Battle of Sobraon in Hindi / सोबरांव का युद्ध / प्रथम आंग्ल सिख युद्ध
सोबरांव का युद्ध (Battle of Sobraon in Hindi) 10 फ़रवरी, 1846 ई. को ईस्ट इंडिया कंपनी की सेनाओं और पंजाब के सिख साम्राज्य की सेना, सिख खालसा सेना के बीच लड़ा गया था। यह ‘प्रथम सिक्ख युद्ध’ (1845-1846 ई.) के अंतर्गत लड़ा गया पाँचवाँ और निर्णायक युद्ध था। इस युद्ध के परिणामस्वरूप सिख पूरी तरह से हार गए. इसी कारण से इसे प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध का निर्णायक युद्ध माना जाता है।
पहला एंग्लो-सिख युद्ध 1845 के अंत में शुरू हुआ. दरअसल 1839 में रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद सिख साम्राज्य में अव्यवस्था फ़ैल गयी और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बार बार उकसावे के कारण सिख खालसा सेना ने ब्रिटिश क्षेत्र पर आक्रमण कर दिया। अंग्रेजों ने युद्ध की पहली दो बड़ी लड़ाईयां भाग्य के सहारे जीती थी. इस युद्ध में अंग्रेजों की ब्रिटिश और बंगाल इकाइयों की दृढ़ता और सिख सेना के कमांडरों तेज सिंह और लाल सिंह द्वारा विश्वासघात करने का खामियाजा सिखों को हार से चुकाना पड़ा
युद्ध का वर्णन
- सतलुज नदी के पूर्वी तटों पर अंग्रेजों का कब्जा हो चुका था. अंग्रेजों द्वारा बार बार उकसाने के कारण सिख खालसा सेना ने सतलुज नदी के पूर्वी तट पर आक्रमण कर दिया. अंग्रेज़ों के क़ब्ज़े वाले सतलुज नदी के पूर्वी तट पर सिक्खों ने मोर्चा संभाला हुआ था। उनके बच निकलने का एकमात्र रास्ता एक नौका पुल था।
- अंग्रेजों की तरफ से जमकर हुई गोलाबारी के कारण सिक्खों के मोर्चे तहस-नहस हो गए।
- युद्ध के दौरान लालसिंह और तेजा सिंह के विश्वासघात के कारण सिक्खों की पूर्णतया हार हुई. इन लोगों ने सिक्खों की कमज़ोरियों का भेद अंग्रेज़ों को बता दिया था।
- जबरदस्त गोलाबारी से नौका पुल के ध्वस्त होने से बचने का रास्ता मौत के रास्ते में तब्दील हो गया।
- नदी पार करने की कोशिश में 10,000 से अधिक सिक्खों की मौत हो गई। हालाँकि सोबरांव के इस युद्ध में अंग्रेज़ों को भी भारी नुक़सान उठाना पड़ा। उनके 2,383 लोग मारे गए या घायल हुए।
युद्ध का परिणाम
इस युद्ध (Battle of Sobraon in Hindi) के उपरांत सिक्खों द्वारा और प्रतिरोध असंभव हो गया तथा पश्चिमोत्तर भारत का सिक्ख राज्य ब्रिटिश सेना के प्रभुत्व में आ गया।
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