Alankar in Hindi Grammar / हिंदी व्याकरण में अलंकार और अलंकार के भेद
Important Topics: समास, अलंकार, मुहावरे, विलोम शब्द, पर्यायवाची शब्द, उपसर्ग और प्रत्यय, तद्भव-तत्सम, कारक-विभक्ति, लिंग, वचन, काल
अलंकार की परिभाषा (definition of alankar in hindi)
काव्य की सुंदरता बढ़ाने वाले शब्दों को ही अलंकार कहते हैं। जिस प्रकार से एक मनुष्य अपनी सुंदरता बढ़ाने के लिए विभिन्न आभूषणों का प्रयोग करता है या स्त्री विभिन्न प्रकार की साज-सज्जा करती है ठीक उसी तरह काव्यों की सुंदरता को बढ़ाने के लिए कवि अलंकारों का प्रयोग करता है।
अलन अर्थात भूषण
कर अर्थात सुसज्जित करने वाला
अतः किसी काव्य को शब्दों व अन्य दूसरे तत्वों की मदद से सुसज्जित करने वाला ही अलंकार कहलाता है।
अलंकार काव्य का एक अनिवार्य गुण है. हिंदी के प्रमुख कवि आचार्य केशव कहते हैं:
“जदपि सुजाति सुलच्छनी, सुबरन सरस सुवृत
भूषन बिनु न बिराजई, कविता बनिता मित्त”
अलंकार काव्य का आभूषण है. जिस प्रकार गहनों से शारीरिक शोभा बढती है ठीक उसी प्रकार अलंकार के प्रयोग से काव्य की शोभा बढती है. इसीलिए कहा गया है कि काव्य की शोभा बढाने वाले धर्म को अलंकार कहते हैं
अलंकार मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं: शब्दालंकार और अर्थालंकार
कुछ लोग अलंकार का एक तीसरा प्रकार भी बताते हैं जिसे उभयालंकार कहते हैं
शब्दालंकार (Shabdalankar)
जहाँ काव्य में शब्दों के कारण चमत्कार उत्पन्न होता है वहाँ शब्दालंकार होता है. मतलब अगर उस शब्द को बदलकर उसके स्थान पर उसी अर्थ वाला कोई दूसरा शब्द रख दें तो अलंकार नष्ट हो जायेगा
उदाहरण
सेस, महेस, गनेस, दिनेस, सुरेसहु जाहि निरंतर गावै
अगर इसके स्थान पर
नाग, गजानन, ईश, प्रभाकर, इन्द्रहूँ जाहि निरंतर गावै कर दें तो वह चमत्कार नहीं दिखता. इसलिए यहाँ पर शब्दालंकार कहा जायेगा
शब्दालंकार के 3 प्रकार हैं:
अनुप्रास अलंकार (Anupras Alankar)
जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति हो तो वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है। किसी विशेष वर्ण की आवृति से वाक्य सुनने में सुंदर लगता है।
उदाहरण:
चारु चन्द्र की चंचल किरणें खेल रही हैं जल थल में
ऊपर दिये गए उदाहरण में आप देख सकते हैं की ‘च’ वर्ण की आवृति हो रही है और आवृति से ही वाक्य का सौन्दर्य बढ़ रहा है। अतः यह अनुप्रास अलंकार का उदाहरण होगा।
अनुप्रास अलंकार के बारे में गहराई से पढ़नें के लिए यहाँ क्लिक करें – अनुप्रास अलंकार – परिभाषा एवं उदाहरण
यमक अलंकार (Yamak Alankar)
जिस प्रकार काव्य का सौन्दर्य बढ़ाने के लिए अनुप्रास अलंकार में किसी एक वर्ण की आवृति होती है उसी प्रकार यमक अलंकार में किसी एक शब्द की बार-बार आवृति होती है। दो बार प्रयोग किए गए शब्द का अर्थ अलग हो सकता है।
उदाहरण:
काली घटा का घमंड घटा।
यहाँ ‘घटा’ शब्द की आवृत्ति भिन्न-भिन्न अर्थ में हुई है। पहले ‘घटा’ शब्द ‘वर्षाकाल’ में उड़ने वाली ‘मेघमाला’ के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है और दूसरी बार ‘घटा’ का अर्थ है ‘कम हुआ’। अतः यहाँ यमक अलंकार है।
यमक अलंकार के बारे में गहराई से पढ़नें के लिए यहाँ क्लिक करें – यमक अलंकार – परिभाषा एवं उदाहरण
श्लेष अलंकार (Slesh Alankar)
श्लेष अलंकार ऊपर के दोनों अलंकारों से भिन्न है। श्लेष अलंकार में एक ही शब्द के विभिन्न अर्थ होते हैं।
उदाहरण:
रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून, पानी गए न ऊबरे मोती मानस चून।
इस दोहे में रहीमदास ने पानी को तीन अर्थों में प्रयोग किया है। पानी का पहला अर्थ मनुष्य के संदर्भ में है जब इसका मतलब विनम्रता से है। रहीम कह रहे हैं कि मनुष्य में हमेशा विनम्रता (पानी) होना चाहिए। पानी का दूसरा अर्थ आभा, तेज या चमक से है जिसके बिना मोती का कोई मूल्य नहीं।
पानी का तीसरा अर्थ जल से है जिसे आटे (चून) से जोड़कर दर्शाया गया है। रहीम का कहना है कि जिस तरह आटा पानी के बिना नरम नहीं हो सकता और मोती का मूल्य उसकी आभा के बिना नहीं हो सकता है, उसी तरह मनुष्य को भी अपने व्यवहार में हमेशा पानी (विनम्रता) रखना चाहिए, इसके बिना इसका मूल्य कुछ नहीं रह जाता। अतः यह उदाहरण श्लेष के अंतर्गत आएगा।
श्लेष अलंकार के बारे में गहराई से पढ़नें के लिए यहाँ क्लिक करें – श्लेष अलंकार – उदाहरण एवं परिभाषा
अर्थालंकार (Arthalankar)
जहाँ काव्य में अर्थ के कारण चमत्कार उत्पन्न हो वहां अर्थालंकार होता है
उदाहरण
नील कमल सी मुख-प्रभा, सुरस सुधा से बोल
अर्थालंकार के भेद (Types of Arthalankar in Hindi)
अर्थालंकार के कई भेद हैं जैसे:
- उपमा अलंकार (Upma Alankar)
- रूपक अलंकार (Rupak Alankar)
- उत्प्रेक्षा अलंकार (Utpreksha Alankar)
- उल्लेख अलंकार (Ullekh Alankar)
- भ्रांतिमान अलंकार (Bhrantiman Alankar)
- संदेह अलंकार (Sandeh Alankar)
- अन्योक्ति अलंकार (Anyokti Alankar)
- अतिशयोक्ति अलंकार (Atishayokti Alankar)
- अनन्वय अलंकार (Annanway Alankar)
- दृष्टान्त अलंकार (Drishtant Alankar)
- अपहुन्ति अलंकार (Aphunti Alankar)
- विभावना अलंकार (Vibhawna Alankar)
- व्यतिरेक अलंकार (Vyatirek Alankar)
- प्रतीप अलंकार (Prateep Alankar)
- अत्युक्ति अलंकार (Anyukti Alankar)
उपमा अलंकार (Upma Alankar)
जब दो भिन्न वस्तुओं में समानता दिखाई देती है, तब वहाँ उपमा अलंकार होता है ।
उदाहरण:
कर कमल-सा कोमल है।
यहाँ हाथों को कमल के समान कोमल बताया गया है। अतः यहाँ उपमा अलंकार होगा।
उपमा के अंग:
उपमेय: जिस वस्तु की समानता किसी दूसरे वस्तु से दिखलाई जाये वह उपमेय होता है. जैसे: कर कमल सा कोमल है। इस उदाहरण में कर उपमेय है ।
उपमान: उपमेय को जिसके समान बताया जाये उसे उपमान कहते हैं। इस उदाहरण में ‘कमल’ उपमान है।
रूपक अलंकार (Rupak Alankar)
जब उपमान और उपमेय में अभिन्नता या अभेद दिखाया जाए तब यह रूपक अलंकार कहलाता है।
उदाहरण:
“मैया मैं तो चन्द्र-खिलौना लैहों”
ऊपर के उदाहरण में चन्द्रमा और खिलोने में समानता न दिखाकर चाँद को ही खिलौना बोल दिया गया है। अतः यहाँ रूपक अलंकार होगा।
चरण-कमल बंदौं हरिराई।
ऊपर दिए गए गए वाक्य में चरणों को कमल के सामान न दिखाकर चरणों को ही कमल बोल दिया गया है। अतः यह रूपक अलंकार के अंतर्गत आएगा।
उत्प्रेक्षा अलंकार (Utpreksha Alankar)
जहाँ उपमेय में उपमान के होने की संभावना का वर्णन हो तब वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। यदि पंक्ति में –मनु, जनु, मेरे जानते, मनहु, मानो, निश्चय, ईव आदि आता है वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
उदाहरण:
मुख मानो चन्द्रमा है।
ऊपर दिए गए उदाहरण में मुख के चन्द्रमा होने की संभावना का वर्णन हो रहा है। इस वाक्य में मानो भी प्रयोग किया गया है अतः यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है।
अतिशयोक्ति अलंकार (Atishayokti Alankar)
जब किसी बात का वर्णन बहुत बढ़ा-चढ़ाकर किया जाए तब वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
उदाहरण:
आगे नदियाँ पड़ी अपार, घोडा कैसे उतरे पार।
राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार।
ऊपर दिए गए उदाहरण में चेतक की शक्तियों व स्फूर्ति का बहुत बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है। अतः यहाँ पर अतिशयोक्ति अलंकार होगा।
मानवीकरण अलंकार (Manvikaran Alankar)
जब प्राकृतिक चीज़ों में मानवीय भावनाओं के होने का वर्णन हो तब वहां मानवीकरण अलंकार होता है। उदाहरण:
फूल हँसे कलियाँ मुस्कुराई।
ऊपर दिए गए उदाहरण में आप देख सकते हैं की फूलों के हंसने का वर्णन किया गया है जो मनुष्य करते हैं अतः यहाँ मानवीकरण अलंकार है।
उभयालंकार (Ubhayalankar)
जहाँ शब्दालंकार और अर्थालंकार दोनों की विशेषताएं पायी जाती हैं वहाँ उभयालंकार होता है
उदाहरण:
सरस सुधा से बोल
उभयालंकार के 2 प्रकार हैं:
- संकर अलंकार
- संसृष्टि अलंकार
संकर अलंकार (Sankar Alankar)
जहाँ एक ही स्थान पर कई अलंकार ऐसे मिले हुए हों जैसे दूध में पानी मिला होता है, वहां संकर अलंकार होता है
उदाहरण
नयन नीलिमा के लघु नभ में
अलि किस सुषमा का संसार
विरल इन्द्रधनुषी बादल सा
बदल रहा निज रूप अपार
संसृष्टि अलंकार (Sansrishti Alankar)
जहाँ दो या दो से अधिक अलंकार परस्पर मिले होकर भी स्पष्ट रहें वहाँ संसृष्टि अलंकार होता है
उदाहरण
तिरती गृह वन मलय समीर
साँस, सुधि, स्वप्न, सुरभि, सुखगान
मार केशर-शर, मलय समीर
ह्रदय हुलसित कर पुलकित प्राण
कोटिशः धन्यवाद!
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