FPI Full Form in Hindi, FPI: Foreign Portfolio Investment (विदेशी पोर्टफोलियो निवेश)
FPI का फुल फॉर्म है: “Foreign Portfolio Investment” जिसका हिंदी अर्थ होता है: “विदेशी पोर्टफोलियो निवेश”. जब दूसरे देश के निवेशकों द्वारा प्रतिभूतियों और अन्य वित्तीय संपत्तियों की खरीद फरोख्त की जाती है तो इसे विदेशी पोर्टफोलियो निवेश यानि FPI (एफपीआई) (FPI Full Form) कहते हैं. विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के उदाहरणों में स्टॉक, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, अमेरिकी डिपॉजिटरी रसीदें (एडीआर), और वैश्विक डिपॉजिटरी रसीदें (जीडीआर) शामिल हैं।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में किसी दूसरे देश में निवेशकों द्वारा रखी गई प्रतिभूतियां और अन्य वित्तीय परिसंपत्तियां को ही शामिल किया जाता है। यह निवेशक को कंपनी की संपत्ति का प्रत्यक्ष स्वामित्व प्रदान नहीं करता है और बाजार की अस्थिरता के आधार पर अपेक्षाकृत निर्भर करता है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के साथ, FPI विदेशी अर्थव्यवस्था में निवेश करने के सामान्य तरीकों में से एक है। अधिकांश अर्थव्यवस्थाओं के लिए एफडीआई (FDI) और एफपीआई (FPI) दोनों ही फंडिंग के महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) की महत्वपूर्ण बातें
- विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में कोई भी निवेशक अपने देश के बाहर किसी भी देश में वित्तीय संपत्ति रख सकता है।
- एफपीआई होल्डिंग्स में स्टॉक, एडीआर, जीडीआर, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड शामिल हो सकते हैं।
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- विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) के साथ, एफपीआई निवेशकों के लिए विदेशी अर्थव्यवस्था, विशेषकर खुदरा निवेशकों में भाग लेने के सामान्य तरीकों में से एक है।
- एफडीआई के विपरीत, एफपीआई (FPI Full Form) में निष्क्रिय स्वामित्व होता है अर्थात निवेशकों का उपक्रमों या संपत्ति के प्रत्यक्ष स्वामित्व या किसी कंपनी में हिस्सेदारी पर कोई नियंत्रण नहीं होता है।
विदेशी नेवेश के सामान्य तरीके
बाहर से आने वाले निवेशक जब भारत में अपना व्यापार स्थापित करते हैं या किसी भारतीय कंपनी में अपना पैसा लगाते हैं तो उसे विदेशी निवेश कहा जाता है। और इनके द्वारा निवेश किए गए पैसे को यह कभी भी निकाल कर वापस ले जा सकते हैं क्योंकि यह पूंजी निवेश रिपोर्टेबल बेसिस पर होती है। विदेशी निवेश से भारत में कारोबार काफी बढ़ा है और भारत में विदेशी निदेशकों की दिलचस्पी भी बढ़ी है। FPI भी विदेशी निवेश करने का एक तरीका है.
विदेशी निवेश आप दो प्रकार से कर सकते हैं जो इस प्रकार हैं:
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI)
- विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI)
FPI (विदेशी पोर्टफोलियो निवेश) से लाभ
- विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI Full Form) बढ़ने से अर्थवयवस्था में वृद्धि हुई है।
- विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के कारण किसी भी आने वाली समस्या का सामना करने के लिए सरकार के पास भरपूर विदेशी मुद्रा का भण्डार होता है जिससे किसी भी आपात स्थिति स ए निपटा जा सकता है।
- विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के कारण व्यापर बढ़ता है जिससे शेयरधारकों को भी लाभ होता है।
- निजी बैंकों, फास्ट-मूविंग कंज़्यूमर गुड्स और इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में विदेशी प्रवाह देखा गया है, क्योंकि इन भारतीय कंपनियों ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए लॉकडाउन प्रतिबंधों के हटने के बाद तेज़ी से वृद्धि हुई है।
- वर्ष 2020 में फार्मा क्षेत्र एक पसंदीदा विकल्प के रूप में उभरा है और इस क्षेत्र ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया।
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