Gautam Buddh in Hindi / गौतम बुद्धऔर बौद्ध धर्म की प्रमुख शिक्षाएं तथा उसके विषय में संक्षिप्त जानकारी
गौतम बुद्ध का जन्म
बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध का जन्म 567 ई.पू. में कपिलवस्तु के लुम्बनी नामक स्थान पर हुआ था. इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था. गौतम बुद्ध का विवाह 16 वर्ष की अवस्था में यशोधरा के साथ हुआ जिससे इनको एक पुत्र की प्राप्ति हुयी. इनके पुत्र का नाम राहुल था.
गृह-त्याग और शिक्षा ग्रहण
सिद्धार्थ ने 29 वर्ष की अवस्था में गृह-त्याग किया, जिसे बौद्धधर्म में “महाभिनिष्क्रमण” कहा गया है. गृह-त्याग करने के बाद सिद्धार्थ (बुद्ध) ने वैशाली के आलारकलाम से सांख्य धर्षण की शिक्षा ग्रहण की. आलारकलाम सिद्धार्थ के प्रथम गुरु हुए थे. आलारकलाम के बाद सिद्धार्थ ने राजगीर के रुद्र्करामपुत्त से शिक्षा ग्रहण की.
ज्ञान प्राप्ति
35 वर्ष की आयु में वैशाख की पूर्णिमा की रात निरंजना (फल्गु) नदी के किनारे, पीपल के वृक्ष के नीचे, सिद्धार्थ को ज्ञान प्राप्त हुआ था. ज्ञान प्राप्ति के बाद सिद्धार्थ बुद्ध के नाम से जाने गए.
गौतम बुद्ध का प्रथम उपदेश
गौतम बुद्ध (Gautam Buddh in Hindi) ने अपना प्रथम उपदेश सारनाथ (ऋषिपतनम) में दिया, जिसे बौद्ध ग्रंथों में “धर्मचक्र प्रवर्त्तन” कहा गया है. बुद्ध ने अपने उपदेश पालि भाषा में दिए.
गौतम बुद्ध की मृत्यु
गौतम बुद्ध की मृत्यु 80 वर्ष की अवस्था में 483 ई.पू. में कुशीनगर (देवरिया, उत्तर प्रदेश) में चुंद द्वारा अर्पित भोजन करने के बाद हो गयी, जिसे बौद्ध धर्म में “महापरिनिर्वाण” कहा गया है.
निर्वाण-प्राप्ति
बुद्ध ने निर्वाण प्राप्ति के लिए निम्न दस शीलों पर बल दिया है. ये शील निम्नलिखित हैं:
- सत्य
- अहिंसा
- अस्तेय (चोरी नहीं करना)
- अपरिग्रह (किसी प्रकार की संपत्ति नहीं रखना)
- मदिरा सेवन नहीं करना
- असमय भोजन नहीं करना
- सुखप्रद बिस्तर पर नहीं सोना
- धन-संचय नहीं करना
- स्त्रियों से दूर रहना और
- नृत्य-गान आदि से दूर रहना
गौतम बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग (Astangik marg of Gautam Buddha)
गौतम बुद्ध (Gautam Buddh in Hindi) ने अष्टांगिक मार्ग की बात कही है. ये मार्ग निम्नलिखित हैं:
- सम्यक् कर्मान्त
- सम्यक् संकल्प
- सम्यक् वाणी
- सम्यक् कर्मान्त
- सम्यक् आजीव
- सम्यक् व्यायाम
- सम्यक् स्मृति एवं
- सम्यक् समाधि
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बौद्ध सभाएँ
सभा | समय | स्थान | अध्यक्ष | शासनकाल |
प्रथम बौद्ध संगति | 483 ई.पू. | राजगृह | महाकश्यप | अजातशत्रु |
द्वितीय बौद्ध संगति | 383 ई.पू. | वैशाली | सबाकामी | कालाशोक |
तृतीय बौद्ध संगति | 255 ई.पू. | पाटलिपुत्र | मोग्गलिपुत्त तिस्स | अशोक |
चतुर्थ बौद्ध संगति | ई. की प्रथम शताब्दी | कुंडलवन | वसुमित्र/अश्वघोष | कनिष्क |
बौद्ध धर्म के प्रमुख तथ्य
- “विश्व दुःखों से भरा है” का यह सिद्धांत बुद्ध ने उपनिषद से लिया था.
- बौद्धसंघ में प्रविष्ट होने को “उपसंपदा” कहा गया है.
- बौद्ध धर्म के तीन रत्न (त्रिरत्न) हैं– बुद्ध, धम्म और संघ.
- चतुर्थ बौद्ध संगीति के पश्चात् बौद्ध धर्म दो भागों में विभाजित हो गया: हीनयान और महायान.
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