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Buddhist Literature in Hindi (बौद्ध साहित्य: जातक, पिटक, निकाय आदि)

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Buddhist Literature in Hindi

Buddhist Literature in Hindi / बौद्ध साहित्य: जातक, पिटक, निकाय आदि शब्दावली की व्याख्या / Baudh Sahitya Jatak, Pitak, Nikay etc.

प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत के रूप में बौद्ध साहित्य का विशेष महत्त्व है. बौद्ध साहित्य के अंतर्गत जातक, पिटक और निकाय आदि आते हैं. इस आर्टिकल में हम बौद्ध साहित्य से सम्बंधित कुछ ऐसी ही शब्दावली के विषय में जानकारी देने जा रहे हैं जो परीक्षा में अक्सर पूछे जाते हैं

जातक बौद्ध साहित्य

बौद्ध साहित्य के अंतर्गत (Buddhist Literature in Hindi) जातक सबसे प्राचीन अंग कथाओं का संग्रह है. जातकों की संख्या 547 है. जातक में भगवान् बुद्ध के पूर्वजन्म की काल्पनिक कथाएँ हैं. काल्पनिक होने पर भी ये अपने समय और उससे पूर्व के समाज का चित्र हमारे समक्ष प्रस्तुत करती हैं. ईसा पूर्व प्रथम शताब्दी तक इनकी रचना हो चुकी थी. यह तथ्य साँची के स्तूप पर उत्कीर्ण दृश्यों से स्पष्ट है. ये कथाएँ न केवल धार्मिक व्यक्तियों के लिए ही महत्त्वपूर्ण हैं अपितु उन व्यक्तियों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं जो तत्कालीन भारतीय राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन से सम्बंधित सामान्य जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं.

आज के समय मौलिक जातक-संग्रह तो उपलब्ध नहीं है परन्तु जातकों का ज्ञान हमें इन पर लिखी गई एक टीका जातकटठण्णना” द्वारा होता है. इसे किसी भिक्षु ने लिखा था. जातकों में गद्यात्मक और पद्यात्मक दोनों प्रकारों की शैलियों का प्रयोग किया गया. विद्वानों की राय है कि इसकी पद्यशैली सरल है और इसे गद्य शैली की तुलना में पहले अपनाया गया था.

पिटक बौद्ध साहित्य

पिटक बौद्ध साहित्य तीन हैं:

इन्हें त्रिपिटक के नाम से जाना जाता है. गौतम बुद्ध के गया में निर्वाण प्राप्त करने के बाद इसकी रचना की गई. सतपिटक में महात्मा बुद्ध के उपदेश संकलित किए गए हैं. विनय पिटक में बुद्ध के नियमों का उल्लेख है और अभिधम्म पिटक में बौद्ध दर्शन का विवेचन किया गया है.

बुद्धचरितम

इस पुस्तक की रचना महाकवि अश्वघोष ने की थी. यह ग्रन्थ गौतम बुद्ध के जीवन चरित्र के विषय में बहुत जानकारी देता है.

महावंश और दीपवंश महाकाव्य

ये श्रीलंका का पालि महाकाव्य हैं. इससे लंका के इतिहास के साथ-साथ धार्मिक और सांस्कृतिक सम्बन्ध होने के कारण भारतीय इतिहास के बारे में भी काफी जानकारी मिलती है.

इसे भी पढ़ें: गौतम बुद्ध का जीवन परिचय और उनकी शिक्षाएं

मिलिंद पन्हो

इस बौद्ध ग्रन्थ में (Buddhist Literature in Hindi) बैक्ट्रियन और भारत के उत्तर पश्चिमी भाग पर शासन करने वाले हिंदू-यूनानी सम्राट मैनेन्डर और प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु नागसेन के संवाद का वर्णन दिया गया है. इसमें ईसा की पहली दो शताब्दियों के उत्तर-पश्चिमी भारतीय जीवन की झलक देखने को मिलती है.

दिव्यावदान

इनमें कई राजाओं की कथाएँ सम्राट अशोक और उनके पुत्र कुणाल से सम्बंधित हैं. इस तरह से यह मौर्यकालीन इतिहास की जानकारी का महत्वपूर्ण स्रोत है.

मंजूश्रीमलकल्प

इस ग्रन्थ में बौद्ध दृष्टिकोण से गुप्त सम्राटों का विवरण प्राप्त होता है. इसमें कुछ अन्य प्राचीन राजवंशों का भी संक्षिप्त वर्णन प्राप्त होता है.

अन्गुत्तर निकाय

इस ग्रन्थ में हमें प्राचीन सोलह महाजनपदों का वर्णन मिलता है.

ललित विस्तार और वैपुल्य सूत्र

इन दोनों पुस्तकों से भी बौद्ध धर्म के बारे में काफी जानकारी मिलती है.

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