Battle of Talikota in Hindi / तालीकोटा का युद्ध / राक्षस-तांगड़ी का युद्ध / बन्नीहट्टी का युद्ध
तालिकोट का युद्ध 23 जनवरी 1565 ई. को दक्कन के सल्तनतों और विजयनगर साम्राज्य के बीच लड़ा गया था। विजयनगर साम्राज्य की यह लडाई राक्षस-तांगड़ी नामक गावं के नजदीक लड़ी गयी थी इसलिए इस युद्ध को ‘राक्षस-तांगड़ी का युद्ध’ और ‘बन्नीहट्टी का युद्ध’ के नाम से भी जाना जाता है। इस युद्ध में विजय नगर साम्राज्य को हार का सामना करना पड़ा और इस तरह दक्षिण भारत के अंतिम हिन्दू साम्राज्य का पतन हो गया.
युद्ध की शुरूवात
तालीकोटा की लड़ाई (Battle of Talikota in Hindi) के समय, सदाशिव राय विजयनगर साम्राज्य का शासक था, लेकिन वह एक कठपुतली शासक था। वास्तविक शक्ति उसके मंत्री राम राय द्वारा प्रयोग किया जाता था। सदाशिव राय नें दक्कन की इन सल्तनतों के बीच अंतर पैदा करके उन्हें पूरी तरह से कुचलने की कोशिश की थी, हालाकि बाद में इन सल्तनतों को विजयनगर के इस मंसूबे के बारे में पता चल गया था और उन्होंने एकजुट होकर एक गठबंधन का निर्माण किया था और विजयनगर साम्राज्य पर हमला बोल दिया था।
विजयनगर साम्राज्य के विरोधी महासंघ में अहमदनगर, बीजापुर, गोलकुण्डा और बीदर शामिल थे। गोलकुण्डा और बरार के मध्य पारस्परिक शत्रुता थी जिसके कारण बरार इस युद्ध में शामिल नहीं हुआ. इस महासंघ के नेता ‘अली आदिलशाह’ ने रामराय से रायचूर एवं ‘मुद्गल’ के क़िलो को वापस माँगा। रामराय ने उसकी इस मांग को ठुकरा दिया जिसके परिणामस्वरुप दक्षिण के सुल्तानों की संयुक्त सेना राक्षस-तांगड़ी नामक गावं की ओर बढ़ी जहाँ पर रामराय की सेना एवं संयुक्त मोर्चे की सेना में भंयकर युद्ध प्रारम्भ हुआ।
दोनों सेनाओं की सैन्य शक्ति
विजयनगर के सेना में 140,000 पैदल सैनिक, 10,000 घुड़सवार और 100 से ज्यादा हाथी थे. वहीँ दक्कन की सल्तनतों की संयुक्त सेना में 80,000 पैदल सैनिक, 30,000 घुड़सवार और दर्जनों तोपें थी जिसकी वजह से दक्कन की सल्तनतों की संयुक्त सेना विजयनगर के सेना पर भरी पड़ी.
युद्ध में विजयनगर के सेना के सेनापति रामाराय सहित 1,00,000 से ज्यादा सैनिक मारे गए हालांकि दक्कन की सल्तनतों की संयुक्त सेना को भी भारी क्षति का सामना करना पड़ा.
युद्ध का परिणाम
इस युद्ध (Battle of Talikota in Hindi) के प्रारम्भिक क्षणों में संयुक्त मोर्चा विफल होता हुआ नज़र आया, परन्तु अन्तिम समय में तोपों के प्रयोग द्वारा मुस्लिम संयुक्त सेना ने विजयनगर सेना पर कहर ढा दिया, जिसके परिणामस्वरूप युद्ध क्षेत्र में ही सत्तर वर्षीय रामराय को घेर कर मार दिया गया. युद्ध के उपरांत दक्कन की सल्तनतों ने विजयनगर की राजधानी में प्रवेश करके उनको बुरी तरह से लूटा और सब कुछ नष्ट कर दिया।
तालीकोटा के युद्ध (Battle of Talikota in Hindi) के प्रमुख बिंदु
- इस युद्ध में रामराय की हत्या हुसैन शाह ने की थी।
- राजा रामराय की पराजय व उसकी मौत के बाद विजयनगर शहर को निर्मतापूर्वक लूटा गया।
- इस युद्ध की गणना भारतीय इतिहास के विनाशकारी युद्धों में की जाती है।
- इस युद्ध को ‘बन्नीहट्टी के युद्ध’ के नाम से भी जाना जाता है।
- फ़रिश्ता के अनुसार यह युद्ध ‘तालीकोटा’ में लड़ा गया, पर युद्ध का वास्तविक क्षेत्र ‘राक्षसी’ एवं ‘तंगड़ी’ गाँवों के बीच का क्षेत्र था।
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- तालीकोटा की लड़ाई के पश्चात दक्षिण भारतीय राजनीति में विजयनगर राज्य की प्रमुखता समाप्त हो गयी। हालांकि युद्ध के परिणामों के प्रतिकूल रहने पर भी विजयनगर साम्राज्य लगभग सौ वर्ष तक जीवित रहा और तिरुमल के सहयोग से सदाशिव ने पेनुकोंडा को राजधानी बनाकर शासन करना प्रारम्भ किया।
- यहीं पर विजयनगर में चौथे अरविडु वंश की स्थापना की गई।
- मैसूर के राज्य, वेल्लोर के नायकों और शिमोगा में केलादी के नायकों नें विजयनगर से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की।
- यद्यपि दक्कन की इन सल्तनतों नें विजयनगर की इस पराजय का लाभ नहीं उठाया और पुनः पहले की तरह एक दुसरे से लड़ने में व्यस्त हो गए और अंततः मुगलों के आक्रमण के शिकार हुए।
तालीकोटा के युद्ध (Battle of Talikota in Hindi) में विजयनगर की हार के प्रमुख कारण
- दक्कन की सल्तनतों की तुलना में विजयनगर के सेना में घुड़सवार सेना की संख्या कम थी, अतः विजयनगर के सेना को पराजय का सामना करना पड़ा।
- दक्कन की सल्तनतों की तुलना में विजयनगर के सेना में जो भी हथियार इस्तेमाल किये जा रहे थे वे अधिक परिष्कृत नहीं थे।
- दक्कन की सल्तनतों के तोपखाने युद्ध में बेहतर थे।
- विजयनगर की हार का सबसे बड़ा कारण गिलानी भाइयों का विश्वासघात था जिसके कारण विजयनगर की सेना को पराजय का सामना करना पड़ा।
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