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Dharmveer Bharti (धर्मवीर भारती का जीवन परिचय)

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Dharmveer Bharti

Dharmveer Bharti, हिंदी साहित्य के प्रमुख लेखको में धर्मवीर भारती का विशेष स्थान है। धर्मवीर भारती लेखक के साथ-साथ कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक भी थे। वे प्रख्यात साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग के प्रधान संपादक भी थे।

संक्षिप्त जीवनपरिचय

जन्म- 25 दिसंबर 1926, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु- 4 सितंबर 1997 मुंबई में,
शिक्षा- M.A. हिंदी, पी-एच-डी
उच्च शिक्षा की प्राप्ति- इलाहाबाद विश्वविद्यालय
राष्ट्रीयता- भारतीय
पिता- श्री चिरंजीव लाल वर्मा
माता- श्रीमती चंदा देवी
व्यवसाय- लेखक( कवि, निबंधकार व उपन्यासकार)
उल्लेखनीय कार्य- गुनाहों का देवता( उपन्यास) सूरज का सातवां घोड़ा( उपन्यास) अंधा युग( नाटक)
पत्नी (जीवनसाथी)- प्रथम पत्नी- कांता भारती, दूसरी पत्नी- पुष्पा भारती
संतान- पुत्री परमिता( प्रथम पत्नी कांता से) पुत्र किंशुक भारती और पुत्री प्रज्ञा भारती( दूसरी पत्नी पुष्पा से)

जीवन परिचय

हिंदी साहित्य के प्रख्यात लेखक डॉ. धर्मवीर भारती (Dharmveer Bharti) का जन्म इलाहाबाद शहर के अतरसुइया  मोहल्ले में 25 दिसंबर 1926 को एक कायस्थ परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम चिरंजीव लाल वर्मा तथा माता का नाम चंदा देवी था। परिवार का माहौल आर्य समाज में ढला होने के कारण धर्मवीर भारती के ऊपर धार्मिकता का गहरा प्रभाव पड़ा.

शिक्षा

डॉ. धर्मवीर भारती (Dharmveer Bharti) की प्रारंभिक शिक्षा इलाहाबाद के डी0ए0वी0 कालेज में हुई, तथा इनकी उच्च शिक्षा भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ही संपन्न हुई। प्रथम श्रेणी में एम ए करने के बाद डॉ॰ धीरेन्द्र वर्मा के निर्देशन में सिद्ध साहित्य पर शोध-प्रबंध लिखकर इन्होने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ही इन्होने पी-एच०डी० की उपाधि प्राप्त की।

घर और स्कूल से प्राप्त आर्यसमाजी संस्कार, इलाहाबाद विश्वविद्यालय का साहित्यिक वातावरण, देश भर में होने वाली राजनैतिक हलचलें, और बाल्यावस्था में ही पिता की मृत्यु तथा उससे उत्पन्न आर्थिक संकट इन सबने इनको अतिसंवेदनशील तथा तर्कशील बना दिया।

देश में चल रही विभिन्न प्रकार की राजनीतिक गतिविधियों का धर्मवीर भारती जी के ऊपर बहुत ही क्रांतिकारी प्रभाव पड़ा। बाल्यावस्था में इनके पिता का निधन हो जाने के कारण इन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा अपने आर्थिक विकास के लिए इन्होंने मार्क्स के सिद्धांत को अपनाया, किंतु ऐसा करने से भी इनके आर्थिक स्थिति में कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा।

कुछ दिनों तक इन्होने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्राध्यापक के पद को सुशोभित किया। इसी दौरान सन 1959 ई0 से 1987 ई0 तक इन्होने सुप्रसिद्ध पत्रिका “धर्मयुग” का संपादन किया जो मुंबई से प्रकाशित होती थी।

भारती जी को बचपन से ही दो प्रकार के शौक थे-

  1. पहला यात्रा करना।
  2. दूसरा अध्ययन और अध्यापन।

जिसे इन्होने जीवन भर जिंदा रखा। इनके साहित्य में भी इनके विशद अध्ययन और यात्रा-अनुभवों का प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है

सन 1972 ईस्वी में भारत सरकार ने इन्हें “पद्मश्री” की उपाधि से सुशोभित किया.  भारती जी की रचनाओं में काव्य, कथा तथा नाटक का समावेश मिलता है. इनकी कविताएं राग-युक्त तथा सरल भाषा में प्रचलित है। हिंदी साहित्य का यह अनूठा लेखक 4 सितंबर 1997 ईस्वी को इस संसार से विदा हो गया।

धर्मवीर भारती का साहित्यिक परिचय

धर्मवीर भारती जी (Dharmveer Bharti) एक प्रतिभाशाली कवि कथाकार एवं नाटककार थे। भारती द्वारा रचित कहानियों और उपन्यासों में आपने सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक समस्याओं को उठाते हुए जीवंत रूप में प्रस्तुत किया है। हिंदी साहित्य में भारती जी का बहुत बड़ा योगदान रहा इसी कारण से इन्हें विभिन्न प्रकार की पुरस्कारों से नवाजा गया. इनकी लेखन शैली बहुत खूबसूरत थी।
भारती जी ने अपनी कलम से जिस विधा को स्पर्श किया वह विधा अमर हो गई, इनकी उपन्यास में “ गुनाहों का देवता” नामक उपन्यास इनकी लेखनी का सुंदर परिचय देता है।

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धर्मवीर भारती की भाषा शैली

इनकी भाषा में परिमार्जित खड़ी बोली; मुहावरों लोकोक्तियां देशज तथा विदेशी आदि भाषा का भी प्रयोग हुआ है।
भारती जी की शैली भावात्मक, वर्णनात्मक, शब्द चित्रात्मक आलोचनात्मक तथा हास्य व्यंग्यात्मक  है।

धर्मवीर भारती की रचनाएं

इनकी लेखनी में हिंदी साहित्य की कहानी, निबंध, एकांकी, उपन्यास,नाटक, आलोचना संपादन तथा काव्य क्षेत्र में विभिन्न पुस्तकों की रचना किये। अपनी पुस्तकों में उपरोक्त शैलियों का प्रयोग किए जो पाठकों के लिए अत्यधिक रुचिकर सिद्ध हुआ।

धर्मवीर भारती की प्रमुख कृतियां

उल्लेखनीय सम्मान (पुरस्कार)-

1972 में पद्मश्री से अलंकृत डॉ. धर्मवीर भारती (Dharmveer Bharti) को अपने जीवन काल में अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए, जिसमें से कुछ निम्न हैं-

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