Characteristics of Creative Children/ सृजनात्मक बालकों की विशेषताएं
सृजनात्मक बालकों में निम्नलिखित विशेषताएं पाई जाती हैं:
प्रखर बुद्धि
सृजनात्मक योग्यता वाले बालकों की बुद्धि प्रखर होती है। वह किसी भी चीज को अन्य बालकों की अपेक्षा शीघ्रता से सीखते हैं जबकि अन्य बालक उसी चीज को अधिक समय नहीं सीख पाते हैं। कक्षा में सृजनात्मक बालक अपनी पठन सामग्री को अन्य बालकों की अपेक्षा शीघ्रता से अंगीकृत कर लेते हैं।
विचारों की स्वतंत्रता
सृजनात्मक योग्यता वाले बालकों में विचारों की स्वतंत्रता पाई जाती हैं। वे अपने किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए स्वयं ही निर्णय लेना पसंद करते हैं। उन्हें अपने कार्यों में किसी का हस्तक्षेप पसंद नहीं होता।
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कार्यों में स्वतंत्रता
सृजनात्मक योग्यता वाले बालक किसी भी कार्य को स्वतंत्रतापूर्वक पूरा करना चाहते हैं। वे नियंत्रित परिस्थितियों में कार्य करना पसंद नहीं करते हैं।
Characteristics of Creative Children
आत्म प्रकाशन
सृजनात्मक बालकों में आत्म प्रकाशन की भावना पाई जाती है। वे अपने कार्यों द्वारा अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हैं।
सैद्धांतिक आदर्श
सृजनात्मक बालक सैद्धांतिक रूप से आदर्शवादी होते हैं। मैं अपनी परिस्थितियों को भली प्रकार समझते हैं तथा सूझबूझ के द्वारा किसी भी परिस्थिति में सही निर्णय ले सकते हैं।
सौंदर्यात्मक आदर्श
सृजनात्मक योग्यता वाले व्यक्तियों में सौंदर्यात्मक आदर्श पाया जाता है। उनमें प्राकृतिक रूप से सौंदर्य अनुभूति की भावना प्रखर होती है।
वास्तविक ज्ञान तक पहुंचने की योग्यता
सृजनात्मक बालकों में अपने कार्य के प्रति असीम लगन पाई जाती हैं, वे गलतियां करते हुए एवं उनसे कुछ न कुछ सीखते हुए वास्तविक ज्ञान तक पहुंच ही जाते हैं।
Characteristics of Creative Children
कार्यों में अपेक्षाकृत अधिक निष्पादन
सृजनात्मक योग्यता वाले बालकों के कार्यों में अपेक्षाकृत अधिक निष्पादन होता है।
सृजनात्मक बालक के पहचान की आवश्यकता (Needs of identification of Creative Children)
सृजनात्मक बालक राष्ट्र की धरोहर होते हैं। राष्ट्र के निर्माण एवं विकास के लिए इन बालकों की प्रतिभा को प्रारंभ से ही खोजना परम आवश्यक है। सृजनात्मक बालकों की पहचान और उनकी विशेषताओं की खोज के लिए निम्नलिखित विधियों का प्रयोग करते हैं एवं बालकों के सही मूल्यांकन के लिए इसका पता लगाना आवश्यक है।
बालकों के व्यवहार कार्य शैली तथा मानसिक क्षमता की जानकारी लेकर इसके बारे में उपचार करें। इन सब का पता लगाने के बाद ही उनकी वांछित दिशा में उत्पन्न सृजनात्मक शक्ति का विकास किया जा सकता है। इसके बाद ही इनका व्यक्तिगत, शैक्षिक, एवं व्यवसायिक मार्गदर्शन अपेक्षित मात्रा में संभव है। सृजनात्मक बालकों का पता लगाकर हम कक्षागत समस्याओं का निराकरण उनकी शैक्षिक एवं मानसिक शक्तियों एवं क्षमताओं के परिपेक्ष्य में कर सकते हैं।
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