुत्र में आयोजित तृतीय बौद्ध संगीति के अवसर पर बौद्ध धर्म के थेरवाद व महासान्घिक नामक दो सम्प्रदायों में विभाजित होने का उल्लेख है.
- धर्म प्रचार हेतु विभिन्न बाह्य देशों में धर्म-प्रचारक भेजने का उल्लेख है.
- अशोक के पुत्र महेंद्र तथा पुत्री संघमित्रा द्वारा श्रीलंका के राजा को उसके 40,000 अनुयायियों सहित बौद्ध बनाने का उल्लेख है.
- बंगाल पर अशोक का अधिकार होने का उल्लेख है. Important Ancient History Questions
दीपवंश में दिए गए कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
- इस बौद्ध ग्रन्थ में अशोक के लिए “पियदस्सि” अथवा “पियदस्सन” का प्रयोग किया गया है.
- बिन्दुसार की 16 रानियों तथा 101 पुत्रों का उल्लेख है.
- 101 भाइयों में सबसे छोटे भाई का नाम “तिष्य” है इसका भी उल्लेख है.
- अशोक को “उज्जैनी-कर-मोली” की संज्ञा प्रदान करने वाला ग्रन्थ.
- उत्तराधिकार के लिए (अशोक एवं उसके सौतेले भाइयों के बीच) गृह-युद्ध का वर्णन भी इस ग्रन्थ में किया गया है.
- गृह-युद्ध के कारण अशोक का राज्याभिषेक उसके सिंहासनरूढ़ होने के 4 वर्ष पश्चात् होने का उल्लेख है.
इसे भी पढ़ें: मौर्योत्तर काल की सम्पूर्ण जानकारी
- राज्याभिषेक के चार वर्ष पश्चात् अशोक द्वारा बौद्ध धर्म ग्रहण करने का उल्लेख है.
- राज्याभिषेक के 18 वर्ष बाद पाटलिपुत्र में आयोजित तृतीय बौद्ध संगीति के अवसर पर बौद्ध धर्म के थेरवाद और महासान्घिक नामक दो सम्प्रदायों में विभाजित होने का उल्लेख है.
- बंगाल पर अशोक का अधिकार होने का उल्लेख है.
- धर्म प्रचार हेतु विभिन्न बाह्य देशों में धर्म-प्रचारक भेजने का उल्लेख है. Important Ancient History Questions
महावंशटीका में दिए गये कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
- इस ग्रन्थ के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य वंश के प्रमुख का बेटा था. यह वंश शाक्य वंश की ही एक शाखा था. मौर्य वंश इसलिए नाम पड़ा क्योंकि इसका केन्द्र मौर्य नगर में था. मौर्य नगर (मयूर नगर) वह नगर था जहाँ के भवन मयूर के ग्रीवा के स्वरूप के थे.
- यह चन्द्रगुप्त के जीवनवृत्त पर उल्लेखनीय प्रकाश डालने वाला ग्रन्थ है.
- बचपन में चन्द्रगुप्त की रक्षा चन्द्र नामक वृषभ ने की जिससे उसका नाम चन्द्रगुप्त पड़ा.
- चाणक्य तक्षशिला निवासी एक ब्राह्मण पुत्र था जिसका मूल नाम विष्णुगुप्त था.
- “राजकीलम” नामक राजकीय खेल के दौरान बालक चन्द्रगुप्त की विलक्षणता से प्रभावित होकर चाणक्य ने उसे एक शिकारी से 1000 कार्षापण मूल्य देकर खरीदा था.
- अपनी असीम मातृभक्ति (माँ की सेवा) का परिचय देने के लिए स्वयं चाणक्य द्वारा पत्थर से अपने दांत तोड़ देने की मार्मिक कथा का विवरण है.
- मगध राज्य के ऊपर चन्द्रगुप्त-चाणक्य के प्रथम असफल अभियान और एक गाँव में अपने बच्चे को पूआ खाने के संदर्भ में एक ग्रामीण माँ के प्रेरणादायक वचनों को आधार बनाकर पाकर पहले पंजाब फिर मगध पर अधिकार करने का विवरण. उस ग्रामीण माँ का वचन यह था: “पूआ के बीच वाले भाग को खाने से पहले किनारे के भाग को खाना चाहिए (अर्थात् मगध के केंद्र के स्थान पर पहले उसके सीमा प्रान्तों को अपने अधीन करना चाहिए).”
- चाणक्य के द्वारा 80 करोड़ कार्षापण एकत्र कर उस गुप्त धन की सहायता से जगह-जगह सैनिकों की भर्ती करने का उल्लेख है.
- चाणक्य द्वारा नवें धंन-नन्द का विनाश कर क्षत्रिय मौर्य वंश के चन्द्रगुप्त को सकल जम्बूद्वीप का राजा बनाने व चन्द्रगुप्त के राज्याभिषेक का वर्णन है.
- इसी बौद्ध ग्रन्थ में क्रूर कृत्यों के कारण कुख्यात नृशंस राजा अशोक को “चंडाशोक” की उपाधि गी गयी है. Important Ancient History Questions
सामंतपसादिका में दिए गये कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
- इस ग्रन्थ के अनुसार बिंदुसार के शासन काल की अवधि 28 वर्ष थी.
- यह ग्रन्थ अशोक के सम्बन्ध में ऐतिहासिक जानकारी का प्रमुख स्रोत है.
- रीज डेविड्ज ने इस ग्रन्थ को “ऐतिहासिक ज्ञान की खान” का नाम दिया था.
- यह सम्राट अशोक की “अवन्ति विजय” का उल्लेख करने वाला एकमात्र ग्रन्थ है.
- इस ग्रन्थ में राज्याभिषेक के चार वर्ष बाद अशोक द्वारा बौद्ध धर्म के ग्रहण करने का उल्लेख है.
- धर्म प्रचार के लिए विभिन्न बाह्य देशों में धर्म-प्रचारक भेजने का उल्लेख है.
- चाणक्य द्वारा नवें धंन-नन्द का विनाश कर क्षत्रिय मौर्य वंश के चन्द्रगुप्त को सकल जम्बूद्वीप का राजा बनाने व चन्द्रगुप्त के राज्याभिषेक का वर्णन है.
महाबोधिवंश में दिए गये कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
- नन्द वंश के संस्थापक के रूप में महापद्म उग्रसेन का उल्लेख है.
- अंतिम नन्दराज के रूप में धनानन्द का उल्लेख (यूनानियों का अग्रनीज) है.
- चन्द्रगुप्त का शाक्यों द्वारा निर्मित “मोरिय नगर” के राजवंश का क्षत्रिय होने का उल्लेख है.
- उत्तराधिकार के लिए (अशोक एवं उसके सौतेले भाइयों के मध्य) गृह-युद्ध का वर्णन करने वाले ग्रन्थ.
दिव्यावदान में दिए गये कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
- इस ग्रन्थ के अनुसार तक्षशिला के प्रमुख दो विद्रोहों के दमन हेतु बिन्दुसार द्वारा क्रमशः अपने पुत्रों अशोक (प्रथम विद्रोह) तथा सुस्सीम (द्वितीय विद्रोह) को भेजने का उल्लेख मिलता है.
- बिन्दुसार की राजसभा में एक आजीव-परिव्राजक (पिंगल वस्तु) के रहने का उल्लेख है.
- चन्द्रगुप्त के पुत्र बिन्दुसार तथा इसके पुत्र अशोक का स्पष्ट रूप से क्षत्रिय के रूप में उल्लेख है.
- बिन्दुसार के सबसे बड़े पुत्र के रूप में सुसीम का उल्लेख है.
- इस ग्रन्थ के अनुसार अशोक के सगे भाई का नाम विगतशोक था.
- आसंदि मित्र की मृत्यु के पश्चात् अशोक की पटरानी के रूप में तिष्यरक्षिता का उल्लेख है.
- अशोक की पटरानी “आसंदि मित्र” द्वारा अपने सौतेले पुत्र कुणाल (धर्म विवर्धन) के प्रति कुकृत्यों को वर्णन करने वाला ग्रन्थ.
- उत्तराधिकार के लिए (अशोक एवं उसके सौतेले भाइयों के बीच) गृह-युद्ध का वर्णन करने वाला ग्रन्थ.
- प्रधानमंत्री खल्लाटक, राधागुप्त एवं 500 अमात्यों के सहयोग से सुस्सीम सहित अन्य सौतेले भाइयों का वध कर अशोक द्वारा सिंहासन-प्राप्ति का विस्तृत विवरण है.
- बौद्ध होने से पूर्व अशोक की क्रूरता का परिचय देने के लिए अशोक द्वारा आदेशावहेलना के लिए 500 अमात्यों को मौत के घाट उतारने का उल्लेख है.
- अशोक द्वारा “अशोक वृक्ष” के पत्तों को तोड़ने के लिए 500 स्त्रियों को जीवित जलाकर मरवा देने का उल्लेख मिलता है.
- नागरिकों को यातना-प्रताड़ना देकर उन्हें मारने के लिए अशोक द्वारा नरक गृह का निर्माण कराए जाने का उल्लेख है.
- (तृतीय बौद्ध संगीति एवं) धर्म-प्रचार में अशोक द्वारा किये गये अत्यधिक व्यय के कारण युवराज सम्प्रति एवं मंत्रियों की ओर से अशोक द्वारा पाटलिपुत्र के बौद्ध विहार कुक्कुटाराम को भारी दान राशि दिए जाने का विरोध करने का उल्लेख मिलता है.
- अशोक द्वारा “बाल पंडित” या “समुद्र” के प्रभाव में बौद्ध धर्म ग्रहण करने का उल्लेख है.
- अशोक द्वारा “उपगुप्त” के साथ धम्म यात्राओं के क्रम में, तथागत के जन्म-स्थल “लुम्बिनी”, तथागत के बाल्यकाल की क्रीड़ास्थली “कपिलवस्तु”, तथागत की तपोस्थली “गया”, धर्मचक्रप्रवर्तन स्थली “सारनाथ”, महानिर्वाण स्थली “कुशीनगर” एवं अन्यान्य प्रमुख स्थलों की यात्राओं का वर्णन करने वाला ग्रन्थ है.
- अशोक द्वारा बोधगया में एक लाख स्वर्ण मुद्राओं के दान तथा वहाँ पर एक चैत्य निर्माण कराने का उल्लेख है.
- पुष्यमित्र को मौर्य वंशावली के अंदर रखने वाला ग्रन्थ है.
- बिन्दुसार द्वारा आजीवक पिंगलवास के माध्यम से अपने समस्त पुत्रों की ली गई परीक्षा में अशोक के सफल होने का उल्लेख है.
- अशोक के व्यक्तित्व का वर्णन करने वाला पहला अभारतीय बौद्ध ग्रन्थ है.
- अशोक द्वारा वृद्धावस्था में सिंहासन का अपने पौत्र सम्पत्ति के पक्ष में परित्याग करने का उल्लेख है. Important Ancient History Questions
सिंहली महाकाव्य में दिए गये कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
- महापदनन्द द्वारा गंगा की तलहटी में 40 कोटि मुद्राएँ छुपाने का उल्लेख है.
- गृह-युद्ध के कारण अशोक के राज्याभिषेक के उसके सिंहासनारूढ़ होने के चार वर्ष बाद होने का उल्लेख मिलता है.
मिलिंदपन्हों में दिए गये कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
- यह नन्द राज्य के सेनापति भट्टशाल (भद्रशाल) एवं मगध की 100 कोटि सैनिकों, 10000 हाथियों, एक लाख घोड़ों, पाँच हजार रथियों वाली विशाल सेना के विवरण के साथ नवें धन-नन्द के सम्पूर्ण विनाश और चन्द्रगुप्त के मगध युद्ध का वर्णन करने वाला ग्रन्थ है.
महापरिनिब्बानसुत्त में दिए गये कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
- इस ग्रन्थ के अनुसार मौर्यों को पिप्पलीवन का शासक एवं उन्हें क्षत्रिय वंश का बताया गया है. Important Ancient History Questions
पुण्याश्रवकथाकोश में दिए गये कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
- यह चन्द्रगुप्त के जैन होने और आचार्य भद्रबाहु के साथ दक्षिण में अनशन द्वारा प्राण त्याग देने की घटना का उल्लेख करने वाला बौद्ध ग्रन्थ है.
आर्यमंजुश्रीमूलकल्प में दिए गये कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
- चन्द्रगुप्त के उत्तराधिकारी के रूप में अवयस्क (अल्पवयस्क) बिन्दुसार का उल्लेख है.
अशोकावदानमाला में दिए गये कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
- बुद्ध प्रतिमा का अपमान करने के जुर्म में अशोक द्वारा ब्राह्मणों का वध करने एवं उनके सर पर पुरस्कार घोषित किये जाने का उल्लेख है.
सिगालोवादसुत्त (दीर्घनिकाय) में दिए गये कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
- महात्मा बुद्ध और शृगाल कथा का वर्णन (आकाश-पाताल व दिशाओं को अपने माता-पिता को आज्ञानुसार प्रणाम करने वाला शृगाल).
सुमंगलविलासिनी में दिए गये कुछ महत्त्वपूर्ण उल्लेख/तथ्य
- अशोक द्वारा महात्मा बुद्ध के अवशेषों पर 84,000 विहार बनवाने का उल्लेख है. Important Ancient History Questions
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