GSI Full Form in Hindi, GSI: Geological Survey of India (भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण)
GSI का फुल फॉर्म “Geological Survey of India” है जिसका हिंदी मतलब “भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण” होता है. GSI यानि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण का प्रमुख कार्य राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक डेटा और खनिज संसाधन का मूल्यांकन, हवाई और समुद्री सर्वेक्षण के निर्माण आदि से संबंधित है. इसके अलावा यह विविध भू-तकनीकी, भू-पर्यावरणीय और प्राकृतिक खतरों के अध्ययन, हिमनद विज्ञान, भूकंप विज्ञान, आदि का संचालन भी करता है।
GSI यानि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की स्थापना (GSI Full Form) 1851 में हुयी थी. इसके संस्थापक थॉमस ओल्डहैम थे. यह भारत सरकार के खान मंत्रालय का एक संगठन है, जो दुनिया के सबसे पुराने संगठनों में से एक है. यह संगठन भारत के सर्वेक्षण संगठन (जो 1767 में स्थापित हुआ था) के बाद भारत में दूसरा सबसे पुराना सर्वेक्षण है. इसका मुख्य काम भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और अध्ययन करना है।
GSI या भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण का इतिहास
GSI के शुरुवात की नींव 1836 में पड़ी थी, जब एक समिति जिसका नाम कोयला समिति थी का गठन किया गया था। इसकी स्थापना ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के पूर्वी क्षेत्रों में कोयले की उपलब्धता की खोज एवं अध्ययन करने हेतु की थी। ऐसी ही एक समिति द्वारा अपनी 1848-1849 की एक रिपोर्ट में पहली बार जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया वाक्यांश का प्रयोग किया गया था। 4 फरवरी, 1848 को सर डैविड विलियम्स को भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग का भूगर्भीय सर्वेक्षणकर्ता (जियोलॉजिकल सर्वेयर) नियुक्त किया गया था। 1848 में उनकी मृत्योपरंत, मैक्लेलैंड ने कार्यकारी सर्वेयर का पदभार ग्रहण किया और 5 मार्च, 1851 को अपने सेवा-निवृत्त होने तक निभाया।
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उसी समय 1852 में सर थामस ओल्डहैम ने इस विभाग के कार्यक्षेत्र को बढ़ाने के लिए अनवरत प्रयास किया जिसके परिणामस्वरुप जी.एस.आई. को विस्तृत भूगर्भीय अध्ययन, एवं तत्कालीन अविभाजित भारत के पार्थिव विज्ञान के अध्ययन हेतु विस्तार किया गया। यही कारण है कि सर थामस ओल्डहैम को इस संगठन का संस्थापक माना जाता है.
GSI यानि भूगर्भीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा अनुरक्षित उद्यान
GSI (भूगर्भीय सर्वेक्षण विभाग) द्वारा अनुरक्षित दो भूगर्भीय उद्यान प्रमुख हैं:
सकेती जीवाश्म उद्यान, सकेती, हिमाचल प्रदेश
सकेती जीवाश्म उद्यान चंडीगढ़ (GSI Full Form) से 85कि.मी. दूर, अंबाला से 65 कि.मी, नहान से 22 कि.मी तथा देहरादून से 110 कि॰मी॰ दूर स्थित है। यहां एक छोटा जीवाश्म संग्रहालय है, जिसमें लगभग पच्चीस से दस लाख वर्ष पूर्व के, भिन्न जीव-समूहों, जैसे स्तनधारी, सरीसृप, मत्स्य, एवं खासकर शिवालिक की पहाड़ियों के आसपास रहने वाले जीवों के अवशेष (जैसे खोपड़ी, दांत, जबड़े, आदि) के जीवाश्म प्रदर्शन के लिए संग्रहीत हैं। इस उद्यान में उत्तम स्तर के फाइबर-ग्लास निर्मित प्रागैतिहासिक जीवों के छः प्रतिरूप प्रदर्शित हैं, जो शिवालिक क्षेत्र में आवास करते थे, जिनमें 18 फीट के हाथी-दांत वाला हाथी, 3 मीटर का महा-कच्छप आदि प्रमुख हैं।
नेहरु पार्क, हैदराबाद, तेलंगाना
इस उद्यान में डायनासोर जैसे टाएरैनोसॉरस-टी.एक्स की असल आकार की मूर्तियां प्रदर्शित हैं।
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