Anupras Alankar Hindi / अनुप्रास अलंकार: परिभाषा, उदाहरण तथा प्रकार / Anupras Alankar in Hindi
अनुप्रास अलंकार (Anupras Alankar Hindi) जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति हो तो वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है। किसी विशेष वर्ण की आवृति से वाक्य सुनने में सुंदर लगता है। किसी वर्ण का एक से अधिक बार आना आवृत्ति कहलाता है.
उदाहरण
मुदित महीपति मंदिर आये
सेवक सचिव सुमंत बुलाये
इस चौपाई में “म” और “स” की तीन-तीन बार आवृत्ति हुयी है इसलिए यहाँ अनुप्रास अलंकार है. अपितु यहाँ स्वरों का मेल नहीं है कहीं कहीं स्वर भी मिल जाते हैं
जैसे:
सो सुख सुजस सुलभ मोहिं स्वामी
इसमें “स” की आवृत्ति 5 बार हुयी है पर स्वरों का मेल (सुख, सुजस, सुलभ) केवल तीन बार हुआ है
अनुप्रास अलंकार के कुछ प्रमुख उदाहरण (Anupras Alankar ke udaharan)
मधुर मधुर मुस्कान मनोहर, मनुज वेश का उजियाला।
उपर्युक्त उदाहरण में ‘म’ वर्ण की आवृति हो रही है. हम जानते हैं कि जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। अतः यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आयेगा।
कल कानन कुंडल मोरपखा उर पा बनमाल बिराजति है।
इस उदाहरण में शुरू के तीन शब्दों में ‘क’ वर्ण की आवृति हो रही है. हम जानते हैं कि जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। अतः यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।
कालिंदी कूल कदम्ब की डरनी।
इस उदाहरण में ‘क’ वर्ण की आवृति हो रही है, अतः यह उदाहरण भी अनुप्रास आंकार के अंतर्गत आयेगा।
कायर क्रूर कपूत कुचली यूँ ही मर जाते हैं।
इस उदाहरण में शुरू के चार शब्दों में ‘क’ वर्ण की आवृति हो रही है, अतः यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।
कंकण किंकिण नुपुर धुनी सुनी।
इस उदाहरण में दो शब्दों में ‘क’ वर्ण की आवृति हो रही है, अतः यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।
तरनी तनुजा तात तमाल तरुवर बहु छाए।
इस उदाहरण में ‘त’ वर्ण की आवृति हो रही है, अतः यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।
चारु चन्द्र की चंचल किरणें, खेल रही थी जल-थल में।
इस उदाहरण में ‘च’ वर्ण की आवृति हो रही है और इससे वाक्य सुनने में और सुन्दर लग रहा है, अतः यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।
बल बिलोकी बहुत मेज बचा।
इस वाक्य में ‘ब’ वर्ण की आवृति हो रही है और हम जानते हैं कि जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। अतः यह अनुप्रास अलंकार का उदाहरण होगा।
कानन कठिन भयंकर भारी, घोर घाम वारी ब्यारी।
जैसा कि आप देख सकते हैं ऊपर दिए गए वाक्य में ‘क’, ‘भ’ आदि वर्णों की आवृति हो रही है, अतः यह उदाहरण अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।
जे न मित्र दुख होहिं दुखारी, तिन्हहि विलोकत पातक भारी।
निज दुख गिरि सम रज करि जाना, मित्रक दुख रज मेरु समाना।।
यहां ‘द’ वर्ण की बार बार आवृति हो रही है, अतः यह उदाहरण भी अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत आएगा।
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अनुप्रास अलंकार के भेद Anupras Alankar ke Bhed
(Types of Anupras Alankar)
1.वर्णनुप्रास (Varnaupras)
2.लाटानुप्रास (Lataupras)
वर्णनुप्रास के भी कई भेद हैं: छेकानुप्रास, श्रुत्यानुप्रास, वृत्यानुप्रास, अंत्यानुप्रास आदि
छेकानुप्रास (Chhekanupras)
जब एक वर्ण या अनेक वर्ण की आवृत्ति मात्र दो बार हो तब छेकानुप्रास होता है.
उदाहरण
1.प्रिया प्रानसुत सर्वास मोरे
2.बचन बिनीत मधुर रघुबर के
3.इस करुणाकलित ह्रदय में, क्यों बिकल रागिनी बजती
4.हो जाता है मन मुग्ध भक्तिभावों से मेरा
श्रुत्यानुप्रास (Shrutyanupras)
जब बहुत से ऐसे वर्णों के प्रयोग मिलें जिनका उच्चारण-स्थान एक ही हो तब वहाँ श्रुत्यानुप्रास होता है
उदाहरण
ता दिन दान दीन्ह धन धरनी
वृत्यानुप्रास (Vriyanupras)
जहाँ एक या अनेक वर्णों की आवृत्ति कई बार हो, वहाँ वृत्यानुप्रास होता है
उदाहरण
1.सत्य सनेह सील सुख सागर
2.निपट नीरव नन्द-निकट में
अन्त्यानुप्रास (Antyanupras)
जहाँ पद्य के चरणों के अंतिम व्यंजन और उनसे मिले हुए स्वर ठीक समानता में मिलें वहाँ अन्त्यानुप्रास होता है. इसे तुक भी कहते हैं
उदाहरण
है चाटुकारी में चतुरता, कुशलता छल-छद्म में
पांडित्य परनिंदा विषय में, शूरता है सद्म में
बस मौन में गंभीरता है, है बडप्पन वेश में
जो बात और कहीं नहीं, वह है हमारे देश में
लाटानुप्रास (Latanupras)
जब एक शब्द अथवा वाक्याँश की उसी अर्थ में आवृत्ति होती है किन्तु तात्पर्य अथवा अन्वय में भेद होता है तब वहाँ लाटानुप्रास होता है
माँगी नाव, न केवट आना
माँगी नाव न, केवट आना
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