Ganesh Chaturthi/ शनिवार, 22 अगस्त 2020
Ganesh Chaturthi 2020: गणेश चतुर्थी का त्यौहार भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। यह दिन गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान गणेश की उत्पत्ति हुई थी। गणेश जी को सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय माना गया है।
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का त्यौहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग ढोल नगाड़ों के साथ गणपति बप्पा को अपने घर लेकर आते हैं। सारा वातावरण गणपति बप्पा मोरया के जयकारों से गूंज उठता है। इस त्यौहार की सबसे ज्यादा धूम महाराष्ट्र और खास तौर से मुंबई में होती है लेकिन इस साल कोरोना की वजह से हर साल की तरह जबरदस्त भीड़ होने की संभावना कम ही है।
इस वर्ष यानि सन 2020 में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) या विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) 22 अगस्त दिन शनिवार को मनाई जाएगी। आप भी इस दिन बप्पा को अपने घर लाकर विराजमान करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक लोग अपने-अपने घरों में गणपति जी को लाकर विराजमान करते हैं और श्रद्धापूर्वक पूजन, आरती, भोग और विसर्जन के कार्यक्रम करते हैं। दो से दस दिन तक चलने वाला यह पर्व लोग श्रद्धापूर्वक मनाते हैं। गणेश जी बुद्धि, विवेक, धन-धान्य, रिद्धि-सिद्धि के स्वामी हैं। उनको प्रसन्न्न करने से पूरे वर्ष घर में शुभ प्रभाव रहते हैं।
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2020) तिथि आरंभ और समापन समय
इस साल यानि सन 2020 की गणेश चतुर्थी भाद्रपद (भादो) मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 21 अगस्त शुक्रवार को 11:02 PM यानि रात 11 बजकर 02 मिनट से शुरू होगी और 22 अगस्त शनिवार को 07:57 PM बजे तक यानि शाम के 07 बजकर 57 मिनट तक रहेगी।
धार्मिक मान्यता के अनुसार गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) की पूजा हमेशा दोपहर के मुहूर्त में की जाती है क्योंकि गणेश जी का जन्म दोपहर में हुआ था। 22 अगस्त को दिन में 11 बजकर 06 मिनट से दोपहर 01 बजकर 42 मिनट के मध्य भगवान गणेश की पूजा का सबसे उत्तम समय है।
गणपति बप्पा को घर लाना
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के दिन भगवान गणेश को अपने घर लाने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए। स्नानादि कर गणेश जी की प्रतिमा को घर लाकर विराजमान करें। यह ध्यान रखें कि इस दिन चंद्रमा के दर्शन करना वर्जित है। किसी चौकी पर आसन लगाकर गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करना चाहिए। इसके बाद एक कलश में सुपारी डालें और नए कपड़े में बांधकर रखें। पूरे परिवार के साथ गणेश जी की पूजा करें, दुर्वा और सिंदूर अर्पित करें। गणेश जी को लड्डू या मोदक का भोग लगाएं। इसके बाद बाद लड्डूओं को प्रसाद के रुप में बांटें।
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विसर्जन के दिन तक सुबह-शाम रोज गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। पूजा के अंत में गणेश जी की आरती गानी चाहिए एवं गणेश चालीसा का पाठ करना चाहिए।
गणेश चतुर्थी का महत्व (Importance of Ganesh Chaturthi in Hindi)
भगवान गणेश को सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय माना गया है। गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था इसलिए उनके जन्मोत्सव का यह त्यौहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
इस दिन गणपति बप्पा (Ganpati Bappa) को अपने घर में लाकर विराजमान करने से वे अपने भक्तों के सारे विध्न, बाधाएं दूर करते हैं। इसलिए गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। गणेश चतुर्थी को लोग गणेश जी को अपने घर लाते हैं, गणेश चतुर्थी के ग्यारहवें दिन धूमधाम के साथ उन्हें विसर्जित कर दिया जाता है और अगले बरस जल्दी आने की प्रार्थना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि गणपति जी को अपने घर में स्थापित करने से उस व्यक्ति के घर में किसी तरह की कोई कमी नहीं रहती है।
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) पर पूजा करने की विधि
अगर आपको गणेश चतुर्थी के दिन बप्पा को अपने घर लाना है तो सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नानादि करें, और धूमधाम के साथ गणेश जी की प्रतिमा को लाकर विराजमान करें। इस दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए।
गणेश जी की प्रतिमा को किसी चौकी पर आसन लगाकर स्थापित करें, साथ ही एक कलश में सुपारी डाल कर किसी कोरे (नए) कपड़े में बांधकर रखें।
भगवान गणेश को स्थापित करने के बाद पूरे परिवार सहित उनकी पूजा करें। सिंदूर और दूर्वा अर्पित करें। गणेश जी को लड्डू या मोदक का भोग लगाएं। उसके बाद लड्डूओं को प्रसाद के रुप में बांट दें।
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के दिन से लेकर विसर्जन के दिन तक सुबह और शाम दोनों समय गणेश जी की विधि-विधान से पूजा करें। गणेश जी की कथा पढ़े या सुनें, गणेश चालीसा का पाठ करें। पूजा के बाद सबसे अंत में रोज गणेश जी की आरती जरुर गाएं।
समस्त अनुष्ठान इसी दिन पूरे करने पड़ते हैं। इसके परिहार के लिए शास्त्रों में वर्णित चौघडिया मुहूर्त शुभता प्रदान करने वाला बताया गया है। सन 2020 की गणेश चतुर्थी के लिए 22 अगस्त को दोपहर 12:22 बजे से शाम 4:48 बजे तक चर, लाभ एवं अमृत के चौघड़िया है। इस अवधि में गणपति जी को अपने घर लाकर विराजमान कर सकते हैं। इस अवधि में स्थित एवं चर लग्न भी शुभ हैं। वैसे भी मध्याह्न के पश्चात अशुभ एवं क्रूर योगों का प्रभाव कम हो जाता है।
जनश्रुति के अनुसार इस तिथि काके चांद के दर्शन करने से एक वर्ष में कोई कलंक लग सकता है। गणपति धाम के संचालक अशोक गुप्ता ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण को भी इसका कलंक लग गया था। यदि भूलवश इस दिन चंद्रमा के दर्शन हो जाएं तो प्रात:काल सफेद वस्तुओं का दान किसी ब्राह्मणी को करना चाहिए। गणेश जी के किसी भी मंत्र का जाप करना शुभ रहता है।
भगवान गणेश की जन्म कथा (Ganesh Chaturthi 2020 Katha)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार नंदी से माता पार्वती की किसी आज्ञा के पालन में ऋुटि हो गई। जिसके बाद माता से सोचा कि कुछ ऐसा बनाना चाहिए, जो केवल उनकी आज्ञा का पालन करें। ऐसे में उन्होंने अपने उबटन से एक बालक की आकृति बनाकर उसमें प्राण डाल दिए। कहते हैं कि जब माता पार्वती स्नान कर रही थीं तो उन्होंने बालक को बाहर पहरा देने के लिए कहा। माता पार्वती ने बालक को आदेश दिया था कि उनकी इजाजत के बिना किसी को अंदर नहीं आने दिया जाए।
कहते हैं कि भगवान शिव के गण आए तो बालक ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। इसके बाद स्वयं भगवान शिव आए तो बालक ने उन्हें भी अंदर नहीं जाने दिया। इस बात से भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने बालक का सिर धड़ से अलग कर दिया। माता पार्वती जब बाहर आईं तो वह यह सब देखकर क्रोधित हुईं। उन्होंने उनके बालक को जीवित करने के लिए कहा। तब भगवान शिव ने एक हाथी का सिर बालक के धड़ से जोड़ दिया।
गणेश जी को गणपति क्यों कहा जाता है?
कहा जाता है कि इस बालक को सभी देवताओं ने कई वरदान दिए। सभी गणों का स्वामी होने के कारण भगवान गणेश को गणपति कहा जाता है। गज (हाथी) का सिर होने के कारण इन्हें गजानन कहते हैं।
गणेश जन्मोत्सव के दिन गणपति की विशेष आराधना की जाती है, ताकि वे व्यक्ति के जीवन के सभी संकटों का नाश कर उसकी हर मनोकामना को पूरा करें।
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