Delhi and Historical Ramlila Maidan / दिल्ली और उसका प्रसिद्द रामलीला मैदान
अगर मैं दिल्ली का जिक्र करूँ और साथ ही साथ मैदान की बात करूँ तो सुनने वालों को थोड़ा तो अचम्भा जरूर होगा कि भला दिल्ली जैसे घने बसे हुए शहर में ये कौन पागल मैदान की बात कर रहा है
दरअसल दिल्ली इन्द्रप्रस्थ काल से ही पहाड़ी भाग की बजाय अधिकतर मैदानी भाग में बसती आई है. यहाँ की पहाड़ियों को ना तो पहाड़ कह सकते हैं ना ही पठार. फिर राजा भले ही पहाड़ी के कुछ भाग में रहा हो, प्रजा तो मैदान में ही खेती बाड़ी करेगी ना? तो उस काम में दिल्ली एक विस्तृत मैदान थी.. आबादी के बढ़ने के साथ ही आसपास के खाली पड़े हुए स्थान खेल-कूद और मेलों ठेलों के लिए मैदान ही बने रहे. दिल्ली में आज भी अनेक स्थान मैदान नाम से जाने जाते हैं जिसका कि अपना एक इतिहास है. Delhi and Historical Ramlila Maidan
दिल्ली का सबसे ज्यादा प्रसिद्द मैदान रामलीला मैदान है. एक समय इसका विस्तार दिल्ली दरवाजे से होता हुआ तुर्कमान दरवाजे से अजमेरी दरवाजे तक था. यानी शहर का प्रत्येक दक्षिणी द्वार इसी मैदान में खुलता था. सैकड़ों वर्षों से यहाँ शहर वालों के लिए रामलीला का आयोजन होता चला आया है. इसी वजह से इसे रामलीला मैदान कहा जाने लगा. अब तक देश के सभी प्रधानमंत्री और अन्य प्रमुख नेता यहाँ आकर आशीर्वाद का आदान-प्रदान करते रहे हैं
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शहर के अंदर मुहल्ला जटवाडा और घोसियान है. किसी समय इस रामलीला मैदान में इनके पशु विचरण करते थे और यहाँ के तालाब या जोहड़ में पानी पीते थे. वर्तमान कलम मार्किट का तलब भरे 8-9 दशक हो चुके हैं. अब तो बेचारे मैदान के बीच से छेदते हुए कई सड़के निकल गयी हैं. हाँ अब भी गरीबों के गदहे, खच्चर, घोड़े, भेड़, बकरियाँ इधर घास फूस चरती और अपनी दुम हिलाते देखी जा सकती हैं. वैसे इधर से गुजरने वालों के लिए एक हिदायत भी है. Delhi and Historical Ramlila Maidan
इधर से गुजरें तो नाक पर रुमाल अवश्य रख लें
अब तो यहाँ एक ओर अंडरग्राउंड पार्किंग स्थल बन गया है और रामलीला मैदान के नाम पर सिर्फ लोहे की रेलिंग से घिरा एक स्थान मात्र रह गया है जिसके मंच के निकट से उसे तुर्कमान दरवाजा और हज हाउस घूरते रहते हैं
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रामलीला मैदान का बहुत ऐतिहासिक महत्व है. यह दिल्ली का एक प्रमुख सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनितिक और आर्थिक केंद्र है. देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु यहाँ से देश को सैकड़ों बार संबोधित किये होगे. उन्ही के कहने पर यहाँ रानी एलिज़ाबेथ के प्रथम आगमन पर लोहे की रेलिंग लगी थी. यही स्थान देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के लिए श्रधांजली स्थल बना तथा आपातकालीन आदेश उठने पर इंदिरा गाँधी, मोरारजी देसाई, बालाजी देवरस अपने उदगार यहीं प्रगट किये थे. Delhi and Historical Ramlila Maidan
राजनीति के प्रदुषण से रामलीला मैदान को मुक्त कराने के लिए यहाँ यज्ञ, हवन, धार्मिक प्रवचन भी वर्ष भर चलते रहते हैं. यह भी राम का ही प्रताप है कि किसी राजनेता ने इसके नाम का व्यक्तिकरण करने का साहस आज तक नहीं जुटाया
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