Deepawali Diwali in Hindi दीपावली या दीवाली का त्यौहार और मनाने की कहानी

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Deepawali Diwali in Hindi

Deepawali Diwali in Hindi / दीपावली या दीवाली का त्यौहार, उसका इतिहास और मनाने की कहानी / दीपावली पर दीप जलाने की प्रथा और विभिन्न धर्मों के अनुसार दीपावली का महत्व

दीपावली जिसे दिवाली, दीवाली या दीपोत्सव के नाम से जाना जाता है, हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। यह शरद ऋतु के मौसम में भारतीय उपमहाद्वीप में हर वर्ष मनाया जाने वाला एक प्राचीन हिन्दू त्यौहार है। दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार अक्टूबर या नवंबर महीने में पड़ता है। दीपावली भारत के सबसे बड़े और सर्वाधिक महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है। दीपावली दीपों का त्योहार है। आध्यात्मिक रूप से यह त्यौहार ‘अन्धकार पर प्रकाश की विजय’ को दर्शाता है।

भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। उपनिषद का यह वाक्य ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात हे भगवान! “मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलिए”, दीपावली का मूल वाक्य है।

दीपावली या दीवाली एकमात्र ऐसा त्यौहार है जिसे हिन्दुओं के साथ साथ सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी धूमधाम से मनाते हैं। जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं तथा सिख समुदाय के लोग इसे बन्दी छोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं। Deepawali Diwali in Hindi

दीवाली मनाने के पीछे की कहानी (History behind the Celebration of Diwali)

रामायण की कथा के अनुसार, दीपावली के दिन ही अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात वापस अयोध्या लौटे थे। अयोध्यावासियों का हृदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा था और उन्होंने श्री राम के स्वागत में घी के दीपक जलाए। कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तब से आज तक भारतीय जनता प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाती है। भारतीयों का विश्वास है कि सत्य की सदा जीत होती है, झूठ का नाश होता है। दीवाली यही चरितार्थ करती है- असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय।

दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है। कई सप्ताह पूर्व ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती हैं। लोग अपने घरों, दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं। घरों में मरम्मत, रंग-रोगन, सफेदी आदि का कार्य होने लगते हैं। लोग दुकानों को भी साफ-सुथरा करके सजाते हैं। बाजारों में, गलियों को भी सुनहरी झंडियों से सजाया जाता है। दीपावली से पहले ही घर-मोहल्ले, बाजार सब साफ-सुथरे व सजे-धजे नज़र आते हैं।

दीवाली के दिन भारत, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, मारीशस, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, सूरीनाम, मलेशिया, सिंगापुर, फिजी, पाकिस्तान अदि देशों में सरकारी अवकाश होता है।

दीपावली शब्द की उत्पत्ति

दीपावली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों ‘दीप’ अर्थात ‘दिया’ व ‘अवली’ अर्थात ‘लाइन’ या ‘श्रृंखला’ के मिश्रण से हुआ है। दीपावली के उत्सव में घरों के द्वारों, घरों व मंदिरों पर लाखों दीपों को प्रज्वलित किया जाता है। दीपावली को दिवाली के अलावा भी अन्य भाषाओं में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है जैसे : ‘दीपावली’ (उड़िया), दीपाबॉली’ (बंगाली), ‘दीपावली’ (असमी, कन्नड़, मलयालम:ദീപാവലി, तमिल:தீபாவளி और तेलुगू), ‘दिवाली’ (गुजराती:દિવાળી, हिन्दी, दिवाली, मराठी:दिवाळी, कोंकणी:दिवाळी,पंजाबी), ‘दियारी’ (सिंधी:दियारी‎), और ‘तिहार’ (नेपाली) मारवाड़ी में दियाळी आदि। Deepawali Diwali in Hindi

दीपावली का इतिहास (History of Deepawali in Hindi)

दीपावली का इतिहास बहुत ही पुराना है। भारत में प्राचीन काल से दीवाली मनाई जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार दीवाली को कार्तिक माह में गर्मी की फसल के बाद के एक त्यौहार के रूप में दर्शाया गया है। पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में दीवाली का उल्लेख मिलता है। माना जाता है कि ये ग्रन्थ पहली सहस्त्राब्दी में लिखे गए थे। दीये (दीपक) को स्कन्द पुराण में सूर्य के हिस्सों का प्रतिनिधित्व करने वाला माना गया है, सूर्य जो हमें जीवन के लिए प्रकाश और ऊर्जा देता है और जो हिन्दू कैलंडर के अनुसार कार्तिक माह में अपनी स्तिथि बदलता है, उसी समय यह त्यौहार मनाया जाता है। Deepawali Diwali in Hindi

कुछ क्षेत्रों में हिन्दू दीवाली को यम और नचिकेता की कथा के साथ भी जोड़ते हैं। नचिकेता की कथा जो सही बनाम गलत, ज्ञान बनाम अज्ञान, सच्चा धन बनाम क्षणिक धन, आदि के बारे में बताती है। यह कथा पहली सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व में लिखे गए उपनिषद में वर्णित है।

7वीं शताब्दी के संस्कृत नाटक नागनंद में राजा हर्ष ने इसे दीपप्रतिपादुत्सवः कहा है, जिसमें दीये जलाये जाते थे और नव वर-वधू को उपहार दिए जाते थे। 9वीं शताब्दी में राजशेखर ने काव्यमीमांसा में इसे दीपमालिका कहा है जिसमें घरों की पुताई की जाती थी और तेल के दीयों से रात में घरों, सड़कों और बाजारों को सजाया जाता था। फारसी यात्री और इतिहासकार अलबरुनी ने भारत पर अपने 11वीं सदी के संस्मरण में, दीवाली को कार्तिक महीने में नये चंद्रमा के दिन पर हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार कहा है।

दीपावली का हर्षोल्लास तथा उत्सव

दीपावली में लोग अपने घरों को साफ कर उन्हें उत्सव के लिए सजाते हैं। नेपालियों के लिए इस त्यौहार का महत्व इसलिए है क्योंकि इस दिन से नेपाल संवत में नया वर्ष शुरू होता है। दीपावली नेपाल और भारत में सबसे बड़े शॉपिंग सीजन में से एक है। इस दौरान लोग कारें और सोने के गहने आदि महंगी वस्तुएँ तथा स्वयं और अपने परिवारों के लिए कपड़े, उपहार, उपकरण, रसोई के बर्तन आदि खरीदते हैं। लोग अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों को उपहार स्वरुप आम तौर पर मिठाइयाँ व सूखे मेवे देते हैं। इस दिन बच्चे अपने माता-पिता और बड़ों से अच्छाई और बुराई या प्रकाश और अंधेरे के बीच लड़ाई के बारे में प्राचीन कहानियों, कथाओं, और मिथकों के बारे में सुनते हैं। इस दौरान लड़कियाँ और महिलाएँ फर्श, दरवाजे के पास और रास्तों पर रंगोली और अन्य रचनात्मक पैटर्न बनाती हैं। युवा और वयस्क आतिशबाजी और प्रकाश व्यवस्था में एक दूसरे की सहायता करते हैं।

दीवाली के अवसर पर धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। दीवाली की रात को, आतिशबाजी आसमान को रोशन कर देती है। बाद में, परिवार के सदस्य और आमंत्रित मित्रगण भोजन और मिठाइयों के साथ रात को दीपावली मनाते हैं। Deepawali Diwali in Hindi

दीपावली पर दीप जलाने की प्रथा

दीवाली के अवसर पर दीप जलाने की प्रथा के पीछे अलग-अलग कारण या कहानियाँ हैं। राम भक्तों के अनुसार दीवाली वाले दिन अयोध्या के राजा राम लंका के अत्याचारी राजा रावण का वध करके अयोध्या लौटे थे। उनके लौटने कि खुशी में आज भी लोग यह पर्व मनाते है। कृष्ण भक्तिधारा के लोगों का मत है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी राजा नरकासुर का वध किया था। इस नृशंस राक्षस के वध से जनता में अपार हर्ष फैल गया और प्रसन्नता से भरे लोगों ने घी के दीए जलाए। एक पौराणिक कथा के अनुसार विंष्णु ने नरसिंह रूप धारणकर हिरण्यकश्यप का वध किया था तथा इसी दिन समुद्रमंथन के पश्चात लक्ष्मी व धन्वंतरि प्रकट हुए थे।

दीपावली का महत्व (Importance of Diwali in Hindi)

दीपावली का ऐतिहासिक महत्व

पंजाब में जन्मे स्वामी रामतीर्थ का जन्म व महाप्रयाण दोनों दीपावली के दिन ही हुआ। इन्होंने दीपावली के दिन गंगातट पर स्नान करते समय ‘ओम’ कहते हुए समाधि ले ली। महर्षि दयानन्द ने भारतीय संस्कृति के महान जननायक बनकर दीपावली के दिन अजमेर के निकट अवसान लिया। इन्होंने आर्य समाज की स्थापना की। दीन-ए-इलाही के प्रवर्तक मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल में दौलतखाने के सामने 40 गज ऊँचे बाँस पर एक बड़ा आकाशदीप दीपावली के दिन लटकाया जाता था। बादशाह जहाँगीर भी दीपावली धूमधाम से मनाता था। मुगल वंश के अंतिम सम्राट बहादुर शाह जफर दीपावली का त्यौहार बहुत हर्षोल्लास से मनाते थे और इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में वे भाग लेते थे। शाह आलम द्वितीय के समय में समूचे शाही महल को दीपों से सजाया जाता था एवं लालकिले में आयोजित कार्यक्रमों में हिन्दू-मुसलमान दोनों भाग लेते थे। Deepawali Diwali in Hindi

दीपावली का आर्थिक महत्व

दीवाली का त्यौहार भारत में एक प्रमुख खरीदारी की अवधि का प्रतीक है। उपभोक्ता खरीद और आर्थिक गतिविधियों के संदर्भ में दीवाली, पश्चिम में क्रिसमस के बराबर है। यह पर्व नए कपड़े, घर के सामान, उपहार, सोने और अन्य बड़ी ख़रीदारी का समय होता है। इस त्यौहार पर खर्च और ख़रीद को शुभ माना जाता है क्योंकि लक्ष्मी को, धन, समृद्धि, और निवेश की देवी माना जाता है। दीवाली भारत में सोने और गहने की ख़रीद का सबसे बड़ा सीज़न है। मिठाई, ‘कैंडी’ और आतिशबाजी की ख़रीद भी इस दौरान अपने चरम सीमा पर रहती है। प्रत्येक वर्ष दीवाली के दौरान पांच हज़ार करोड़ रुपए के पटाखों आदि की खपत होती है। Deepawali Diwali in Hindi

दीपावली का आध्यात्मिक महत्त्व

दीपावली एक ऐसा त्यौहार है जो विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं, कहानियों या मिथकों का समन्वय है। यह त्यौहार अलग-अलग कारणों से हिंदू, जैन और सिखों द्वारा मनायी जाती है लेकिन वे सब बुराई पर अच्छाई, अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और निराशा पर आशा की विजय को दर्शाते हैं।

हिन्दुओं के योग, वेदान्त, और सांख्य दर्शन में यह विश्वास है कि इस भौतिक शरीर और मन से परे वहां कुछ है जो शुद्ध, अनन्त, और शाश्वत है जिसे आत्मन् या आत्मा कहा गया है। दीवाली, आध्यात्मिक अन्धकार पर आन्तरिक प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई का उत्सव है।

विभिन्न धर्मों के अनुसार दीपावली

हिंदू धर्म के अनुसार दीवाली

दीपावली का धार्मिक महत्व हिंदू दर्शन, धर्म, पुराण, उपनिषद और अन्य धार्मिक महाकाव्यों, क्षेत्रीय मिथकों, किंवदंतियों, तथा मान्यताओं पर आधारित है।

प्राचीन हिंदू ग्रन्थ रामायण के अनुसार दीपावली के दिन ही 14 साल के वनवास के पश्चात भगवान राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस आये थे। दीवाली को उनकी वापसी के सम्मान के रूप में मनाया जाता है। Deepawali Diwali in Hindi

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अन्य प्राचीन हिन्दू महाकाव्य महाभारत के अनुसार कुछ दीपावली जैसा ही पर्व पांडवों के 12 वर्षों के वनवास व 1 वर्ष के अज्ञातवास के बाद उनकी प्रजा ने मनाया था। दीपावली को भगवान विष्णु की पत्नी तथा उत्सव, धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी से जुड़ा हुआ भी माना जाता है। दीपावली का पांच दिवसीय महोत्सव देवताओं और राक्षसों द्वारा दूध के लौकिक सागर के मंथन से पैदा हुई लक्ष्मी के जन्म दिवस से शुरू होता है। दीपावली की रात वह दिन है जब लक्ष्मी ने अपने पति के रूप में विष्णु को चुना और फिर उनसे शादी की। दीपावली के दिन लक्ष्मी के साथ-साथ भक्त बाधाओं को दूर करने के प्रतीक गणेश, संगीत एवं साहित्य की प्रतीक सरस्वती, और धन प्रबंधक कुबेर को प्रसाद अर्पित करते हैं। कुछ लोग दीपावली को विष्णु की वैकुण्ठ में वापसी के दिन के रूप में मनाते है। मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं और जो लोग उस दिन उनकी पूजा करते है वे आगे के वर्ष के दौरान मानसिक, शारीरिक दुखों से दूर एवं सुखी रहते हैं।

भारत के पूर्वी क्षेत्र उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में हिन्दू लक्ष्मी की जगह काली की पूजा करते हैं, और इस त्यौहार को काली पूजा कहते हैं। मथुरा और उत्तर मध्य क्षेत्रों में इसे भगवान कृष्ण से जुड़ा मानते हैं। अन्य क्षेत्रों में, गोवर्धन पूजा (या अन्नकूट) की दावत में कृष्ण के लिए 56 या 108 विभिन्न व्यंजनों का भोग लगाया जाता है और सांझे रूप से स्थानीय समुदाय द्वारा मनाया जाता है। भारत के कुछ पश्चिम और उत्तरी भागों में दीवाली का त्यौहार एक नये हिन्दू वर्ष की शुरुआत का प्रतीक हैं।

जैन धर्म के अनुसार दीवाली

जैन मतावलंबियों के अनुसार चौबीसवें तीर्थंकर, महावीर स्वामी को इस दिन मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इसी दिन उनके प्रथम शिष्य, गौतम गणधर को ज्ञान प्राप्त हुआ था। जैन समाज द्वारा दीपावली, महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है। महावीर स्वामी (वर्तमान अवसर्पिणी काल के अंतिम तीर्थंकर) को इसी दिन (कार्तिक अमावस्या) को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इसी दिन संध्याकाल में उनके प्रथम शिष्य गौतम गणधर को केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। अतः अन्य सम्प्रदायों से जैन दीपावली की पूजन विधि पूर्णतः भिन्न है।

सिख धर्म के अनुसार दीवाली

सिक्खों के लिए भी दीवाली महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन ही अमृतसर में 1577 में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था। इसके अलावा 1619 में दीवाली के दिन ही सिक्खों के छठे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को जेल से रिहा किया गया था।

दीवाली की रंगोली

दीपावली के दिन भारत में विभिन्न स्थानों पर मेले लगते हैं। दीपावली एक दिन का पर्व नहीं अपितु पर्वों का समूह है। दशहरे के पश्चात ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती है। लोग नए-नए वस्त्र सिलवाते हैं। दीपावली से दो दिन पूर्व धनतेरस का त्योहार आता है। इस दिन बाज़ारों में चारों तरफ़ जनसमूह उमड़ पड़ता है। बर्तनों की दुकानों पर विशेष साज-सज्जा व भीड़ दिखाई देती है। धनतेरस के दिन बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है इसलिए इस दिन प्रत्येक परिवार अपनी-अपनी आवश्यकता अनुसार कुछ न कुछ खरीदारी अवश्य करता है। इस दिन तुलसी या घर के द्वार पर एक दीपक जलाया जाता है। इससे अगले दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली होती है। इस दिन यम पूजा हेतु दीपक जलाए जाते हैं। अगले दिन दीपावली आती है। इस दिन घरों में सुबह से ही तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। बाज़ारों में खील-बताशे, मिठाइयाँ, खांड़ के खिलौने, लक्ष्मी-गणेश आदि की मूर्तियाँ आदि बिकने लगती हैं। स्थान-स्थान पर आतिशबाजी और पटाखों की दूकानें सजी होती हैं। सुबह से ही लोग रिश्तेदारों, मित्रों, सगे-संबंधियों के घर मिठाइयाँ व उपहार बाँटने लगते हैं। दीपावली की शाम लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। पूजा के बाद लोग अपने-अपने घरों के बाहर दीपक व मोमबत्तियाँ जलाकर रखते हैं। चारों ओर चमकते दीपक अत्यंत सुंदर दिखाई देते हैं। रंग-बिरंगे बिजली के बल्बों से बाज़ार व गलियाँ जगमगा उठते हैं। बच्चे तरह-तरह के पटाखों व आतिशबाज़ियों का आनंद लेते हैं। रंग-बिरंगी फुलझड़ियाँ, आतिशबाज़ियाँ व अनारों के जलने का आनंद प्रत्येक आयु के लोग लेते हैं। देर रात तक कार्तिक की अँधेरी रात पूर्णिमा से भी से भी अधिक प्रकाशयुक्त दिखाई पड़ती है। Deepawali Diwali in Hindi

हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार दीपावली से अगले दिन ही भगवान् श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत अपनी अँगुली पर उठाकर इंद्र के कोप से डूबते ब्रजवासियों को बचाया था। इसीलिए इस दिन लोग अपने गाय-बैलों को सजाते हैं तथा गोबर का पर्वत बनाकर पूजा करते हैं। अगले दिन भाई दूज का पर्व होता है। भाई दूज या भैया दूज को यम द्वितीय भी कहते हैं। इस दिन भाई और बहिन गांठ जोड़ कर यमुना नदी में स्नान करने की परंपरा है। इस दिन बहिन अपने भाई के मस्तक पर तिलक लगा कर उसके मंगल की कामना करती है और भाई भी प्रत्युत्तर में उसे भेंट देता है। दीपावली के दूसरे दिन व्यापारी अपने पुराने बहीखाते बदल देते हैं। वे दूकानों पर लक्ष्मी पूजन करते हैं। उनका मानना है कि ऐसा करने से धन की देवी लक्ष्मी की उन पर विशेष अनुकंपा रहेगी। कृषक वर्ग के लिये इस पर्व का विशेष महत्त्व है। खरीफ़ की फसल पक कर तैयार हो जाने से कृषकों के घर अनाज से भरे होते हैं इसलिए कृषक समाज भी अपनी समृद्धि का यह पर्व उल्लासपूर्वक मनाता है।

परम्परा

अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाई-चारे व प्रेम का संदेश फैलाता है। यह पर्व सामूहिक व व्यक्तिगत दोनों तरह से मनाए जाने वाला ऐसा विशिष्ट पर्व है जो धार्मिक, सांस्कृतिक व सामाजिक विशिष्टता रखता है। हर प्रांत या क्षेत्र में दीवाली मनाने के कारण एवं तरीके अलग हैं पर सभी जगह कई पीढ़ियों से यह त्योहार चला आ रहा है। लोगों में दीवाली की बहुत उमंग होती है। लोग अपने घरों का कोना-कोना साफ़ करते हैं, नये कपड़े पहनते हैं। मिठाइयों के उपहार एक दूसरे को बाँटते हैं, एक दूसरे से मिलते हैं। घर-घर में सुन्दर रंगोली बनायी जाती है, दिये जलाए जाते हैं और आतिशबाजी की जाती है। बड़े छोटे सभी इस त्योहार में भाग लेते हैं। Deepawali Diwali in Hindi

दीवाली के त्यौहार पर वायु प्रदूषण एवं अन्य चिन्तनीय पक्ष

दुनिया के अन्य प्रमुख त्यौहारों की तरह ही दीवाली का भी पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव चिंता योग्य है।

दीवाली पर वायु प्रदूषण

एक सर्वे के अनुसार आतिशबाजी के दौरान इतना वायु प्रदूषण नहीं होता जितना आतिशबाजी के बाद होता है। हर साल दीवाली के बाद वायु प्रदुषण का स्तर सामान्य दिनों की अपेक्षा औसत स्तर से दो गुना बुरा पाया जाता है। इस अध्ययन से यह पता चलता है कि आतिशबाज़ी के बाद हवा में धूल के महीन कण (en:PM2।5)  उपस्थित रहते हैं। यह प्रदूषण स्तर एक दिन के लिए रहता है, और प्रदूषक सांद्रता 24 घंटे के बाद वास्तविक स्तर पर लौटने लगती है। एक रिपोर्ट के अनुसार नए साल की पूर्व संध्या या संबंधित राष्ट्रीय के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जो दुनिया भर में आतिशबाजी समारोह होते हैं, उनसे भी अत्यधिक वायु प्रदुषण होता है जो ओजोन परत में छेद के कारक हैं।

दीवाली पर जलने की घटनाएं

दीवाली की आतिशबाजी के दौरान भारत में जलने की चोटों में वृद्धि पायी गयी है। अनार नामक एक आतशबाज़ी को 65% चोटों का कारण पाया गया है। अधिकांशतः वयस्क इसका शिकार होते हैं। समाचार पत्र, घाव पर समुचित नर्सिंग के साथ प्रभावों को कम करने में मदद करने के लिए जले हुए हिस्से पर तुरंत ठंडे पानी को छिड़कने की सलाह देते हैं अधिकांश चोटें छोटी ही होती हैं जो प्राथमिक उपचार के बाद ठीक हो जाती हैं। Deepawali Diwali in Hindi

दीवाली की प्रार्थनाएं

अलग-अलग क्षेत्रों के अनुसार दीवाली की प्रार्थनाएं अगला-अलग होती हैं। उदाहरण के लिए बृहदारण्यक उपनिषद की ये प्रार्थना जिसमें प्रकाश उत्सव का वर्णन है:

असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मा अमृतं गमय।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥

अर्थात

हे प्रभु, हमें असत्य से सत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर और मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो।
ॐ शांति शांति शांति।।

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