Apathit Hindi Gadyansh-3 / परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण अपठित हिंदी गद्यांश-3
उत्साह की गिनती अच्छे गुणों में होती है। किसी भाव के अच्छे या बुरे होने का निश्चय अधिकतर उसकी प्रवृत्ति के शुभ और अशुभ परिणाम के विचार से होता है। वही उत्साह जो कर्तव्य कर्मों के प्रति इतना सुंदर दिखाई देता है, अकर्तव्य कर्मों की ओर होने पर वैसा श्लाध्य नहीं प्रतीत होता। आत्मरक्षा, स्व रक्षा, देश रक्षा आदि के निमित्त साहस की जो उमंग देखी जाती हैं, उसके सौंदर्य तक परपीड़न, डकैती, आदि कर्मों का साहस कभी नहीं पहुंच सकता। यह बात होते हुए भी विशुद्ध उत्साह या साहस की प्रशंसा संसार में थोड़ी बहुत होती ही है। अत्याचारियों या डाकुओं के शौर्य और साहस की कथाएं भी लोग तारीफ करते हुए सुनते हैं।
अब तक उत्साह का प्रधान रूप ही हमारे सामने रहा है जिसमें साहस का पूरा योग रहता है पर कर्म मात्र के संपादन में जो तत्परता तथा पूर्णानंद देखा जाता है,, यह भी उत्साह ही कहा जाता है।
सब कर्मों में साहस अपेक्षित नहीं होता पर थोड़ा बहुत आराम विश्राम सुभीते आदि का त्याग सब में करना पड़ता है और कुछ नहीं तो उठ कर बैठना, खड़ा होना, या 10-5 कदम चलना ही पड़ता है। जब तक आनंद का लगाव किसी क्रिया व्यापार या उसकी भावना के साथ नहीं दिखाई पड़ता तब तक उसे उत्साह की संज्ञा प्राप्त नहीं होती. यदि किसी प्रिय मित्र के आने का समाचार पाकर हम चुपचाप ज्यों के त्यों आनंदित होकर बैठे रह जाएं या थोड़ा हंस भी दे तो ये हमारा उत्साह नहीं कहा जाएगा। हमारा उत्साह तभी कहा जाएगा जब हम अपने मित्र के आगमन की बात सुनते ही उठ खड़े हो जाएंगे और उससे मिलने के लिए दौड़ पड़ेंगे और उसके ठहरने आदि का प्रबंध करने में प्रसन्न मुख इधर-उधर आते दिखाई पड़ेंगे। प्रयत्न और कर्म संकल्प उत्साह नामक आनंद के नित्य लक्षण हैं। Apathit Hindi Gadyansh-3
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उपर्युक्त गद्यांश से सम्बन्धित प्रश्न
प्रश्न 1: किस प्रकार के कर्म करने से उत्साह सुंदर प्रतीत होता है?
प्रश्न 2: कर्म संपादन में देखा गया तत्परतापूर्ण आनंद क्या कहलाता है?
प्रश्न 3: कर्म करते समय मनुष्य को किस का त्याग करना पड़ता है?
प्रश्न 4: गद्यांश का उचित शीर्षक बताइए?
प्रश्न 5: आगमन का विपरीतार्थक शब्द बताइए?
उपर्युक्त गद्यांश से सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर
उत्तर 1: कर्तव्य कर्मों को करने से उत्साह सुंदर प्रतीत होता है।
उत्तर 2: कर्म संपादन में देखा गया तत्परतापूर्ण आनंद उत्साह कहलाता है।
उत्तर 3: मनुष्य को कर्म करते समय आराम और सुविधा का त्याग करना पड़ता है।
उत्तर 4: गद्यांश का उचित शीर्षक “उत्साह का स्वरूप” हो सकता है.
उत्तर 5: आगमन का विपरीतार्थक शब्द है: प्रस्थान।
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