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Bal Vikas Vriddhi (वृद्धि और विकास)

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Bal Vikas Vriddhi

Bal Vikas Vriddhi / वृद्धि और विकास / Principles of Accretion and Development in Hindi

हरलाक के अनुसार: “बालक में नवीन विशेषताओं और नवीन योग्ताओं का प्रकट होना ही विकास कहलाता है”

विकास के सिद्धांत (Principles of Development)

विकास का सिद्धांत दो प्रकार का होता है:

विकास का सामान्य सिद्धांत

निरंतरता का सिद्धांत: यह जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है.
वैयक्तिकता का सिद्धांत: सभी बच्चों का विकास अलग-अलग होता है.
एकीकरण का सिद्धांत: बच्चा वस्तों के साथ समन्वय करना सीख जाता है.
समान प्रतिमान का सिद्धांत: एक जाति के जीवों का क्रम एक पाया जाता है.
सामान्य से विशिष्ट क्रिया का सिद्धांत: किसी भी कार्य को करने के लिए सभी विभिन्न अंगों का उपयोग करना.

विकास का विशिष्ट सिद्धांत

जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत

जीन पियाजे स्विट्ज़रलैंड के निवासी थे तथा प्राणी विज्ञान के प्रोफेसर थे. इन्होने विकास की ४ अवस्थाएं बताई थी.

संवेदी पेशीय अवस्था

पूर्व संक्रियात्मक अवस्था

इसे भी पढ़ें: अधिगम की प्रक्रिया, नियम और सिद्धांत

मूर्त संक्रियात्मक अवस्था

अमूर्त/ औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था

जीन पियाजे द्वारा परिभाषित कुछ शब्द

आत्मसातीकरण: पूर्व ज्ञान के आधार पर नयी चीज को समझना
सामंजस्य या समंजन: समस्या का समाधान करना या समायोजन बैठाना
साम्यधारण: आत्मसातीकरण और समंजन के बीच का संतुलन
स्कीमा: समस्या के समाधान के लिए मानसिक संरचना
स्कीम्स: मानसिक संरचना का सामान्यीकरण
विकेंद्रण: किसी वास्तु या समस्या पर केंद्रीकृत होकर सोचना
समावेशन: स्कीमा में संशोधन या बदलाव

कोहलबर्ग का नैतिक विकास का सिद्धांत

कोहलबर्ग एक रूसी मनोवैज्ञानिक थे. इनका नैतिक विकास का सिद्धांत के दो भाग हैं:

पूर्व परम्परागत स्तर (4- 10 वर्ष )

परम्परागत स्तर (10- 16 वर्ष)

उत्तर परम्परागत स्तर (17 वर्ष से आगे)

वाइगोत्सकी का सामाजिक सांस्कृतिक सिद्धांत

इसने अपना अध्ययन 4 स्तरों पर किया:

फ्रायड का मनोलैंगिक विकास का सिद्धांत

फ्रायड वियना आस्ट्रिया का निवासी था. इसने विकास की निम्न अवस्थाएं बताईं हैं:

मुखावस्था (0-1 वर्ष): मुख – चुसना, काटना आदि क्रिया

गुदावस्था (1-3 वर्ष): गुदा – मलत्याग

शैशनावस्था (3- 6 वर्ष): लिंग- पुत्र का माता के पार्टी प्रेम और पुत्री का पिता के प्रति प्रेम

सुप्तावस्था (6- 12 वर्ष): कोई अंग नहीं

जननेन्द्रिय अवस्था (12 वर्ष से ऊपर): जननेंद्रिय- विषमलिंगी प्रेम

नोट: लैंगिक ऊर्जा को फ्रायड ने ही लिबिडो का नाम दिया था.

एरिक्सन का मनोसामाजिक विकास का सिद्धांत

एरिक्सन अमेरिका का रहने वाला था. इसका मनोसामाजिक विकास का सिद्धांत 8 भागों में वर्गीकृत है:

शैशवावस्था (0-1 वर्ष): विश्वास बनाम अविश्वास

आरम्भिक बाल्यावस्था (1- 3वर्ष): स्वतंत्रता बनाम लज्जा

खेल अवस्था (3- 6 वर्ष): पहल बनाम दोष

विद्यालय अवस्था (6- 12 वर्ष): परिश्रम बनाम हीनता

किशोरावस्था (12- 20 वर्ष): पहचान बनाम संभ्रांति

तरुण वयस्क अवस्था (20-30 वर्ष): घनिष्टता बनाम अलगाव

मध्यकाल्वस्था (30- 65 वर्ष) जननात्मकता बनाम स्थिरता

परिपक्वता (65 वर्ष से ऊपर): सम्पूर्णता बनाम निराशा

ब्रूनर का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत

ब्रूनर अमेरिका का रहने वाला था इसके संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत 3 भागो में वर्गीकृत है:

क्रियात्मक अवस्था: जन्म से 18 माह

प्रत्यक्षणात्मक अवस्था: 18 से 24 माह

संकेतात्मक अवस्था: 7 वर्ष से आगे

चोमस्की का भाषा विकास का सिद्धांत

चोमस्की अमेरिका का निवासी था. इसके भाषा विकास के सिद्धांत के 3 तथ्य हैं:

Bal Vikas Vriddhi

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