Child Development in Hindi (बाल विकास: अर्थ, परिभाषा और अवधारणा)

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Child Development in Hindi

Child Development in Hindi/ बाल विकास का अर्थ, परिभाषा और अवधारणा  

बाल विकास यानि कि बच्चे का विकास

बाल विकास (Child Development) के अंतर्गत हम बच्चे के विकास से सम्बंधित अवस्थाओं और परिस्थितियों का अध्ययन करते हैं। बाल विकास का आशय किसी मनुष्य के जन्म से लेकर किशोरावस्था के अंत तक उनमें होने वाले जैविक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों से हैं। बालक धीरे-धीरे निर्भरता से और अधिक स्वायत्तता की ओर बढ़ते हैं। चूंकि ये विकासात्मक परिवर्तन काफी हद तक जन्म से पहले के जीवन के दौरान आनुवंशिक कारकों और घटनाओं से प्रभावित हो सकते हैं इसलिए आनुवंशिकी और जन्म पूर्व विकास को आम तौर पर बच्चे के विकास के अध्ययन के हिस्से के रूप में शामिल किया जाता है। यहाँ पर हम बाल विकास से सम्बंधित सारे टॉपिक्स के बारे में पढेंगे। Child Development in Hindi

बाल विकास की अवधारणा (Concept of Child Development)

बाल विकास (Child Development) की प्रक्रिया एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। इस सृष्टि में प्रत्येक प्राणी प्रकृति द्वारा प्रदत अनुकूलन परिस्थितियों से उत्पन्न होता है। हर एक प्राणी के उत्पन्न होने तथा गर्भधारण की दशा भी अलग-अलग  होती है। सभी प्राणियों की तरह मनुष्य भी अपने परिवार में विकास एवं वृद्धि को प्राप्त करता है। हर एक बालक के विकास की प्रक्रिया एवं वृद्धि में अंतर देखने को मिलता है। किसी बालक की लम्बाई अधिक होती है तो किसी की कम होती है। किसी का मानसिक विकास तीव्र गति से होता है तो किसी का मंद गति से होता है। मनोवैज्ञानिकों द्वारा समय समय पर इस प्रकार की विभिन्नताओं का कारण और उनके समाधान पर विचार विमर्श किया जाता रहा है। इसके परिणामस्वरुप यह तथ्य प्राप्त हुआ कि बाल विकास की प्रक्रिया को वे अनेक कारण और तथ्य प्रभावित करते हैं, जो कि उसके परिवेश से सम्बंधित होते हैं

इस प्रकार बाल मनोविज्ञान के क्षेत्र में बाल विकास की अवधारणा का जन्म हुआ। इसमें बाल मनोवैज्ञानिकों द्वारा बाल विकास को अध्ययन का प्रमुख बिंदु मानते हुए उन समाधानों को खोजने का प्रयत्न किया गया, जो संतुलित बाल विकास में अपना योगदान देते हैं। बाल विकास की प्रक्रिया को भी इस अवधारणा में शामिल किया गया है। शैक्षिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बाल विकास की अवधारणा और उसके चरणों का ज्ञान होना अति आवश्यक है। वर्तमान समय में बाल विकास की यह अवधारणा बहुत महत्वपूर्ण और उपयोगी सिद्ध हुई है। Child Development in Hindi

बाल विकास का अर्थ (Meaning of Child Development)

बाल विकास (Child Development in Hindi) एक ऐसा विषय है जिसमे मुख्य रूप से बालक के स्वरुप, व्यवहार, रुचियों और उद्देश्यों में होने वाले परिवर्तनों, जो बालक के एक विकास कालक्रम से दूसरे विकास कालक्रम में प्रवेश करते समय होते हैं, उनके बारे में अनुसंधान किया जाता है और उन्हें हल करने की कोशिश की जाती है।  

बाल विकास के अध्ययन में बालकों में होने वाले परिवर्तनों के समय, परिस्थिति और कारणों के बारे में भी जाननें का प्रयत्न किया जाता है जिससे यह पता चल सके कि यह परिवर्तन व्यक्तिगत है या सार्वभौमिक है।

किसी बालक के विकास का मतलब होता है बालक के गर्भ में आने से लेकर पूर्ण प्रौढ़ता प्राप्त करने की स्थिति। पितृसूत्र और मातृसूत्र के संयोग से सबसे पहले माता के गर्भ में भ्रूण का विकास होता है, उसके बाद उसके अंगों का विकास होता है। तबसे लेकर यह विकास की प्रक्रिया लगातार चलती रहती है। इसके फलस्वरूप बालक विकास की विभिन्न अवस्थाओं से गुजरता है। परिणाम स्वरुप बालक का शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक विकास होता है।

बाल विकास, सिर्फ लम्बाई या आयु का बढना मात्र नहीं है अपितु यह परिपक्वतापूर्ण परिवर्तन है। बालकों में परिवर्तन एक निरंतर गतिशील प्रक्रिया है जो अनवरत रूप से चलती रहती है। बालकों में ये बदलाव एक दिन में दृष्टिगोचर नहीं होते।

अन्य शब्दों में कहें तो- विकास बड़े होने तक ही सीमित नहीं है, वस्तुतः यह एक ऐसी व्यवस्थित तथा समानुगत प्रगतिशील क्रम है, जो परिपक्वता प्राप्ति में सहायक होता है।

हरलॉक के शब्दों में- “बाल विकास में प्रमुख रूप से बालक का स्वरुप, व्यवहार, रुचियों, और उद्देश्यों में होने वाले विशेष परिवर्तनों के अनुसंधान पर बल दिया जाता है। जो बालक के एक विकास कालक्रम से दूसरे विकास कालक्रम में प्रवेश करते समय होते हैं। बाल विकास के अध्ययन में यह जानने का प्रयत्न किया जाता है कि यह परिवर्तन कब और क्यों होते हैं? यह परिवर्तन व्यक्तिगत है या सार्वभौमिक है?”

हरलॉक का दूसरा कथन-

“विकास की सीमा अभिवृद्धि तक ही नहीं है अपितु इसमें प्रौढ़ावस्था के लक्ष्य की ओर परिवर्तनों का प्रगतिशील क्रम निहित रहता है। विकास के परिणामस्वरूप व्यक्ति में अनेक नवीन विशेषतायें एवं नवीन योग्यताएं स्पष्ट होती हैं”।

“Development is not limited to growing larger. Instead, it consists of a progressive series of changes towards the goal of maturity. Development results in new characteristics and new abilities on the part of the individual.” 

जेम्स ड्रेवर (James Drever) के अनुसार-

“विकास, प्राणी में होने वाला प्रगतिशील परिवर्तन है, जो किसी लक्ष्य की ओर लगातार निर्देशित होता रहता है। उदाहरणार्थ- “किसी भी जाति में भ्रूण अवस्था से लेकर प्रौढ़ अवस्था तक उत्तरोत्तर परिवर्तन है।”

Development is a progressive change in an organism, continuously directed towards a certain and condition (i.e.: the progressive change from the embryo to the adult in any species.

मुनरो (Munroe) के अनुसार-

“परिवर्तन श्रृंखला की उस अवस्था को जिसमे बालक भ्रूणावस्था से लेकर प्रौढ़ावस्था तक गुजरता है, विकास कहा जाता है।”

The series of changes which an organism undergoes in passing from embryonic state to maturity is called development.”

संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि बाल विकास में समस्त प्रकार के परिवर्तन निहित हैं। यह परिवर्तन विकास की प्रत्येक अवस्था में कब और क्यों होते हैं? इस सब चीजों का अध्ययन बाल विकास के अंतर्गत किया जाता है।

बाल विकास में यह भी देखा जाता है कि जो परिवर्तन व्यक्तिगत या सार्वभौमिक रूप से होते रहते हैं, उनके पीछे वंशानुक्रमीय तथा वातावरणीय कारणों में से कौन सा प्रमुख है? अथवा उपरोक्त दोनों ही इस परिवर्तन के कारण हैं।

इस प्रकार यह स्पष्ट है कि विकास से आशय केवल बढ़ने से नहीं है। विकास का तात्पर्य परिपक्वता की ओर अग्रसर होने के एक निश्चित क्रम से है। विकास एक व्यवस्थित प्रक्रिया है और इसका तात्पय शरीर में होने वाले गुणात्मक परिवर्तन से है। Child Development in Hindi

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