Eid-E-Milad in Hindi 2020 ईद-ए-मिलाद या मीलाद उन-नबी का पर्व

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Eid-E-Milad in Hindi

Eid-E-Milad in Hindi 2020 / Milad-un-Nabi / Barawafat / Mawlid / ईद-ए-मिलाद या ईद-ए-मिलादुन्नबी या मीलाद उन-नबी का पर्व

Eid-E-Milad in Hindi 2020 ईद-ए-मिलाद या ईद-ए-मिलादुन्नबी या मीलाद उन-नबी इस्लाम धर्म के मानने वालों का एक प्रमुख त्यौहार है। यह इस्लाम धर्म के प्रणेता हजरत मुहम्मद सल्ल. के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस शब्द का मूल मौलिद (Mawlid) है जिसका अर्थ अरबी में “जन्म” है। अरबी भाषा में ‘मौलिद-उन-नबी’ का मतलब है हज़रत मुहम्मद का जन्म दिन है। यह त्यौहार 12 रबी अल-अव्वल को मनाया जाता है। ईद-ए-मिलाद या मीलाद उन नबी संसार का सबसे बड़ा जश्न माना जाता है क्योंकि विश्व में इस्लाम धर्म के अनुयायी सबसे ज्यादा हैं जो इसे मनाते हैं. Milad-un-Nabi मिलाद उन नबी को बारावफात (Barawafat) या मव्लिद (Mawlid) भी कहा जाता है.

ईद का अर्थ होता है उत्सव मनाना और मिलाद का अर्थ होता है जन्म होना। ईद-ए-मिलाद के रूप में जाना जानेवाला दिन, मिलाद-उन-नबी पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस्लाम में बेहद महत्वपूर्ण यह दिन इस्लामी कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन मनाया जाता है। Eid-E-Milad in Hindi

हालांकि, मोहम्मद साहब का जन्मदिन एक खुशहाल अवसर है लेकिन मिलाद-उन-नबी शोक का भी दिन है। क्योंकि रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन ही पैगंबर मोहम्मद साहब खुदा के पास वापस लौट गए थे। यह उत्सव मोहम्मद साहब के जीवन और उनकी शिक्षाओं की भी याद दिलाता है।

क्या है ईद-ए-मिलादुन्नबी का महत्व (Eid-E-Milad Importance in Hindi)

ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार, मोहम्मद साहब का जन्म सन् 570 में सऊदी अरब में हुआ था। इस्लाम के ज्यादातर विद्वानों का मत है कि मोहम्मद का जन्म इस्लामी पंचांग के तीसरे महीने के 12वें दिन हुआ है। अपने जीवनकाल के दौरान, मुहम्मद साहब ने इस्लाम धर्म की स्थापना की, जो अल्लाह की इबादत के लिए समर्पित था। सन् 632 में पैगंबर मोहम्मद साहब की मृत्यु के बाद, कई मुसलमानों ने विविध अनौपचारिक उत्सवों के साथ उनके जीवन और उनकी शिक्षाओं का जश्न मनाना शुरू कर दिया।

मक्का शहर में 571 ईसवी को पैगम्बर साहब हजरत मुहम्मद सल्ल. का जन्म हुआ था। इसी की याद में ईद मिलादुन्नबी का पर्व मनाया जाता है। हजरत मुहम्मद सल्ल. ने ही इस्लाम धर्म की स्‍थापना की है। हजरत सल्ल. इस्लाम के आखिरी नबी हैं और ऐसी मान्यता है कि इनके बाद अब कयामत तक कोई नबी नहीं आने वाला। मक्का की पहाड़ी की गुफा, जिसे गार-ए-हिराह कहते हैं सल्ल. को वहीं पर अल्लाह ने फरिश्तों के सरदार जिब्राइल अलै. के मार्फत पवित्र संदेश सुनाया था.   

इस्लाम से पहले पूरा अरब सामाजिक और धार्मिक बिगाड़ का शिकार था। लोग तरह-तरह के बुतों की पूजा करते थे। असंख्य कबीले थे, जिनके अलग-अलग नियम और कानून थे। कमजोर और गरीबों पर जुल्म होते थे और औरतों का जीवन सुरक्षित नहीं था। Eid-E-Milad in Hindi

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हजरत मुहम्मद सल्ल. ने लोगों को एक ईश्वरवाद की शिक्षा दी। अल्लाह की प्रार्थना पर बल दिया, लोगों को पाक-साफ रहने के नियम बताए साथ ही लोगों के जानमाल की सुरक्षा के लिए भी इस्लामिक तरीके लोगों तक पहुंचाए। इन्होने अल्लाह के दूत के रूप में अल्लाह के पवित्र संदेश को लोगों को तक पहुंचाया। इनके विचारों को और नए धर्म के प्रचार के कारण मक्का के तथाकथित धार्मिक और सामाजिक व्यवस्थापकों को यह बात पसंद नहीं आई और उन्होंने इनको तरह-तरह से परेशान करना शुरू कर दिया, जिसके कारण ये सन् 622 में अपने अनुयायियों के साथ मक्का से मदीना के लिए कूच कर गए जिसे ‘हिजरत’ कहा जाता है।

सन् 630 में पैगंबर साहब ने अपने अनुयायियों के साथ कुफ्फार-ए-मक्का के साथ जंग की, जिसमें अल्लाह ने गैब से अल्लाह और उसके रसूल की मदद फरमाई। इस जंग में इस्लाम के मानने वालों की फतह हुई। इस जंग को जंग-ए-बदर कहते हैं। 632 ईसवी में हजरत मुहम्मद सल्ल. की मृत्यु हो गयी. उनका फैलाया हुआ धर्म जिसे इस्लाम धर्म के नाम से जाना जाता है, आज सबसे बड़ा शर्म है जिसके 150 करोड़ से ज्यादा अनुयायी हैं और विश्व में 56 ऐसे देश हैं जो पूरी तरह से इस्लामिक राष्ट्र हैं.

Eid-E-Milad in Hindi

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