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Buddhist Councils in Hindi (चारों बौद्ध संगीतियाँ: प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ)

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Buddhist Councils in Hindi

Buddhist Councils in Hindi / चारों बौद्ध संगीतियाँ: प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ का संक्षिप्त विवरण / Baudh Sangiti

इस आर्टिकल में हम बौद्ध धर्म की चारों बौद्ध संगीतियाँ के बारे में बताने जा रहे हैं. यहाँ पर आप प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ बौद्ध संगीतियों के विषय में पढेंगे और ये जानेंगे कि ये संगीतियाँ कहाँ और कब हुईं आदि.

बौद्ध संगीतियों के प्रमुख कार्य

प्रथम बौद्ध संगीति

प्रथम बौद्ध संगीति (Buddhist Councils in Hindi) के अंतर्गत बुद्ध की शिक्षाओं को संकलित कर उन्हें सुत्तपिटक (धर्म सिद्धांत) और विनय पिटक (आचार नियम) नामक दो पिटकों में विभाजित किया गया. आनंद और उपालि ने क्रमशः धर्म व विनय का संकलन किया.

द्वित्तीय बौद्ध संगीति

द्वित्तीय बौद्ध संगीति के अंतर्गत पूर्वी भिक्षुओं और पश्चिमी भिक्षुओं के मध्य विनय संबंधी नियमों को लेकर मतभेद होने के कारण भिक्षु संघ दो सम्प्रदायों में विभाजित हो गया:

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तृतीय बौद्ध संगीति

तृतीय बौद्ध संगीति के अंतर्गत तृतीय पिटक “अभिधम्म” (कथावस्तु) का संकलन किया गया जिसमें धर्म सिद्धांत की दार्शनिक व्याख्या की गई. तृतीय बौद्ध संगीति के अंतर्गत ही संघ में भेद को रोकने के लिए कठोर नियमों का निर्माण और बौद्ध साहित्य का परामाणिकीकरण किया गया. इस संगीति पर थेरवादियों का प्रभुत्व था.

चतुर्थ बौद्ध संगीति

चतुर्थ बौद्ध संगीति में महासांघिकों का बोलबाला था. बौद्ध ग्रन्थों के कठिन अंशों पर संस्कृत भाषा के विचार-विमर्श के बाद उन्हें “विभाषाशास्त्र” नामक टीकाओं में संकलित किया गया. इसी समय बौद्ध धर्म हीनयान तथा महायान नामक दो स्पष्ट और स्वतंत्र सम्प्रदायों में विभक्त हो गया.

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