पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की हालत बेहद नाजुक, AIIMS ने जारी किया नया बुलेटिन

दिल्ली के एम्स में भर्ती पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की हालत बेहद नाजुक है एम्स के डॉक्टरों के मुताबिक उनको लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया है, उनकी स्थिति अभी भी बहुत नाजुक है

BJP ने अपने आज के सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं और उसके सभी बड़े नेता अटल बिहारी वाजपेई से मिलने एम्स में जा रहे हैं.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई से मिलने पहुंचे, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी उनसे मिलकर आ चुके हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बुधवार शाम को अटल बिहारी वाजपेई से मिलने एम्स पहुंचे. वो वहां करीब 50 मिनट तक रुके. बीजेपी नेताओं के अलावा विपक्ष के नेताओं ने भी ट्वीट करके अटल बिहारी वाजपेई की लंबी आयु की कामना की है. बाजपेई के परिवार के लोग अभी भी एम्स में डटे हुए हैं.

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की सेहत को लेकर दुख जताया उन्होंने लिखा : “ईश्वर सेअटल जी के जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं”

आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता और कवि डॉ कुमार विश्वास ने भी अटल बिहारी वाजपेई की हालत पर चिंता जताया

लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर है अटल बिहारी बाजपेई

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर है एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम लगातार वाजपेई के स्वास्थ्य पर नजर बनाए हुए है

अपनी वाककला से विरोधियों को निशब्द कर देने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की हालत बेहद नाजुक है पिछले 9 हफ्तों से उन्हें AIIMS में रखा गया है.

यहां आपको बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई डिमेंशिया नमक गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, उनके किडनी और मूत्राशय की नली में संक्रमण है और उनकी केवल एक ही किडनी काम करती है. 2009 में आए स्ट्रोक से उनकी हालत काफी खराब हो गई थी और तब से ही वह व्हीलचेयर पर थे. कुछ समय पहले ही BJP सरकार ने उनको भारत रत्न से सम्मानित किया था.
अटल बिहारी वायपेयी 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लखनऊ से लोकसभा सदस्य चुने गए थे. वो बतौर प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा करने वाले पहले और अभी तक एकमात्र गैर-कांग्रेसी नेता हैं.
अटल बिहारी वायपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर में हुआ था और भारत छोड़ो आंदोलन के जरिए 1942 में उन्होंने भारतीय राजनीति में कदम रखा था.

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