Delhi Oldfort, दिल्ली का पुराना किला (The famous old fort of Delhi) यहाँ की सबसे प्राचीन इमारतों में से एक है. यह दिल्ली का सबसे पुराना किला है शायद यही वजह है कि इसे पुराने किले के नाम से जाना जाता है.
दिल्ली का पुराना किला और इसके आस पास में विकसित हुई जगहों को प्राचीन दिल्ली का छठां शहर भी कहा जाता है. दिल्ली के पुराने किले का वर्तमान स्वरूप भारत के प्रथम अफगान शासक शेर शाह सूरी जो सुर साम्राज्य का संस्थापक भी था, की देन है. ऐसा माना जाता है कि जब सन 1545 में शेरशाह सूरी की मृत्यु हुई तब भी इसका निर्माण कार्य अधूरा था जो बाद में उसके बेटे इस्लाम शाह ने पूरा किया यद्यपि ये निश्चित नहीं है कि उसने कौन से भाग का निर्माण कराया.
ऐसा माना जाता है कि ये किला बहुत पुराना है शायद शेरशाह सूरी या हुमायूँ के जीवनकाल से भी पुराना. हुमायूँ शासन काल में ये किला दीन पनाह का हिस्सा था.. उसने 1533 में इसका जीर्णोद्धार कराया जो 5 वर्षों तक चला. जब 1539-40 में शेर शाह सूरी अपने प्रतिद्वंदी शासक हुमायूँ को हराकर दिल्ली की गद्दी पर बैठा तब उसने इस किले का नाम शेरगढ़ रखा. शेर शाह सूरी ने अपने 5 साल के शासनकाल में इसमें कई सारे निर्माण कार्य कराये. Delhi Oldfort
पुराने किले के अंदर शेरशाह द्वारा बनवाई प्रमुख इमारतें हैं: किला-ए-कुह्ना मस्जिद, अष्टभुजाकार लाल बलुये पत्थर वाली दोमंजिला लाट शेर मण्डल प्रमुख हैं. इसके अतिरिक्त सम्राट अकबर को पालने वाली माँ महम अंगा द्वारा निर्मित मस्जिद कैरुल मंजिल और शेरगढ़ के लिये दक्षिणी दरवाजा भी किले के अंदर की प्रमुख इमारतें हैं।
सन् 1545 में शेरशाह सूरी की मृत्यु के बाद जब हुमायूँ ने दोबारा दिल्ली और आगरा पर अपना अधिकार स्थापित किया तब शेरशाह सूरी द्वारा बनवाई गई लाल पत्थरों की इमारत अर्थात शेर मंडल में हुमायूँ ने अपना पुस्तकालय बनाया। बाद में हुमायूँ की मृत्यु भी इसी शेर मंडल की सीढ़ियों से गिरकर, घायल होकर हुई थी। Delhi Oldfort
किंवदंतियाँ
किंवदन्तियों के अनुसार पुराना किला यमुना नदी के किनारे स्थित था जिसकी सर्वप्रथम खोज पांडवों ने की थी.. कहा जाता है कि ये 5000 साल से भी अधिक पुराना है और महाभारत काल से पूर्व बना था। कुछ शोधार्थियों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि पुराना किला की चाहरदीवारी के अन्दर इन्द्रप्रस्थ नाम का एक छोटा सा पुरवा था। Delhi Oldfort
ऐतिहासिक महत्व
हुमायूँ के शासनकाल में पुराना किला दीन पनाह शहर का आंतरिक गढ़ हुआ करता था.. भारत का अन्तिम हिन्दू शासक सम्राट हेम चन्द्र विक्रमादित्य उर्फ हेमू सन् 1556 ईस्वी में अकबर की सेनाओं को दिल्ली और आगरा में परास्त करने के बाद अपना राजतिलक इसी महल में कराया था.
बाद में भी जब एडविन लुटयेंस 1920 में ब्रिटिश भारत की नयी राजधानी, नई दिल्ली की रचना कर रहे थे तब उन्होंने पुराना किला को ही राजपथ के साथ केंद्रीय रूप से गठबंधित किया।
भारत के स्वतंत्रता के बाद भी अगस्त 1947 में विभाजन के समय हुमायूँ के मकबरे के साथ-साथ पुराना किला भी शरणार्थियो के रहने की प्रमुख जगह बना।
दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के प्रमुख तथ्य
वास्तुकला
पुराने किले की दीवारे 18 मीटर ऊँची और लगभग 1.5 किलोमीटर में फैली हुई हैं. इस किले में तीन धनुषाकार प्रवेश द्वार हैं: पश्चिम में बड़ा दरवाजा, दक्षिण में हुमायूँ गेट और तलकी गेट हैं। बड़े दरवाजे का उपयोग आज भी किया जाता है जबकि हुमायूँ गेट और तलकी गेट से प्रवेश निषिद्ध है। दक्षिण गेट का निर्माण हुमायूँ ने करवाया था, शायद इसीलिए इसे हुमायूँ गेट के नाम से जाना जाता है इस गेट से हुमायूँ का मकबरा भी दिखाई देता है। Delhi Oldfort
किले के सभी द्वार विशाल पत्थर से बने हैं और इनके दोनों तरफ दो मेहराब भी बनाए गये हैं। किले के सभी द्वार उस समय की प्रसिद्ध कलाकृतियों से सजे हैं। इसके साथ-साथ किले की बालकनी, झरोखों और छत्रीयो को भी मुगल कालीन चित्रण से सजाया गया है।
वर्तमान उपयोग
1970 में पुराना किले की दीवारों का उपयोग थिएटर की पृष्ठभूमि के रूप में किया जाने लगा, जहाँ नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा का प्रोडक्शन होने लगा। यहाँ तुगलग, अँधा युग और सुल्तान रज़िया जैसे बहुत से नाटको का निर्माण किया गया, जिन्हें इब्राहीम अल्काजी ने निर्देशित किया था। प्रसिद्द हिंदी फीचर फिल्म वीर ज़ारा की कुछ शूटिंग भी पुराने किले में हुई थी. पुराने किले के परिसर में ही दिल्ली का चिड़ियाघर भी है जहाँ रोजाना हजारों की संख्या में लोग आते हैं.
दिल्ली का पुराना किला एक बहुत ही रोचक पर्यटन स्थल है. यहाँ हर रोज हजारों सैलानी और प्रेमी जोड़े आते हैं और इस जगह का लुफ़्त उठाते है.. यहाँ एक झील और बोट क्लब भी है, जहाँ लोग नौकायान का भरपूर आनंद लेते हैं. Delhi Oldfort
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